GST का नया नियम- किराए के मकानों में चलाते हैं पार्लर या रेस्टोरेंट तो देना होगा 18% जीएसटी

जीएसटी के नए नियमों के तहत अब व्यावसायिक प्रतिष्ठान किराए पर लेने वालों को देना होगा 18% टैक्स। यह टैक्स किराएदारों को रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत देना होगा। जिसमें शोरूम, वेयरहाउस और रेस्टोरेंट जैसे व्यवसायिक प्रतिष्ठान शामिल होंगे।

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Madhav Singh
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54वीं जीएसटी बैठक में केंद्र सरकार ने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के किराए पर 18% जीएसटी लगाने का नोटिफिकेशन जारी किया है। इसमें यदि कोई व्यक्ति जीएसटी में रजिस्टर्ड है और वह किसी शोरूम, वेयरहाउस या रेस्टोरेंट जैसी व्यावसायिक संपत्ति को किराये पर लिया है, तो उसे 18% टैक्स का भुगतान करना होगा। पहले की व्यवस्था के अनुसार, केवल मकान मालिक को ही टैक्स देना पड़ता था। लेकिन नए नियम में यदि किरायेदार जीएसटी में रजिस्टर्ड है, तो उसे टैक्स भरना होगा।

आरसीएम के तहत करना होगा भुगतान

टैक्स का भुगतान रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (आरसीएम) के तहत करना होगा। जिसमें सेवा उपयोगकर्ता ही टैक्स का भुगतान करता है। यह नियम केवल व्यावसायिक उपयोग के लिए किराए पर ली गई संपत्तियों पर लागू होता है, रिहायशी उपयोग के लिए नहीं। यदि किराएदार और मकान मालिक दोनों जीएसटी में रजिस्टर्ड नहीं हैं, तो किसी को टैक्स देने की आवश्यकता नहीं होगी।

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इन बिजनेस वालों पर सीधा असर 

इस टैक्स का सीधा असर शोरूम, वेयरहाउस, ब्यूटी पार्लर, गोडाउन और रेस्टोरेंट जैसे प्रतिष्ठानों के किराएदारों पर होगा। विशेष रूप से वे व्यापारी जो कम्पोजिट लाइसेंस के तहत 1.5 करोड़ से कम का टर्नओवर रखते हैं, उन्हें 18% टैक्स देना होगा। कम्पोजिट लाइसेंस धारकों को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) नहीं मिलता, उन्हें ग्राहकों से जीएसटी नहीं वसूलने पर कोई राहत नहीं मिलेगी। जिनमें किराना व्यापारी और दवा व्यापारी भी इसी श्रेणी में आते हैं।

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किराएदारों पर बड़ेगा टैक्स का बोझ

इस नए नियम से किराएदारों पर टैक्स का बोझ बड़ जाएगा और उनके लिए टैक्स रिटर्न समेत अन्य प्रक्रियाओं का पालन करना भी आवश्यक होगा। हालांकि, राहत की बात यह है कि छोटे मकान मालिक और छोटे किराएदार इस नियम से प्रभावित नहीं होंगे।

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