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new-pope-selection Photograph: (thesotr)
पोप फ्रांसिस की स्वास्थ्य स्थिति गंभीर बनी हुई है, जिसके बाद चर्च में नए पोप के चयन की संभावना पर चर्चा हो रही है। अगर पोप फ्रांसिस स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देते हैं या उनका निधन होता है, तो नए पोप का चुनाव करना जरूरी होगा। लेकिन सवाल यह उठता है कि यह चुनाव कैसे किया जाता है और काले-सफेद धुएं का क्या रोल है?
7 मई को होगा नए पोप का चुनाव
पोप फ्रांसिस का 21 अप्रैल को 88 साल की उम्र में निधन हो गया था। पोप का अंतिम संस्कार शनिवार को किया गया। अब नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। 7 मई को 135 कार्डिनल्स एक बैठक में शामिल होंगे, जिसमें नए पोप के चुनाव पर चर्चा की जाएगी।
यह चुनाव एक सीक्रेट कॉन्क्लेव (Secret Conclave) में होगा, जिसे रोमन कैथोलिक चर्च की सबसे पुरानी और सबसे गोपनीय चुनावी प्रक्रिया माना जाता है। इस चुनाव में सिर्फ 80 साल से कम उम्र के कार्डिनल्स भाग लेते हैं, और चुनाव की सभी बातें पूरी तरह से गोपनीय रखी जाती हैं।
पोप के चुनाव की प्रक्रिया
पोप के चुनाव की प्रक्रिया को ‘पैपल कॉनक्लेव’ ((Papal Conclave) कहा जाता है। जब पोप की मृत्यु होती है या वे इस्तीफा देते हैं, तो कार्डिनल्स एक साथ मिलकर नए पोप का चुनाव करते हैं। कार्डिनल्स कैथोलिक चर्च के उच्चतम पादरी होते हैं और इनका मुख्य कार्य पोप को सलाह देना है। हालांकि, पोप बनने के लिए कार्डिनल होना जरूरी नहीं है, लेकिन अब तक हर पोप को चुनाव से पहले कार्डिनल के पद पर नियुक्त किया गया है।
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कॉन्क्लेव की शुरुआत
कॉन्क्लेव का पहला दिन विशेष प्रार्थना सभा से शुरू होता है। इसके दौरान सभी कार्डिनल्स एक कमरे में एकजुट होते हैं और पवित्र किताब पर हाथ रखकर यह शपथ लेते हैं कि वे चुनाव से जुड़ी कोई भी जानकारी बाहर नहीं लाएंगे। इसके बाद, कमरे को बंद कर दिया जाता है और सीक्रेट तरीके से वोटिंग शुरू होती है।
काले और सफेद धुएं का संबंध
जब वोटिंग खत्म हो जाती है, तो बैलेट को जला दिया जाता है। इसके बाद धुएं का रंग यह बताता है कि चुनाव का क्या परिणाम हुआ-
- काले धुएं (Black Smoke): जब नए पोप का चुनाव नहीं होता, तो काले धुएं का संकेत मिलता है।
- सफेद धुआं (White Smoke): जब नया पोप चुन लिया जाता है, तो सफेद धुआं निकलता है, जिससे सभी को यह जानकारी मिलती है कि नया पोप चयनित हो गया है।
क्यों दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होती है?
1159 में हुए एक चुनाव के दौरान एक साथ दो पोप चुन लिए गए थे, जो चर्च में गहरे विवाद का कारण बने। इससे सीखते हुए, पोप चुनाव के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत रखी गई, ताकि चर्च में ज्यादा सहमति रहे। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि नया पोप सभी कार्डिनल्स की स्वीकृति के बाद ही चुना जाए।
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वोटिंग का तरीका
वोटिंग की प्रक्रिया कई बार दोहराई जाती है, जब तक किसी एक कार्डिनल को दो-तिहाई बहुमत नहीं मिल जाता। अगर तीन दिनों तक चुनाव नहीं होता है, तो एक दिन के लिए वोटिंग रोक दी जाती है। फिर अगले दिन से प्रक्रिया को दोबारा शुरू किया जाता है।
नए पोप के दावेदार...
जब पोप की मृत्यु या इस्तीफे की स्थिति आती है, तो चर्च में नए पोप को चुनने के लिए कई चर्चित दावेदार होते हैं। यहाँ हम नए पोप के चार प्रमुख दावेदारों के बारे में जानेंगे।
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1. पिएत्रो पारोलिन, इटली (Pietro Parolin, Italy)
- जन्म: 17 जनवरी 1955 (70 साल)
- पद: वेटिकन के राज्य सचिव (2013 से)
पिएत्रो पारोलिन, जो वेटिकन के राज्य सचिव हैं, पोप फ्रांसिस के सबसे करीबी सहयोगी माने जाते हैं। उनका करियर वेटिकन के राजनयिक विंग में है, और वह इस समय कॉन्क्लेव में सर्वोच्च रैंकिंग वाले कार्डिनल हैं। हालांकि, यूरोप से पोप चुने जाने पर कुछ विरोध हो सकता है, खासकर अगर अफ्रीका या एशिया से नए पोप का चुनाव किया जाए।
2. कार्डिनल पीटर टर्कसन, घाना (Cardinal Peter Turkson, Ghana)
- जन्म: 11 अक्टूबर, 1948 (76 साल)
- विशेषता: सामाजिक न्याय, जलवायु परिवर्तन और गरीबी उन्मूलन
कार्डिनल टर्कसन अफ्रीका महाद्वीप से हैं और उनके विचार पोप फ्रांसिस की नीतियों से मेल खाते हैं। वे सामाजिक न्याय और गरीबों के लिए काम करने के पक्षधर हैं। हालांकि, उनकी उम्र को लेकर कुछ संदेह हो सकते हैं, क्योंकि 76 साल की उम्र में पोप बनने के लिए उन्हें युवा विकल्पों के मुकाबले चुनौती मिल सकती है।
3. लुइस एंटोनियो टैग्ले, फिलीपींस (Luis Antonio Tagle, Philippines)
- जन्म: 21 जून 1957 (67 साल)
- विशेषता: एशिया में लोकप्रिय
लुइस एंटोनियो टैग्ले को 'एशिया का फ्रांसिस' कहा जाता है। वह युवा पीढ़ी में बेहद लोकप्रिय हैं और उनके करिश्माई व्यक्तित्व के कारण वे पोप बनने के लिए मजबूत दावेदार माने जाते हैं। यदि वे पोप बनते हैं, तो वे एशिया के पहले पोप होंगे।
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4. कार्डिनल मैटियो जुप्पी, इटली (Cardinal Matteo Zuppi, Italy)
- जन्म: 11 अक्टूबर 1955 (69 साल)
- विशेषता: वेटिकन सिटी के साथ वैश्विक कूटनीतिक संबंध
कार्डिनल मैटियो जुप्पी, जो इटली के प्रभावशाली कार्डिनल हैं, पोप फ्रांसिस के करीबी सहयोगी माने जाते हैं। वे वेटिकन की तरफ से कई वैश्विक कूटनीतिक यात्राओं पर भेजे गए हैं। हालांकि, इटली से बार-बार पोप चुने जाने पर आलोचना हो सकती है, जिससे उनका दावा कमजोर हो सकता है।
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