गणतंत्र दिवस विशेष : इस देश को 6 सेकंड का भी इंतजार नहीं…

Republic Day 2025: नागरिक बोध, जो किसी भी लोकतंत्र की आत्मा है, कहीं न कहीं कमजोर पड़ता दिखता है। यह कमजोरी विशेष रूप से हमारे ट्रैफिक नियमों और सड़क सुरक्षा के प्रति लापरवाह रवैये में झलकती है।

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CHAKRESH
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chakresh mahobiya Photograph: (thesootr.com)

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Republic Day: 26 जनवरी 2025, भारत का 76वां गणतंत्र दिवस, न केवल हमारे संविधान की ताकत का जश्न मनाने का दिन है, बल्कि एक राष्ट्र के रूप में हमारी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों पर चिंतन करने का भी अवसर है। भारतीय संविधान ने हमें एक स्वतंत्र, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित किया। यह हमारे नागरिक अधिकारों की रक्षा करता है और हमें समानता, स्वतंत्रता और न्याय का वादा करता है। बुरे से बुरे हालात में संविधान तो अपना वादा निभा रहा है, मगर क्या एक नागरिक के रूप में हम भी ऐसा कर पा रहे हैं? कभी सोचा है- एक देश के रूप में हम कैसे लोग हैं?

आखिर कहां पहुंचना चाहते हैं?

जरा सोचिए, देश के किसी भी शहर में, किसी भी चौराहे के सिग्लन पर आप खड़े हैं। ये इंतजार शायद जीवन के सबसे बैचेन करने वाला होता है। आप मन मारकर लालबत्ती होने पर रुके हैं। अंदर इतनी बैचेनी है कि एक मिनट के लिए गाड़ी बंद नहीं कर सकते। बार- बार क्लिच के साथ एक्सीलेटर खींच रहे हैं। 10, 9, 8, 7 और 6 होते- होते आपके आसपास की गाड़ियां दौड़ पड़ती हैं। आप भी यही करते हैं। बत्ती अभी हरी नहीं हुई थी। पीली बत्ती में ही आप न जाने क्या पाने भागने लगते हैं। सामने जिसकी लाल बत्ती होने वाली है, वो भी पीली बत्ती में ही 10, 9, 8, 7 और 6 होते- होते दौड़ रहा है, कहीं अटक न जाए। आखिर क्या छूटने वाला है, जो ये 6 सेकंड हम सब्र नहीं कर सकते! आखिर कहां पहुंचना चाहते हैं? क्या तो 12-14 साल के बच्चे, क्या युवा और क्या ही अंकल टाइप के लोग, इस 6 सेकंड को बचाने में कोई पीछे नहीं।

नागरिक बोध, जो किसी भी लोकतंत्र की आत्मा है, कहीं न कहीं कमजोर पड़ता दिखता है। यह कमजोरी विशेष रूप से हमारे ट्रैफिक नियमों और सड़क सुरक्षा के प्रति लापरवाह रवैये में झलकती है।

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ट्रैफिक नियमों को तोड़ना हमारी फितरत है

भारत में सड़क हादसे विश्व के किसी भी देश से ज्यादा चिंताजनक हैं। साल 2022 में, भारत में 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 1,68,491 लोगों की मौत हुईं और 4,43,366 लोग घायल हुए। यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि सड़क सुरक्षा के प्रति हमारा रवैया कितना गैर-जिम्मेदार है। मृत्यु दर में लगातार वृद्धि इस बात का प्रमाण है कि हम ट्रैफिक नियमों को गंभीरता से नहीं लेते। गलत दिशा में वाहन चलाना, ओवरस्पीडिंग, शराब पीकर गाड़ी चलाना, और हेलमेट व सीट बेल्ट का उपयोग न करना जैसे कारण इन हादसों को बढ़ावा देते हैं।

तीन फीसदी GDP खा जाती है ये आदत

हमारी लापरवाही न केवल व्यक्तिगत जीवन को खतरे में डालती है, बल्कि राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक ढांचे को भी प्रभावित करती है। आईआईटी दिल्ली के एक अध्ययन के अनुसार, सड़क हादसों के कारण भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 3.14% खोता है। यह नुकसान चिकित्सा खर्च, उत्पादकता की हानि और अन्य कारकों से होता है। इसके अतिरिक्त, परिवारों पर पड़ने वाला मानसिक और आर्थिक दबाव, जिसे आंकड़ों में मापा नहीं जा सकता, असहनीय होता है।

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सोचें, यदि अगले 10 साल ट्रैफिक नियमों का पालन हो तो

कल्पना कीजिए कि यदि अगले 10 सालों तक भारत के नागरिक ट्रैफिक नियमों का पूरी तरह से पालन करें, तो क्या हो सकता है:

सड़क हादसों में भारी कमी: लाखों जीवन बच सकते हैं। सड़क दुर्घटनाओं में कमी आने से स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव कम होगा।

आर्थिक लाभ: GDP का बड़ा हिस्सा सड़क हादसों से होने वाले नुकसान से बच सकता है। यह धन शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों में निवेश किया जा सकता है।

परिवारों की सुरक्षा: परिवारों को अनावश्यक मानसिक और आर्थिक संकट से बचाया जा सकेगा।

सामाजिक अनुशासन: ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूकता अन्य क्षेत्रों में भी अनुशासन लाने में मदद करेगी।

वैश्विक छवि में सुधार: भारत को एक जिम्मेदार और आधुनिक राष्ट्र के रूप में देखा जाएगा।

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कहां चूक रहे हैं हम?

दरअसल, हमारे राष्ट्र में समस्या नियमों की कमी की नहीं है, बल्कि उन्हें लागू करने और पालन करने की इच्छाशक्ति की कमी है।

लापरवाही: लोग नियमों को तोड़ने को सामान्य मानते हैं।

कमजोर प्रवर्तन: ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन नहीं कराया जाता।

शिक्षा और जागरूकता की कमी: लोग सड़क सुरक्षा के महत्व को समझते ही नहीं।

सामाजिक जिम्मेदारी का अभाव: हम अपनी जिम्मेदारी दूसरों पर डालना पसंद करते हैं।

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आइए इस गणतंत्र दिवस पर लें संकल्प...

गणतंत्र दिवस केवल परेड और झंडारोहण का दिन नहीं है; यह आत्ममूल्यांकन का भी समय है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि हमारा संविधान न केवल हमें अधिकार देता है, बल्कि कर्तव्यों का भी पालन करने की अपेक्षा करता है। ट्रैफिक नियमों का पालन करना एक छोटा कदम लग सकता है, लेकिन इसके प्रभाव दूरगामी और सकारात्मक होंगे। अगर हम नागरिक बोध को पुनर्जीवित कर लें, तो भारत न केवल सड़कों पर बल्कि हर क्षेत्र में एक अनुशासित और प्रगतिशील राष्ट्र बन सकता है। इस गणतंत्र दिवस पर, आइए संकल्प लें कि हम अपने कर्तव्यों को समझेंगे और अपने राष्ट्र को सुरक्षित और समृद्ध बनाने में योगदान देंगे।

 

गणतंत्र दिवस विचार मंथन द सूत्र यातायात नियम विचार मंथन Republic Day सड़क सुरक्षा और सावधानी चक्रेश महोबिया