Republic Day: पहले गणतंत्र दिवस की ऐतिहासिक झलक: घोड़े, बग्गियां और सादगी से भरा जश्न

26 जनवरी, 1950 को भारत ने अपना पहला गणतंत्र दिवस मनाया, जब डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और संविधान लागू हुआ। इस दिन का जश्न इर्विन स्टेडियम में घोड़े, बग्गियों और सादगी भरे माहौल में मनाया गया था।

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Vikram Jain
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गणतंत्र दिवस 2025।

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Republic Day 2025: भारत इस साल 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। 26 जनवरी का यह दिन हर भारतीय के लिए गौरव का प्रतीक है। 1950 में इसी दिन देश का संविधान लागू हुआ और भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बना। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पहला गणतंत्र दिवस कैसा रहा होगा?

संविधान लागू होने की ऐतिहासिक घड़ी

आजादी के बाद भारत को सही दिशा में आगे बढ़ाने के लिए संविधान की आवश्यकता थी। दो साल 11 महीने और 18 दिनों की मेहनत के बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान तैयार हुआ। इसे 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया, जिससे भारत एक गणराज्य बन गया।

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देश को मिला पहला राष्ट्रपति

26 जनवरी, 1950 का दिन इसलिए भी ऐतिहासिक था क्योंकि इस दिन डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। उन्हें तत्कालीन चीफ जस्टिस हीरालाल कनिया ने शपथ दिलाई थी, इसके बाद राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने हिंदी और अंग्रेजी में भाषण दिया था, उनकी अगुवाई में संविधान लागू हुआ और भारतीय लोकतंत्र ने अपनी नींव मजबूत की। 

पहले गणतंत्र दिवस का आयोजन

1950 में पहला गणतंत्र दिवस समारोह दिल्ली के इरविन स्टेडियम में मनाया गया था, जिसे अब मेजर ध्यानचंद स्टेडियम के नाम से जाना जाता है। इस आयोजन में घोड़े और बग्गियां देखने को मिलीं, जो उस समय के उत्सव की सादगी और संस्कृति को दर्शाती थीं। इसके बाद 60 के दशक में गणतंत्र दिवस के समारोह में परेड के साथ-साथ झांकियां भी नजर आने लगी।

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कैसे मनाया गया था पहला गणतंत्र दिवस?

पहले गणतंत्र दिवस का जश्न आज के भव्य समारोहों से बेहद अलग था। राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इरविन स्टेडियम में झंडा फहराया और देशभर में उत्साह और गर्व का माहौल बन गया। समारोह में शामिल घोड़े और बग्गियां उस दौर के साधारण लेकिन शाही अंदाज को दर्शाती थीं। शुरुआत में इस समारोह को मनाने के लिए कोई जगह तय नहीं थी।

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गणतंत्र दिवस का महत्व

गणतंत्र दिवस न केवल हमारे संविधान की ताकत का प्रतीक है, बल्कि यह हर भारतीय को अपने देश की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों की याद दिलाता है। यह दिन हमें हमारी आजादी की लंबी लड़ाई और हमारे महान नेताओं की कुर्बानियों को भी याद दिलाता है। पहला गणतंत्र दिवस न केवल एक ऐतिहासिक क्षण था, बल्कि यह भारत की लोकतांत्रिक यात्रा की शुरुआत भी थी।

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हालांकि, वर्तमान में इस समारोह को कर्तव्य पथ (पहले राजपथ) पर आयोजित किया जाता है। सबसे पहले साल 1955 में कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन किया गया था, जो आज तक जारी है। आज गणतंत्र दिवस परेड नई दिल्ली के कर्तव्य पथ (पहले राजपथ) पर होती है। इसमें भारत की सैन्य ताकत, सांस्कृतिक विविधता और आधुनिक उपलब्धियां प्रदर्शित की जाती हैं। राज्यों की झांकियां, विदेशी मेहमानों का स्वागत और राष्ट्रपति का भाषण, यह सब मिलकर गणतंत्र दिवस को एक भव्य आयोजन बनाते हैं।

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