अब बाबा रामदेव ने किससे ले लिया पंगा, हाईकोर्ट को कहना पड़ा बंद करो पतंजलि का ये विज्ञापन

दिल्ली हाईकोर्ट ने बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को गलत विज्ञापन करने पर जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने ऐसे सभी भ्रामक विज्ञापन तुरंत रोकने का आदेश दिया है।

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Rohit Sahu
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बाबा रामदेव और पतंजलि को कोर्ट से बार बार लताड़ खाने की आदत हो गई है। अब एक बार फिर पतंजलि के विज्ञापन को लेकर कोर्ट ने बाबा रामदेव और पतंजलि को फटकार लगाई है। बाबा रामदेव को इसबार पतंजलि च्यवनप्राश के एक एड के चलते कोर्ट कोर्ट से खरी खरी सुनने पड़ी। आइए जानते हैं इस बार बाबा रामदेव ने किससे पंगा ले लिया।

डाबर ने दर्ज की थी पतंजलि के खिलाफ याचिका

दरअसल बाबा रामदेव की पतंजलि कंपनी ने एक नया विज्ञापन चलाया जिसमें कहा गया कि असली च्यवनप्राश सिर्फ पतंजलि बनाती है, बाकी कंपनियों को आयुर्वेद की समझ ही नहीं है। अब इस विज्ञापन को लेकर डाबर दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया। डाबर की याचिका पर जस्टिस मिनी पुष्करणा ने पतंजलि को फटकार लगाते हुए आदेश दिया कि वो ऐसा भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद करें।

डाबर ने मांगा 2 करोड़ रुपए का हर्जाना

डाबर का कहना है कि विज्ञापन में गलत और भ्रामक दावा किया गया है, जिससे उसके ब्रांड की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है। डाबर ने कोर्ट से मांग की है कि पतंजलि के इस विज्ञापन पर तत्काल रोक लगाई जाए, साथ ही 2 करोड़ रुपये का हर्जाना दिलाया जाए। फिलहाल कोर्ट ने पतंजलि के च्यवनप्राश वाले विज्ञापन पर रोक लगा दी है। इस मामले में अगली सुनवाई 14 जुलाई को तय की गई है।

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पहले भी विज्ञापन पर फंस चुके हैं बाबा रामदेव

पतंजलि और बाबा रामदेव इससे पहले भी कई बार इस तरह के दावों के कारण विवादों में रहे हैं। अगस्त 2022 में IMA ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी कि पतंजलि कोविड समेत कई बीमारियों का झूठा इलाज बता रही है। नवंबर 2023 में कोर्ट ने विज्ञापनों पर रोक लगाई, लेकिन वे जारी रहे। फरवरी 2024 में रामदेव और बालकृष्ण को पेश होने को कहा गया। 2025 में कोर्ट में पेश हुए और दोनों ने माफी मांग ली।

रूह-अफजा को बताया था शरबत जिहाद

3 अप्रैल को पतंजलि शरबत की लॉन्चिंग के दौरान बाबा रामदेव ने कहा था कि एक कंपनी शरबत बेचकर उससे मदरसे और मस्जिदें बनवाती है, और इसे शरबत जिहाद बताया। इस पर रूह अफज़ा बनाने वाली हमदर्द कंपनी दिल्ली हाई कोर्ट पहुंची। कोर्ट ने बयान को माफी के लायक नहीं बताया। रामदेव ने वीडियो हटाने और माफी मांगी थी और वादा किया था ऐसे विज्ञापन फिर दोबारा नहीं करेंगे।

बिना लाइसेंस बेच रहे थे आटा नूडल्स

 2015 में कंपनी ने बिना लाइसेंस के आटा नूडल्स बाजार में उतार दिए थे, जिसके बाद उसे लीगल नोटिस भेजा गया। 2018 में गिलोय घनवटी पर तय तारीख से एक महीना आगे की निर्माण तिथि दर्ज करने पर भी पतंजलि को चेतावनी मिली थी। वहीं 2022 में कंपनी का गाय का घी गुणवत्ता जांच में फेल पाया गया था। उत्तराखंड खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच में यह घी मानकों पर खरा नहीं उतरा।

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विवादों के बाद भी पतंजलि की कमाई बढ़ती गई

योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद की शुरुआत साल 2006 में हरिद्वार (उत्तराखंड) से हुई थी। इस कंपनी ने वित्त वर्ष 2023-24 में 9,335 करोड़ रुपये की कमाई की और 2,901 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया। इससे पहले साल 2022-23 में कंपनी की आय 7,580 करोड़ रुपये रही थी।

महज 17 साल में पतंजलि ने डाबर, हिंदुस्तान यूनिलीवर, नेस्ले, कोलगेट और आईटीसी जैसी बड़ी कंपनियों को टक्कर देना शुरू कर दिया है। यहां तक कि कोरोना महामारी के दौरान भी कंपनी की ग्रोथ रुकी नहीं।

हालांकि पतंजलि विवादों में भी घिरी रही है। बाबा रामदेव और उनकी कंपनी के खिलाफ 100 से ज्यादा केस दर्ज हैं। इन मामलों में गलत विज्ञापन, खराब क्वालिटी के प्रोडक्ट बेचना और प्रोडक्ट को 'सिर्फ शाकाहारी' बताकर लोगों को भ्रमित करने जैसे आरोप शामिल हैं।

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