गणतंत्र दिवस: देश के नाम राष्ट्रपति मुर्मू का संबोधन, बोलीं- संविधान हमारी सामूहिक अस्मिता का मूल आधार

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित किया और देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने हमारा संविधान एक जीवंत दस्तावेज है, जो हमारी सामाजिक अस्मिता का मूल आधार है।

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Vikram Jain
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President Draupadi Murmu addressed the nation on Republic Day

गणतंत्र दिवस 2025। Photograph: (the sootr)

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NEW DELHI. 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या (शनिवार 25 जनवरी) पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश को संबोधित किया। इस दौरान, राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता संग्राम के महान बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की और जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती का उल्लेख किया। उन्होंने यह भी कहा कि बिरसा मुंडा के योगदान को अब सही रूप में मान्यता मिल रही है, जिससे उनकी महत्ता को सराहा जा रहा है। अपने संबोधन की शुरुआत में राष्ट्रपति ने देशवासियों को गणतंत्र दिवस की बधाई दी।

भारतीय संविधान एक जीवंत दस्तावेज

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि हमारा संविधान एक जीवंत दस्तावेज है, जो हमारी सामाजिक अस्मिता का मूल आधार है। किसी राष्ट्र के इतिहास में 75 साल का इतिहास पलक झपकने के समान होता है। लेकिन भारत को लेकर ऐसा नहीं कहा जा सकता है। इस काल खंड में भारत की चेतना जागी। इस ऐतिहासिक अवसर पर देश को संबोधित करते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने औपनिवेशिक मानसिकता को बदलने के प्रयासों को सराहा और बताया कि हाल के वर्षों में इस मानसिकता को समाप्त करने के ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। राष्ट्रपति ने भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलकर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू करने के निर्णय को बहुत ही उल्लेखनीय कदम बताया। इस कदम से आपराधिक न्याय प्रणाली के केंद्र में न्याय की भावना और भारतीय परंपराओं को अहमियत दी जाएगी। इसके साथ ही राष्ट्रपति मुर्मू ने वन नेशन वन इलेक्शन से जुड़ी सरकार की पहल को ‘साहसपूर्ण दूरदर्शिता’ का प्रयास बताया। जानें राष्ट्रपति के संबोधन के मुख्य बिंदु... 

बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती

राष्ट्रपति मुर्मू ने बिरसा मुंडा की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनके योगदान को अब सही तरीके से मान्यता मिल रही है। बिरसा मुंडा ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जनजातीय समुदाय को जागरूक किया और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया। उन्होंने कहा कि आज हमें उन वीरों को याद करना चाहिए जिन्होंने देश की आजादी के लिए के लिए अपने प्राणों का बलिदान किया। कुछ के नाम प्रसिद्ध हुए तो कुछ को अब पहचान मिली। कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का योगदान अब लोगों के सामने आया है।

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एक राष्ट्र, एक चुनाव की पहल

राष्ट्रपति मुर्मू ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के प्रस्ताव को ‘साहसपूर्ण दूरदर्शिता’ का एक कदम बताया। इससे न केवल सुशासन में निरंतरता आएगी, बल्कि संसाधनों का बेहतर उपयोग और वित्तीय बोझ को कम करने में भी मदद मिलेगी। इस प्रस्ताव पर संसद में विचार चल रहा है और इसके लिए संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024 को बीते शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में पेश किया गया था। इन पर विचार करने के लिए संसद की 39 सदस्यीय संयुक्त समिति का गठन किया गया।

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औपनिवेशिक मानसिकता को बदलने के प्रयास

राष्ट्रपति ने भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलने का सरकार के फैसले का स्वागत किया। इन बदलावों से भारतीय न्यायिक परंपराओं को बल मिलेगा और एक नई दिशा में देश को न्याय मिलेगा।

सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण

राष्ट्रपति ने भारत की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं के संरक्षण के लिए किए गए प्रयासों को भी सराहा। उन्होंने उदाहरण देते हुए महाकुंभ की बात की, जिसे हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के रूप में देखा जा सकता है। इसके अलावा, राष्ट्रपति ने हाशिए पर पड़े समुदायों, खासकर अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को बेहतर जीवन और मदद प्रदान करने के लिए सरकार की योजनाओं की सराहना की।

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महात्मा गांधी के आदर्शों का उल्लेख

राष्ट्रपति ने महात्मा गांधी के सत्य और अहिंसा के आदर्शों का उल्लेख करते हुए कहा कि अगर हम भारत को सही दिशा में आगे बढ़ाना चाहते हैं, तो हमें इन मूल्यों का पालन करना होगा। उन्होंने सभी भारतीय नागरिकों से अपील की कि वे जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संघर्ष में अपना योगदान दें और पर्यावरण संरक्षण के लिए एकजुट हों।

गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता संग्राम की 75वीं वर्षगांठ

राष्ट्रपति मुर्मू ने भारत के संविधान की 75वीं वर्षगांठ का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि देश ने स्वतंत्रता प्राप्ति के समय गरीबी और भुखमरी का सामना किया था, लेकिन आज भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ राष्ट्र बन चुका है। स्वतंत्रता संग्राम के महान नेताओं के योगदान के कारण ही आज भारत एक मजबूत लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में उभरा है।

महिला सशक्तिकरण और लोकतांत्रिक मूल्यों पर जोर

राष्ट्रपति ने यह भी बताया कि संविधान सभा में महिलाओं को सक्रिय रूप से भाग लेने का अवसर मिला, जबकि उस समय विश्व के कई हिस्सों में महिलाओं को समान अधिकार नहीं मिल रहे थे। इस संदर्भ में उन्होंने भारतीय संविधान के सिद्धांतों और महिला सशक्तिकरण पर चर्चा की। राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान सभा के उन महान नेताओं को भी याद किया जिन्होंने हमारे देश के लोकतांत्रिक मूल्यों की नींव रखी थी।

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