भारतीय रेलवे ने बदले रिजर्वेशन के नियम, जानिए क्या है जनरल कैटेगरी के लिए बना नया सिस्टम

किसी ट्रेन में जनरल कोटे की 20 सीटें हैं, तो अधिकतम 5-6 वेटिंग टिकट दिए जाएंगे। यह बदलाव यात्री असुविधा कम करने के लिए किया गया है। इससे ट्रेन में चढ़ने और बैठने में दिक्कतें कम होंगी।

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Sandeep Kumar
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रेलवे ने सामान्य कोटे के वेटिंग टिकटों की संख्या सीमित कर दी है। अब स्लीपर से लेकर एसी क्लास तक सभी श्रेणियों में 25% अधिक वेटिंग टिकट ही जारी किए जाएंगे। यह नियम लंबी दूरी की राजधानी, दुरंतो और मेल एक्सप्रेस ट्रेनों में लागू होगा। रेलवे बोर्ड ने सभी जोनल रेलवे को आदेश जारी कर दिए हैं।

किसी ट्रेन में रिजर्वेशन के जनरल कोटे की 20 सीटें हैं, तो अधिकतम 5-6 वेटिंग टिकट दिए जाएंगे। यह बदलाव यात्री असुविधा कम करने के लिए किया गया है। इससे ट्रेन में चढ़ने और बैठने में दिक्कतें कम होंगी। यह व्यवस्था तत्काल कोटे पर भी लागू होगी, हालांकि रियायती टिकट और वारंट इससे मुक्त रहेंगे।

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रेलवे की नई व्यवस्था

रेलवे ने देशभर की ट्रेनों में वेटिंग टिकट की संख्या पर कड़ा नियंत्रण लगा दिया है। अब सामान्य कोटे की कुल सीटों से सिर्फ 25% अधिक ही वेटिंग टिकट जारी किए जा सकेंगे। चाहे आप स्लीपर में सफर करें या एसी कोच में, नियम समान रहेगा। इस बदलाव के पीछे मुख्य उद्देश्य है कि यात्रियों को भीड़ और असुविधा से बचाया जा सके।

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क्यों लिया रेलवे ने यह फैसला?

पिछले कुछ वर्षों से ट्रेन की वास्तविक क्षमता से अधिक वेटिंग टिकट जारी हो रहे थे। इसके कारण यात्री जबरन चढ़ते थे, कोचों में भीड़ होती थी और सुरक्षा पर खतरा मंडराता था। रेलवे ने इस समस्या का समाधान करने के लिए सभी जोनल रेलवे को निर्देश दिए हैं। अब केवल 25 प्रतिशत अतिरिक्त वेटिंग टिकट ही जारी किए जाएंगे।

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उदाहरण से समझिए नया नियम

यदि किसी ट्रेन के स्लीपर कोच में जनरल कोटे की 20 सीटें हैं, तो 25% अतिरिक्त यानी अधिकतम 5 वेटिंग टिकट ही मिलेंगे। थर्ड एसी में 10 सीटें होने पर सिर्फ 3-4 वेटिंग टिकट और सेकेंड एसी में 8 सीटों पर केवल 2-3 वेटिंग टिकट ही जारी होंगे। इससे अधिक की मांग होने पर ‘रिग्रेट’ (No Room) दिखेगा।

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तत्काल कोटे में भी लागू होगा यही नियम

भारतीय रेलवे की यह व्यवस्था तत्काल कोटे पर भी लागू होगी। अब तत्काल टिकटों में भी 25% अतिरिक्त वेटिंग टिकट ही बुक किए जाएंगे। हालांकि, रियायती टिकट और रक्षा वारंट के मामलों में यह नियम लागू नहीं होगा। यह बदलाव सभी बड़े, मध्यम और रोड साइड स्टेशनों पर समान रूप से लागू होगा।

स्टेशन तक टिकट लेना बना विकल्प

यदि किसी गंतव्य स्टेशन तक टिकट नहीं मिल रहा, तो यात्री अगले स्टेशन तक का टिकट बुक करवा सकते हैं। उदाहरण के लिए, धनबाद से बरेली तक गंगा-सतलज में टिकट नहीं मिलने पर यात्री सहारनपुर तक का टिकट ले सकते हैं। हालांकि, इसके लिए उन्हें अधिक किराया चुकाना होगा। बरेली तक सेकेंड एसी का किराया ₹1840 है, जबकि सहारनपुर तक ₹2155 लगेगा।

'नो रूम' की स्थिति बढ़ी

इस नए नियम के लागू होते ही राजधानी, दुरंतो और अन्य लंबी दूरी की ट्रेनों में 'नो रूम' दिखने लगा है। धनबाद से चलने वाली गंगा-सतलज, अलेप्पी एक्सप्रेस और अन्य प्रमुख ट्रेनों में सीमित वेटिंग टिकट की वजह से जल्द ही टिकट उपलब्ध नहीं हो पा रहे। इससे यात्रियों को वैकल्पिक मार्ग या अगले स्टेशन तक का टिकट लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

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