अयोध्या पुलिस ने राम मंदिर के प्रसाद के नाम पर हुए साइबर घोटाले का खुलासा किया। यह घोटाला 3.85 करोड़ रुपये का था। आरोपी आशीष सिंह ने खुद को प्रोफेसर बताकर फर्जी वेबसाइट बनाई। इस वेबसाइट के माध्यम से राम मंदिर का प्रसाद, स्मारक सिक्के और प्रतिकृतियां बेचीं गईं। इसके लिए 51 रुपए (भारत) और 11 डॉलर (विदेश) का "सुविधा शुल्क" लिया गया। आशीष सिंह गाजियाबाद का रहने वाला था और वर्तमान में अमेरिका में था।
इस घोटाले का मास्टरमाइंड आशीष सिंह था, जो गाजियाबाद के इंदिरापुरम का निवासी था और वर्तमान में अमेरिका में रह रहा था। उसने 19 दिसंबर 2023 से 12 जनवरी 2024 तक फर्जी वेबसाइट khadiorganic.com पर लाखों श्रद्धालुओं से प्रसाद के ऑर्डर लिए।
धोखाधड़ी की जांच और मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी
इस धोखाधड़ी के बारे में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने संज्ञान लिया और अयोध्या साइबर क्राइम यूनिट को सूचित किया। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आशीष सिंह को गिरफ्तार किया। आरोपी को विश्वास था कि वह मामला संभाल सकेगा और इसलिए वह 13 जनवरी 2024 को भारत लौट आया। यहां तक कि वह अयोध्या भी गया, लेकिन पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने आरोपी से लैपटॉप, दो आईफोन, 13,970 रुपए नकद, और कई दस्तावेज जैसे अमेरिकी और भारतीय पहचान कार्ड, डेबिट कार्ड, वाशिंगटन ड्राइविंग लाइसेंस, और एक स्वास्थ्य कार्ड जब्त किया।
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साइबर रिकवरी ऑपरेशन और पैसे की वापसी
अयोध्या पुलिस ने साइबर रिकवरी ऑपरेशन के तहत 372,520 पीड़ितों को 2.15 करोड़ रुपये वापस किए हैं। शेष 1.70 करोड़ रुपये की वसूली के प्रयास जारी हैं। यह अभियान पुलिस द्वारा किए गए त्वरित और प्रभावी कार्यवाही का परिणाम था। अयोध्या के एसएसपी गौरव ग्रोवर ने इसे "आस्था पर आधारित घोटाला" करार दिया और साइबर सेल की कार्रवाई की सराहना की।
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धोखाधड़ी से जुड़ी सावधानियां: एसएसपी
अयोध्या पुलिस ने इस घोटाले के बाद लोगों से ऑनलाइन भुगतान करते समय सतर्क रहने का आग्रह किया है। विशेष रूप से धार्मिक प्रसाद के भुगतान करते समय लोगों को अधिक सतर्क रहना चाहिए। एसएसपी ग्रोवर ने कहा कि यह मामला डिजिटल सतर्कता का एक महत्वपूर्ण पाठ है। आस्था को कभी भी सावधानी की कीमत पर नहीं आना चाहिए। साइबर टीम के प्रयासों के सम्मान में उन्हें 15,000 रुपए का पुरस्कार भी दिया गया।
साइबर फ्रॉड | श्रद्धालुओं से ठगी | देश दुनिया न्यूज
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