वेटिकन सिटी से आई बड़ी खबर ने दुनिया को चौंका दिया 69 वर्षीय कार्डिनल रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट को नया पोप चुना गया है। रोमन कैथोलिक चर्च के दो हजार साल लंबे इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि अमेरिका से किसी कार्डिनल को पोप चुना गया है। उन्होंने पोप लियो 14वें नाम अपनाया है और अपनी पहली प्रतिक्रिया में दुनिया से शांति और करुणा की अपील की।
कॉन्क्लेव के दूसरे दिन ही निकला सफेद धुआं
7 मई को शुरू हुए गोपनीय कॉन्क्लेव के दूसरे दिन, जैसे ही सिस्टीन चैपल की चिमनी से सफेद धुआं निकला, पूरे वेटिकन में खुशी की लहर दौड़ गई। यह संकेत था कि नए पोप का चुनाव हो चुका है। इसके बाद कार्डिनल प्रोटोडीकन दोमिनिक मैम्बर्ती ने अबेमुस पापम (हमें पोप मिला) की घोषणा की। दरअसल सफेद धुआं निकलना एक सांकेतिक प्रक्रिया है जिसमें पोप को चुनाव होता है।
69 साल के रॉबर्ट प्रीवोस्ट बने पोप लियो 14वें
रॉबर्ट प्रीवोस्ट को 133 कार्डिनल्स के मतों से चुना गया, जिनमें से 83 से अधिक वोट उनके पक्ष में पड़े। दो-तिहाई बहुमत प्राप्त कर उन्होंने 267वें पोप के रूप में पद संभाला। 1900 के बाद यह पांचवीं बार है जब दो दिन में नया पोप चुना गया।
डरो मत, प्रेम के साथ जीयो
सेंट पीटर्स बेसिलिका की बालकनी से जनता को संबोधित करते हुए पोप लियो 14वें ने स्पेनिश भाषा में कहा कि शांति आपके साथ हो। सभी के हृदय में करुणा और प्रेम का भाव हो। उन्होंने मिशनरी के तौर पर काम करने वालों की सराहना की। नए पोप ने कहा कि वे उन सभी लोगों के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं जो बिना डर के यीशु का प्रचार करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वो पोप फ्रांसिस की तरह ही लोगों को आशीर्वाद देना चाहते हैं।
पोप फ्रांसिस को दी श्रद्धांजलि, जताया आभार
21 अप्रैल को पोप फ्रांसिस के निधन के बाद यह पद रिक्त हुआ था। पोप लियो 14वें ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वे फ्रांसिस की विरासत को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कॉन्क्लेव में भाग लेने वाले सभी कार्डिनल्स को धन्यवाद दिया।
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13वीं सदी से चली आ रही परंपरा
कॉन्क्लेव की परंपरा 13वीं शताब्दी से चली आ रही है। वेटिकन संविधान के अनुसार, किसी पोप के निधन के 15 से 20 दिनों के भीतर नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होती है। वोटिंग से पहले हर कार्डिनल गोपनीयता की शपथ लेता है, ताकि चुनाव निष्पक्ष और धार्मिक मर्यादा में हो।
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45 हजार से ज्यादा लोगों ने मनाया उत्सव
जैसे ही घोषणा हुई, सेंट पीटर्स स्क्वायर में मौजूद हजारों श्रद्धालुओं ने तालियों की गूंज से स्वागत किया। लोग एक-दूसरे को गले लगाकर बधाई दे रहे थे। यह दृश्य एक विश्वव्यापी धार्मिक उत्सव जैसा था, जहां हर आँख में उम्मीद और आस्था की चमक थी।
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