/sootr/media/media_files/2025/12/02/prime-ministers-office-2025-12-02-23-33-17.jpg)
Photograph: (THESOOTR)
NEW DELHI. प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदला: प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का नाम अब ‘सेवा तीर्थ’ रखा जाएगा। यह महत्वपूर्ण कदम सरकार के प्रशासनिक सुधार और जनता की सेवा के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह बदलाव देश के सार्वजनिक संस्थानों में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है। ‘सेवा तीर्थ’ नाम से प्रधानमंत्री कार्यालय की नई पहचान बनेगी, जो कि सरकारी कामकाज में सेवा और कर्तव्य को प्रमुखता देती है।
भारत सरकार का ऐतिहासिक निर्णय
भारत सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदलकर 'सेवा तीर्थ' रखने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इस बदलाव के साथ ही सरकार ने यह संदेश दिया है कि अब प्रशासन में सेवा और जिम्मेदारी को प्राथमिकता दी जाएगी। यह नाम परिवर्तन भारत की लोकतांत्रिक छवि और शासन की कार्यशैली को नया रूप देने का प्रतीक है।
ये खबर भी पढ़ें...
मौसम पूर्वानुमान (3 दिसंबर) : मध्यप्रदेश में शीतलहर, महाराष्ट्र और राजस्थान में हल्की बारिश की संभावना
नाम परिवर्तन का महत्व क्या है?
'सेवा तीर्थ' नाम का परिवर्तन सिर्फ एक नाम नहीं है, बल्कि यह शासन की कार्यशैली में बदलाव का संकेत है। यह नाम परिवर्तन भारत के प्रशासनिक केंद्रों को अधिक जनता केंद्रित और सेवा-प्रधान बनाने के लिए किया गया है। इसका उद्देश्य सरकारी संस्थानों से औपनिवेशिक धरोहर और शक्ति के प्रतीकों को हटाकर सेवा और कर्तव्य के प्रतीकों को स्थापित करना है।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट और सेवा तीर्थ का संबंध
इस नाम परिवर्तन का संबंध सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट से भी है, जिसमें प्रधानमंत्री कार्यालय अब ‘सेवा तीर्थ’ के नाम से नए परिसर में स्थित होगा। इस नए परिसर को पहले 'एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव' के नाम से जाना जाता था, और यहां केंद्रीय सचिवालय, कैबिनेट सचिवालय और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद भी होंगे।
ये खबर भी पढ़ें...
200 साल बाद दंडकर्म पारायणम् करने वाले देवव्रत महेश रेखे कौन हैं, जिनके लिए पीएम मोदी ने किया ट्वीट
प्रधानमंत्री मोदी का प्रशासनिक दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा से सार्वजनिक संस्थानों के नामों और उनके प्रतीकों को बदलने का समर्थन किया है। उनका उद्देश्य देश की छवि को एक सशक्त, जिम्मेदार और जनता से जुड़ी सरकार के रूप में प्रस्तुत करना है। 2016 में, प्रधानमंत्री ने अपने आवास का नाम 7, रेस कोर्स रोड से बदलकर 7, लोक कल्याण मार्ग किया, जो इस दिशा में पहला कदम था।
'सेवा तीर्थ' से शासन में बदलाव
प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदलकर 'सेवा तीर्थ' रखना सिर्फ एक प्रतीकात्मक कदम नहीं है, बल्कि यह एक गहरी सोच और शासन की कार्यशैली में परिवर्तन को दर्शाता है। यह बदलाव सत्ता और शक्ति के प्रतीकों को हटाकर सेवा और कर्तव्य के प्रतीकों को केंद्र में लाने का प्रयास है।
ये खबर भी पढ़ें...
अब हर मोबाइल फोन में जरूरी होगा Sanchar Saathi App, जानें क्यों यह ऐप है जरूरी
प्रधानमंत्री मोदी के शासन में सार्वजनिक संस्थानों में बदलाव...
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के सार्वजनिक संस्थानों को पुनः परिभाषित करने का कार्य किया है। इस दिशा में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं-
प्रमुख सार्वजनिक संस्थानों के नामों का परिवर्तन
प्रधानमंत्री मोदी ने औपनिवेशिक नामों को बदलने का कार्य शुरू किया। पीएमओ का नाम बदलकर ‘सेवा तीर्थ’ रखना इसका एक उदाहरण है। इससे पहले, राजभवन का नाम बदलकर लोकभवन किया गया, जो जनता के प्रति सरकार के दृष्टिकोण को दर्शाता है।
ये खबर भी पढ़ें...
अब घर बैठे मिनटों में पता करें अपना SIR form status, जानें स्टेटस चेक करने का आसान तरीका
सेवा और जिम्मेदारी को प्राथमिकता देना
प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण में शासन का उद्देश्य अब सेवा और जिम्मेदारी है। यह नाम परिवर्तन ‘सेवा तीर्थ’ द्वारा यह संदेश देता है कि सरकारी संस्थान अब केवल सत्ता और शक्ति का प्रतीक नहीं होंगे, बल्कि ये संस्थान जनता की सेवा और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने में अपनी भूमिका निभाएंगे।
सेंट्रल विस्टा और नई पहचान
प्रधानमंत्री कार्यालय का नया स्थान सेंट्रल विस्टा के रूप में पुनर्निर्मित हुआ है। इस परिसर में अब पीएमओ के अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालय भी होंगे। यह नया परिसर एक ऐसा स्थल बनेगा जहां उच्चस्तरीय सरकारी चर्चाएं और निर्णय लिए जाएंगे।
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us