पुणे पोर्श कांड के बाद पुलिस के साथ-साथ प्रशासन का एक्शन भी लगातार जारी है। पुणे शहर में अनुमति के बिना चलाए जा रहे कुछ रेस्टोरेंट और रूफटॉप पब को तोड़ दिया गया है। वहीं नशे में कार चलाकर दो इंजीनियर्स की जान लेने वाले नाबालिग आरोपी के बिल्डर पिता विशाल अग्रवाल समेत 5 को कोर्ट ने हिरासत में भेज दिया है। कहा जा रहा था पिता को पता था कि बेटा नाबालिग है, इसके बाद भी उन्होंने बेटे को पोर्श कार दी। अब पोर्श कांड में नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल ने दावा किया है कि कार बेटा नहीं, ड्राइवर चला रहा था। वहीं पुलिस ने विशाल का फोन बरामद कर लिया है। ( Pune Accident Case )
बेटा नहीं, ड्राइवर चला रहा था कार
जानकारी के मुताबिक पुणे दुर्घटना में विशाल अग्रवाल के बेटे ने पुलिस को बताया था कि दुर्घटना के समय उसका फैमिली ड्राइवर गाड़ी चला रहा था। नाबालिग के दोस्तों ने भी ड्राइवर की बात कही है। वहीं मामले में अब नया अपडेट यह है कि, जिस फैमिली ड्राइवर के कार चलाने की बात कही जा रही थी, उससे पुलिस ने गुरुवार ( 23 मई ) को फिर से पूछताछ की। फैमिली ड्राइवर ने अपने पहले बयान में दावा किया था कि दुर्घटना के समय वह पोर्श चला रहा था। पुलिस की पूछताछ में ड्राइवर ने भी अपने पहले बयान में गाड़ी चलाने की बात स्वीकार की है। विशाल अग्रवाल ने यह भी दावा किया है कि उनके द्वारा नियुक्त ड्राइवर ही पोर्श चला रहा था।
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RTO का नाबालिग पर बड़ा कदम
पुलिस उस पूरे रास्ते के सीसीटीवी फुटेज जुटा रही है, जहां से कार गुजरी। पुलिस आवास से कोसी रेस्तरां , फिर ब्लैक क्लब और वहां से दुर्घटना स्थल तक यह देखने के लिए कि सीसीटीवी चेक कर रही है कि कार कौन चला रहा था। वहीं पुणे के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) आरोपी नाबालिग को 25 साल की उम्र के पहले लाइसेंस जारी नहीं करेगा। RTO ने पोर्श कार टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन 12 महीने के लिए रद्द कर दिया है।
इन सवालों के घेरे में नाबालिग के पिता
- बच्चे को पॉकेट मनी किस रूप में खर्च करने के लिए दी जाती थी ?
- जिस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ, वो सड़क पर कैसी उतरी ?
- केस दर्ज होने के बाद विशाल अग्रवाल क्यों फरार हो गया था?
- विशाल के पास फीचर फोन मिला। स्मार्ट फोन कहां हैं?
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