Republic Day 2025 : 26 जनवरी को भारत में गणतंत्र दिवस बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन भारतीय संविधान के लागू होने का दिन है, जिसने 1950 में भारत को एक गणराज्य बना दिया। इस दिन देशभर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ परेड का आयोजन भी होता है। गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में तीन सेनाओं की परेड होती है, और 21 तोपों की सलामी दी जाती है। साथ ही देशभर के अलग-अलग राज्यों की खूबसूरत झांकियां भी देखने को मिलती हैं। यह दिन हर भारतीय के लिए बेहद खास होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है परेड की शुरुआत कब से हुई, यह परेड सिर्फ दिल्ली में ही क्यों होती है। आइए इसके इतिहास पर एक नजर डालते हैं।
/sootr/media/post_attachments/f61fcbe1-e7f.jpg)
भारत की पहली गणतंत्र दिवस परेड
भारत की पहली परेड 26 जनवरी, 1950 को दिल्ली के इर्विन स्टेडियम (अब मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम) में आयोजित की गई थी। उस दिन परेड देखने के लिए दिल्ली में लाखों लोग इकट्ठा हुए थे। बताया जाता है कि रायसीना हिल से इर्विन स्टेडियम तक लाखों लोग एक साथ उमड़ आए थे, यहां सिर्फ लोगों के सिर ही नजर आ रहे थे। उस दिन भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के सैनिकों ने अपनी ताकत, शौर्य और सैन्य प्रदर्शन का शानदार उदाहरण पेश किया था।
/sootr/media/post_attachments/fd1b4c2b-122.jpg)
गणतंत्र दिवस विशेष : इस देश को 6 सेकंड का भी इंतजार नहीं…
राजपथ पर परेड की शुरुआत
1955 में गणतंत्र दिवस परेड को राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर शिफ्ट कर दिया गया। तब से यह सेना की परेड हर साल कर्तव्य पथ पर आयोजित की जाती है, जहां सेना की टुकड़ियां कदमताल करते हुए देशवासियों के सामने अपनी शक्ति और अनुशासन का प्रदर्शन करती हैं।
/sootr/media/post_attachments/0e5961dc-7e7.jpg)
परेड का उद्देश्य और महत्व
गणतंत्र दिवस परेड का मुख्य उद्देश्य भारतीय सैन्य बलों की ताकत, रक्षा और हथियारों का प्रदर्शन करना है। इस दिन सैन्य उपकरणों और वाहनों का प्रदर्शन किया जाता है, जिससे यह दर्शाया जाता है कि भारतीय सेना किसी भी आपात स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसके अलावा, परेड में विभिन्न राज्यों की झांकियां भी निकाली जाती हैं, जो देश की सांस्कृतिक विविधता और विशिष्टता को दर्शाती हैं। गणतंत्र दिवस परेड भारतीय संविधान और देश की सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान करती है, और यह एकता और अखंडता का प्रतीक बनती है। जिसे देख देशवासियों को बहुत गर्व होता है।
/sootr/media/post_attachments/5e9aae32-fe7.jpg)
गणतंत्र दिवस 2025 : भारत के विकास में 10 सबसे बड़ी चुनौतियां और समाधान
ब्रिटिश काल और परेड की परंपरा
भारत में परेड की परंपरा ब्रिटिश काल के दौरान भी थी। ब्रिटिश सरकार ने अपनी शक्ति और ताकत का प्रदर्शन करने के लिए ऐसी परेडों का आयोजन किया था। ब्रिटिश भारतीयों के अलावा, यह परेड पुर्तगाल और फ्रांस के समक्ष अपनी ताकत का प्रदर्शन करने के लिए भी आयोजित की जाती थी। अंग्रेज जब भारत से गए तो अपनी कुछ चीजें यहीं छोड़ गए उन्होंने भारत को सैनिक परेड सौंपी थी।
/sootr/media/post_attachments/a8822151-88b.jpg)
गणतंत्र दिवस पर 22 पुलिस अफसरों को मिलेगा राष्ट्रपति पदक
मुख्य अतिथि की परंपरा
गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि को आमंत्रित करने की परंपरा की शुरुआत 1950 में हुई थी, जब इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बने थे। इस परंपरा के तहत हर साल एक प्रमुख विदेशी नेता को गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इस बार भी इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियान्तो गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे।
/sootr/media/post_attachments/e5368555-f03.jpg)
परेड का सामाजिक और राष्ट्रीय महत्व
गणतंत्र दिवस परेड भारतीय समाज की विविधता और एकता का प्रतीक है। यह देशवासियों को भारतीय संस्कृति, सेना की शक्ति और भारत के संविधान का सम्मान करने की प्रेरणा देती है। साथ ही यह हमें यह याद दिलाती है कि हम सभी को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाना है, ताकि हम एक मजबूत और आत्मनिर्भर देश के रूप में उभर सकें।
/sootr/media/post_attachments/81aade7f-56c.jpg)
21 तोपों की सलामी
गणतंत्र दिवस हो, स्वतंत्रता दिवस हो या कोई और खास मौका, इन मौकों पर 21 तोपों की सलामी देने का रिवाज हमेशा से रहा है। ब्रिटिश काल से चली आ रही यह परंपरा करीब 150 साल पुरानी है। हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रगान की धुन पर 21 तोपों की सलामी दी जाती है। इन सभी तोपों की सलामी 52 सेकेंड के अंदर दी जाती है यानी कि हर 2.5 सेकेंड में एक बार तोप दागी जाती है।
/sootr/media/post_attachments/b3092f8e-ec9.jpg)
गणतंत्र दिवस के मौके पर स्काई फोर्स का सिनेमाघरों में जलवा