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NEW DELHI/BHOPAL. भारत में प्रशासनिक सेवा में जाना हर पढ़ने वाले का सपना होता है। जाहिर है कि इसके लिए बेहद लगन और दम-खम की जरूरत पड़ती है। हर साल लाखों युवा IAS बनने का सपना देखते हैं, लेकिन सपने किसी किसी के ही पूरे हो पाते हैं। भारत में ऐसे कई IAS अफसर रह चुके हैं, जिन्हें ये प्रतिष्ठित नौकरी छोड़कर जनप्रतिनिधि बनना ज्यादा बेहतर लगा। मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अफसर रहे वरदमूर्ति मिश्रा ने 4 अगस्त को नई पार्टी बनाने का ऐलान किया। आज हम आपको ऐसे ही आईएएस अफसरों के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने बतौर राजनेता पॉलिटिक्स में काफी नाम कमाया...
1. एस जयशंकर (पूर्व विदेश सचिव, फिलहाल विदेश मंत्री)
सुब्रमण्यम जयशंकर को कूटनीतिक महारत पिता के सुब्रमण्यम से विरासत में मिली है। उनकी गिनती भारत के प्रमुख स्ट्रैटजिस्ट में की जाती है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल (2014-19) में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने स्वास्थ्य कारणों से 2019 में चुनावों में हिस्सा नहीं लिया था। ऐसे में ये माना जा रहा था कि एस जयशंकर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई कैबिनेट में विदेश मंत्री का दर्जा दिया जा सकता है। ये सच भी हुआ। मोदी सरकार ने 2015 में तत्कालीन विदेश सचिव सुजाता सिंह को पद से हटाकर एस जयशंकर की नियुक्ति की थी। सुजाता सिंह की नियुक्ति यूपीए सरकार ने की थी और कार्यकाल खत्म होने से पहले उन्हें हटाए जाने के तरीके पर विवाद भी हुआ था। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 2013 में जयशंकर को ही विदेश सचिव नियुक्त करना चाहते थे, लेकिन अंतिम समय में उन्होंने सुजाता सिंह को यह पद सौंपा।
दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से पढ़े जयशंकर ने पॉलिटिकल साइंस में एमफिल किया और जेएनयू से पीएचडी की। उन्हें परमाणु कूटनीति में महारत हासिल है। इंटरनेशनल पॉलिटिक्स के गलियारों में जयशंकर एक करियर डिप्लोमैट रहे हैं। फॉरेन सर्विस के 1977 बैच के अफसर रहे जयशंकर की पहली पोस्टिंग रूस की इंडियन एम्बैसी में रही।
जयशंकर विदेश मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी रहे। अमेरिका में भारत के फर्स्ट सेक्रेटरी भी रहे। उन्होंने श्रीलंका में भारतीय सेना के राजनैतिक सलाहकार के तौर पर भी काम किया। इसके बाद टोक्यो और चेक रिपब्लिक में भारत के राजदूत का पद संभाला। वे चीन में भी भारत के एम्बेसडर रहे। चीन के साथ बातचीत के जरिए डोकलाम गतिरोध को हल करने में जयशंकर की बड़ी भूमिका मानी जाती है।
2. यशवंत सिन्हा (पूर्व आईएएस, बीजेपी में आए, अटल सरकार में वित्त-विदेश मंत्री रहे)
यशवंत सिन्हा ने 1960 में IAS जॉइन किया और 1984 तक नौकरशाह रहे। इसके बाद वे चंद्रशेखर की कैबिनेट में बतौर जनता दल के सदस्य के रूप में पहले वित्त मंत्री रहे थे। इसके बाद उन्होंने बीजेपी जॉइन कर ली और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री और विदेश मंत्री रहे। 2018 में उन्होंने बीजेपी नेतृत्व से मतभेदों के चलते पार्टी छोड़ दी और बाद में वे ममता बनर्जी की टीएमसी में चले गए। 2022 के राष्ट्रपति चुनाव में यशवंत विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे, हालांकि एनडीए की द्रौपदी मुर्मू से वे हार गए।
3. अरविंद केजरीवाल (आईआईटीयन, आईआरएस, फिर राजनीति में आए)
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 1989 में IIT खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। 1992 में उन्होंने भारतीय राजस्व सेवा (IRS) जॉइन की थी। कुछ सालों बाद वो भारतीयों के लिए सूचना के अधिकार के प्रचारक बन गए और 2006 में उन्होंने उभरती लीडरशिप के लिए 'रेमन मैग्सेसे' अवॉर्ड जीता। अपने साथी और भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे के नेतृत्व में केजरीवाल 2011 में जन लोकपाल आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा बने और 2012 में आम आदमी पार्टी का गठन किया। 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और केजरीवाल कांग्रेस के समर्थन से सीएम बने। हालांकि, 49 दिनों के बाद उनकी सरकार गिर गई। साल 2015 में वो सत्ता में लौटी और AAP ने 70 में से 67 सीटों के अभूतपूर्व बहुमत के साथ जीत हासिल की। 2020 में भी केजरीवाल फिर चुनाव जीते और मुख्यमंत्री बने।
