Pune Porsche Scandal : ब्लड में कितना अल्कोहल मिलने पर बनता है Drink and drive का केस?

इन दिनों पुणे पोर्श कांड काफी चर्चा में है। सरकारी डॉक्टर्स की फर्जी रिपोर्ट आने के बाद अब इस बात ने और तूल पकड़ लिया है कि आखिर ब्लड में कितनी अल्कोहल की मात्रा मिलने पर ड्रिंक एंड ड्राइव का केस बनता है...

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Sandeep Kumar
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पुणे पोर्श कांड ( Pune Porsche Scandal ) में सरकारी डॉक्टरों की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। दावा है कि इन डॉक्टरों ने नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल से छेड़छाड़ की थी, ताकि हादसे के वक्त उसके नशे में होने की बात साबित न हो सके। आरोप है कि ससुन जनरल हॉस्पिटल (  Sassoon General Hospital ) के दो डॉक्टरों ने रिश्वत के लालच में न सिर्फ आरोपी लड़के का ब्लड सैंपल डस्टबिन में फेंक दिया, बल्कि किसी और के सैंपल से उसकी रिपोर्ट तैयार कर दी। पुणे पुलिस ने इस मामले में ससुन हॉस्पिटल के फॉरेंसिक मेडिसीन डिपार्टमेंट के हेड डॉ. अजय तावड़े और सीएमओ डॉ. श्रीहरि हलनोर और स्टाफ मेंबर अतुल घाटकांबले को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का कहना है कि 19 मई को हादसे से कुछ घंटे पहले आरोपी लड़के ने दो पब में 69 हजार रुपए खर्च किए थे। लड़के ने अपने दोस्तों के साथ पहले कोजी बार में 48 हजार रुपए की शराब पी थी। जब यहां शराब मिलनी बंद हो गई तो वो और उसके दोस्तों ने ब्लैक मैरियट क्लब में जाकर शराब पी. यहां भी उन्होंने 21 हजार रुपए खर्च किए।

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कब माना जाएगा ड्रिंक एंड ड्राइव ?

कोई व्यक्ति शराब पीकर गाड़ी चला रहा है या नहीं? इसे चेक करने के लिए पुलिस ब्रीथ एनालाइजर का इस्तेमाल करती है।

ब्रीथ एनालइजर टेस्ट से खून में अल्कोहल की मात्रा कितनी है। अगर 100 एमएल खून में 30 एमजी अल्कोहल पाया जाता है तो ड्रिंक एंड ड्राइव का केस बनता है।

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इससे कैसे पता चलता है?

मुंह, गला, पेट और आंतों के जरिए अल्कोहल खून में घुल-मिल जाता है। क्योंकि पीने के बाद शराब पचती नहीं है। जैसे ही खून फेफड़ों से गुजरता है, वैसे ही अल्कोहल सांसों के जरिए हवा में भी आने लगता है। जैसे ही ब्रीथ एनालाइजर में सांस छोड़ी जाती है, वैसे ही ये डिवाइस खून में अल्कोहल की मात्रा का पता लगाती है। इससे ड्राइवर का ब्लड सैंपल लिए बगैर ही अल्कोहल का पता लगाया जा सकता है। इसके लिए 2100 :1 का रेशो होता है। इसे ऐसे समझिए कि 2,100 एमएल हवा में जितना अल्कोहल होता है, उतना ही अल्कोहल 1 एमएल ब्लड में भी मिलता है। अमेरिकी मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक, जब 100 एमएल ब्लड में अल्कोहल की मात्रा 50 एमजी हो जाती है, तो व्यक्ति पूरी तरह से होश में नहीं रहता। इसलिए 100 एमएल ब्लड में 30 एमजी अल्कोहल पाए जाने पर ड्रिंक एंड ड्राइव का केस बनता है।

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क्या है इसका पूरा विज्ञान ?

जब कोई व्यक्ति शराब पीता है तो 20 प्रतिशत अल्कोहल में पेट में और 80 प्रतिशत आंतों में घुल-मिल जाता है। इसके बाद खून में मिलकर अल्कोहल पूरे शरीर में पहुंच जाता है। इसके बाद अल्कोहल शरीर के हर टिशू में मिल जाता है और अपना असर दिखाना शुरू करता है। ब्लड में घुल-मिल जाने के बाद अल्कोहल तीन तरीकों से शरीर के बाहर निकलता है। 5 प्रतिशत टॉयलेट और 5 प्रतिशत सांस के जरिए बाहर आ जाता है। बाकी का अल्कोहल एसिटिक एसिड में बदल जाता है, जो 5प्रतिशत अल्कोहल सांस के जरिए बाहर निकलता है, वही ब्रीथ एनालाइजर में डिटेक्ट होता है।

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