उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शुरू होने वाला महाकुंभ का मेला आजकल सुर्खियों में है। अगले साल 13 जनवरी से शुरू होने वाले इस मेले की तैयारियां फाइनल स्टेज पर हैं। लेकिन आरोप लग रहे हैं कि ‘विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन’ को कुशलता पूर्वक संपन्न करने के लिए शुरू की गई 430 योजनाओं में से करीब एक तिहाई योजनाएं अभी भी देरी से चल रही हैं। इसके चलते इसके सफल आयोजन को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। अगले साल ही 26 फरवरी तक चलने वाले इस महाकुंभ के मेले में करीब 25 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।
प्रयागराज महाकुंभ के पेशवाई और शाही स्नान का नाम बदला
महाकुंभ के लिए 430 योजनाएं
वर्ष 2019 में जब जब प्रयागराज में कुंभ का आयोजन किया गया था तो उस वक्त इस मेले की सफल व्यवस्था को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उनकी सरकार की खासी सराहना हुई थी। अब भी उम्मीद की जा रही है कि अगले साल होने वाले इस महाकुंभ को लेकर योगी सरकार अपनी कुशलता का परिचय देगी। लेकिन मामला कुछ गड़बड़ाता नजर आ रहा है। ‘इंडिया टुडे’ ने इस मसले को लेकर पड़ताल की है और जानकारी दी है कि 12 वर्ष में एक बार होने वाले दुनिया के इस सबसे बड़े धार्मिक आयोजन के लिए 8 हजार करोड़ रुपये की लागत से 430 योजनाएं मंजूर की गई थीं। माना जा रहा है कि इस बार प्रयागराज के इस महाकुंभ में अखाड़ों, साधु-संतों सहित भारत व दुनिया के करीब 25 करोड़ श्रद्धालु पवित्र संगम पर डुबकी लगाएंगे। लेकिन क्या उन्हें वे सहूलियतें मिल पाएंगी, जिसे देने के लिए योगी सरकार जानी जाती है।
करीब 150 योजनाएं देरी से चल रही हैं
सूत्र बताते हैं कि शासन की ओर से शासन की ओर से यह लक्ष्य रखा गया था कि करोड़ों रुपये की इन सभी परियोजनाओं को इस साल दिसंबर के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। अब महाकुंभ शुरू होने में करीब आठ सप्ताह का समय बाकी है लेकिन कहा जा रहा है कि 450 परियोजनाओं मे करीब 150 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं। इनमें ‘रेड जोन’ में आने वाली परियोजनाओं में प्रयागराज विकास प्राधिकरण (PDA) की 38, सिंचाई विभाग की 66 और लोक निर्माण विभाग (PWD) की 18 परियोजनाएँ शामिल बताई जा रही हैं।
क्या तैयार हो पाएंगे सभी 30 पंटून पुल
बताते हैं कि इन परियोजनाओं में देरी की एक मिसाल संगम स्थल पर 30 पंटून पुलों के निर्माण की है, जिसकी लागत 100 करोड़ रुपये है। रायपुर, छत्तीसगढ़ की पांच लकड़ी की कंपनियों को 9,300 क्यूबिक मीटर सालवुड के स्लीपर सप्लाई करने का ठेका दिया गया था, जिन्हें 5 नवंबर तक पहुंचाना था। लेकिन अब तक 50 प्रतिशत से भी कम स्लीपर पहुंचे हैं। बताते हैं कि इन परियोजनाओं के कामकाज को लेकर सीएम योग ने पिछले माह की शुरुआत में प्रयागराज का दौरा किया था और अधिकारियों को कड़ी चेतावनी दी थी। कोताही बरतने पर 16 इंजीनियरों को लापरवाही और गड़बड़ी के लिए नोटिस दिए गए हैं। इस मसले पर प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता अजीत सिंह कहते हैं कि सरकार को कुंभ के तिथियों का पता था, तो उन्हें उसी हिसाब से योजना बनानी चाहिए थी। अब वे काम को जल्दी-जल्दी कर रहे हैं और गुणवत्ता की कोई गारंटी नहीं है। यह महाकुंभ में एक बड़ी घोटाले की स्थिति बन रही है।
इन योजनाओं को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं
मुख्यमंत्री योगी ने अब 2019 के मेला अधिकारी आईएएस विजय किरन आनंद को वापस लाकर काम की गति बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी है। 20 अन्य शीर्ष नौकरशाहों और आठ राज्य मंत्रियों को भी परियोजनाओं की दैनिक प्रगति की निगरानी के लिए शामिल किया गया है। इसके बावजूद एक बात लगभग तय मानी जा रही है कि सभी परियोजनाएँ तय समय पर पूरी नहीं होंगी। कुछ प्रमुख परियोजनाएं जो देरी का सामना कर रही हैं, उनमें फफमऊ से सिविल लाइंस तक गंगा नदी पर बनने वाला छह लेन का पुल, प्रयागराज हवाई अड्डे पर नया टर्मिनल भवन, संगम में तीन कंक्रीट घाटों का निर्माण, प्रयागराज में सिविल लाइंस और जीरो रोड बस अड्डे का पुनर्विकास, प्रयागराज रेलवे टर्मिनस का 1,000 करोड़ रुपये का विस्तार, और प्रयागराज-रेवा हाईवे पर पालपुर से सहसोन बाइपास तक 29 किलोमीटर लंबी रिंग रोड शामिल हैं।
अलग ही ‘रंगत’ होगी इस बार महाकुंभ की: शासन
वैसे सरकार दावा कर रही है कि यह आयोजन पहले की तरह की सफल होगा और इसके लिए कई व्यवस्थाएं की गई हैं। यातायात से लेकर सुरक्षा तक के पुख्ता इंतजाम हो रहे हैं। लगभग एक हजार ट्रेनें, विभिन्न एयरपोर्ट से 250 फ्लाइट्स, सात हजार बसें चलेंगी। 20 लाख से ज्यादा निजी वाहनों के लिए 120 पार्किंग स्थल बनाए जा रहे हैं। शासन का कहना है कि इसके अलावा सड़कों, चौराहों को बेहतरीन किया जा रहा है। ओवरब्रिज, अंडरब्रिज और फ्लाइओवर तैयार हो रहे हैं। पहली बार महाकुंभ में गूगल नेविगेशन का प्रयोग किया जाएगा। महाकुंभ की भव्यता और दिव्यता को देखते हुए गूगल ने अपनी पॉलिसी बदलते हुए पहली बार किसी अस्थायी शहर को नेविगेशन (दिशा का निर्धारण) के लिए जोड़ा है। इसके अलावा मेला एप से भी श्रद्धालुओं को सुविधा मिल सकेगी। महाकुंभ मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि महाकुंभ के तीनों शाही स्नान पर्वों पर 12 से 13 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है।
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