उत्तरकाशी की टनल में जिंदगी की जंग, हादसे में 40 नहीं 41 मजदूर फंसे, ड्रिलिंग हुई फेल, सुरंग काटकर रेस्क्यू की तैयारी

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Rahul Garhwal
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उत्तरकाशी की टनल में जिंदगी की जंग, हादसे में 40 नहीं 41 मजदूर फंसे, ड्रिलिंग हुई फेल, सुरंग काटकर रेस्क्यू की तैयारी

UTTARKASHI. उत्तराखंड के उत्तरकाशी में दीपावली के दिन (12 नवंबर) सुबह 4 बजे एक निर्माणाधीन टनल का 60 मीटर का हिस्सा धंस गया। इसमें 41 मजदूर फंस गए। 6 दिन तक अंदर फंसे लोगों की संख्या 40 बताई जा रही थी, लेकिन शनिवार सुबह एक मजदूर और बढ़ गया है। संभव है कि अंदर और भी मजदूर फंसे हों। प्रोजेक्ट के डायरेक्टर अंशु मनीष ने बताया कि अंदर मौजूद लोगों की संख्या 41 है। हादसे का आज 7वां दिन है और रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा नहीं हो सका है। टनल में फंसे मजदूरों को पाइप के जरिए ऑक्सीजन, खाना-पानी और दवाई पहुंचाई जा रही है।

जायजा लेने पहुंचे पीएमओ उप सचिव मंगेश घिल्डियाल

घटनास्थल पर डिप्टी सेकेट्री पीएमओ मंगेश घिल्डयाल और पीएमओ एडवाइजर भास्कर खुलवे भी शनिवार सुबह पहुंचे। अधिकारियों के साथ पहुंचे मंगेश घिल्डियाल ने चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों से बात की और आ रही अड़चनों के बारे में जाना। नई ऑगर्स मशीन भी उत्तरकाशी पहुंच गई है। करीब 24 घंटे बाद ड्रिलिंग का काम फिर से शुरू होने की उम्मीद है।

अब तक सारे जतन फेल

पिछले 6 दिनों में सबसे पहले एस्कवेटर के जरिए टनल से मलबा निकालने की कोशिश हुई। इसके बाद 3 अलग-अलग ऑगर्स मशीनों से ड्रिलिंग कर मलबे के अंदर स्टील पाइप भेजकर मजदूरों को निकालने का प्रयास हुआ, लेकिन अब तक सारे जतन फेल रहे। एक्सपर्ट्स ने शुक्रवार को रेस्क्यू के लिए प्लान-B पर इमरजेंसी मीटिंग की। इसमें ये तय हुआ कि अब टनल को ऊपर से काटकर अंदर फंसे लोगों को एयरलिफ्ट करने की कोशिश की जाएगी। इसके लिए ड्रिलिंग और एक्सपर्ट टीमों ने शुक्रवार रात को सर्वे भी किया है। इस पर शनिवार (18 नवंबर) रेलवे और नॉर्वे की एक्सपर्ट टीम काम करेगी।

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टनल कैसे काटी जाएगी ?

नए प्लान के तहत ड्रिलिंग मशीन को टनल के ऊपर ले जाकर नीचे की तरफ छेद किया जाएगा। टनल के मुख्य द्वार से बाईं के रास्ते से होकर मशीन को टनल के ऊपर ले जाया जाएगा। यहां पर टनल का 'C पॉइंट' है यानी टनल में थोड़ा-सा घुमाव है। इसी पॉइंट पर ड्रिलिंग के लिए सर्वे हुआ है। ये ड्रिलिंग टनल के मजबूत हिस्से में की जाएगी। इससे टनल को भी कुछ नुकसान पहुंचेगा। यहां पर मशीन को ऊपर से नीचे की तरफ करीब 103 मीटर की ड्रिलिंग करनी होगी। ये ड्रिलिंग मलबा गिरने वाली जगह से 50-60 मीटर और आगे यानी टनल के मुख्य द्वार से कम से कम 280-300 मीटर अंदर की तरफ की जाएगी। यहां से अंदर फंसे लोगों को एयरलिफ्ट किया जाएगा।

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