4. अजीत जोगी (पूर्व आईएएस, नए राज्य के पहले मुख्यमंत्री, फिर अपनी पार्टी बनाई)
अजीत जोगी ने जब राजनीति में आने का फैसला किया था, तब वे कलेक्टर थे। जोगी 1968 बैच के IAS अफसर थे। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कहने पर राजनीति में कदम रखा था। वो छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने थे। कभी गांधी फैमिली के वफ़ादार रहे जोगी को भ्रष्टाचार और आपराधिक मामलों का सामना करना पड़ा और 2016 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस बनाई थी। 20 मई 2020 को उनका निधन हो गया।
5. मणिशंकर अय्यर (पूर्व आईएफएस, फिर केंद्रीय मंत्री बने)
कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने 1963 में भारतीय विदेश सेवा (IFS) जॉइन की थी। 1989 में राजनीति में कदम रखने के लिए उन्होंने रिटायरमेंट ले लिया। 1991 में वे तमिलनाडु के मयिलादुतुरई से लोकसभा के लिए चुने गए थे। इसके बाद से ही उन्होंने सरकार में विभिन्न पदों पेट्रोलियम और नेचुरल गैस (2004-06), युवा मामले और खेल (2006-08) और पूर्वोत्तर क्षेत्र का विकास (2008-09) पर काम किया। बाद में पीएम मोदी पर दिए बयानों के कारण चर्चा में रहे।
6. मीरा कुमार (आईएफएस रहीं, फिर नेता और स्पीकर बनीं)
मीरा कुमार का जन्म बिहार के आरा जिले में हुआ था। वो लोकसभा स्पीकर का पद संभालने वाली देश की पहली महिला बनी थीं। उनके पिता जगजीवन राम ने भारत के चौथे उप-प्रधानमंत्री के तौर पर काम किया था। मीरा ने 1973 में भारतीय विदेश सेवा जॉइन की थी और करीब 10 साल ज्यादा सर्विस में रहीं। 1985 में हुए बिजनौर के उप-चुनाव में रामविलास पासवान और मायावती को हराकर राजनीति में एंट्री ली। 2004 में उन्हें कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री बनाया गया। कांग्रेस ने 2017 में भारत के राष्ट्रपति पद के लिए मीरा कुमार को भी मैदान में उतारा, जब वे रामनाथ कोविंद से हार गई थीं।
7. नटवर सिंह (आईएफएस रहे, फिर कई मंत्रालय संभाले)
पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने 1953 में भारतीय विदेश सेवा (IFS) जॉइन की और 31 साल तक सर्विस में रहे। बतौर IFS अफसर उनके कार्यकाल में चीन और यूएस जैसी महत्वपूर्ण एम्बेसी में उनकी पोस्टिंग हुई। 1984 में उन्होंने IFS छोड़ दी और कांग्रेस जॉइन कर ली। वो 8वीं लोकसभा में राजस्थान के भरतपुर से चुने गए। 1985 में राजीव गांधी की सरकार में वो इस्पात, कोयला व खान और कृषि मंत्रालयों के राज्य मंत्री रहे। मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार में वे विदेश मंत्री रहे।
8. राज कुमार सिंह (पूर्व आईएएस, अब मंत्री)
आरके सिंह के नाम से मशहूर बीजेपी नेता राज कुमार सिंह 1975 बैच के बिहार कैडर के पूर्व IAS अधिकारी हैं। वे केंद्रीय गृह सचिव के रहे। 1990 में जब समस्तीपुर के कलेक्टर थे, तब उन्होंने बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा के दौरान उन्हें अरेस्ट किया था। सिंह ने 2013 में बीजेपी जॉइन की थी। वो मौजूदा समय में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री हैं।
9. हरदीप सिंह पुरी (पूर्व आईएफएस, अब मंत्री)
बीजेपी नेता हरदीप सिंह पुरी मौजूदा समय में पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री और आवास व शहरी मामलों के मंत्री हैं। उन्होंने 1974 में भारतीय विदेश सेवा (IFS) जॉइन की थी। यूके और ब्राजील में राजदूत रहे। 2014 में बीजेपी जॉइन कर ली।
10. सत्यपाल सिंह (पूर्व आईपीएस, मुंबई कमिश्नर रहे, अब सांसद)
बीजेपी नेता सत्यपाल सिंह महाराष्ट्र कैडर के 1980 बैच के पूर्व भारतीय पुलिस सर्विस के अफसर हैं। वो मुंबई के पुलिस कमिश्नर भी रह चुके हैं। 2014 में उन्होंने मुंबई पुलिस चीफ के पद से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में शामिल हो गए। 2014 लोकसभा चुनाव में बागपत से खड़े हुए और जीते।
11. शाह फैसल (आईएएस टॉपर, फिर पार्टी बनाई)
2010 में UPSC टॉप करने वाले शाह फैसल ने भी VRS लिया था। फैसल ने जम्मू-कश्मीर से पहली बार टॉपर बनने का रिकॉर्ड बनाया था। जम्मू-कश्मीर के हालात का हवाला देते हुए उन्होंने 2019 में वीआरएस ले लिया और पॉलिटिकल पार्टी भी बनाई, लेकिन जल्दी ही उनका मोहभंग हो गया और वो राजनीति से दूर हो गए।