एम्सटर्डम के राइक्सम्यूजियम ने हाल ही में एक दुर्लभ प्रदर्शनी में 200 साल पुराना कंडोम प्रदर्शित किया। यह कंडोम 19वीं सदी के यौन स्वास्थ्य और जीवनशैली को दर्शाता है। यह कलाकृति यौन दृष्टिकोणों और सामाजिक परंपराओं को उजागर करती है। इस प्रदर्शनी के माध्यम से इतिहास के एक महत्वपूर्ण पहलू को सामने लाया गया है।
200 साल पुराना कंडोम
यह कंडोम 1830 के आसपास का बताया जा रहा है और माना जा रहा है कि इसे भेड़ के आंत से बनाया गया है। इसकी डिजाइन बेहद आकर्षक है, जिसमें एक नन और तीन पादरियों की तस्वीरें बनी हुई हैं। इस कंडोम पर फ्रांसीसी देह व्यापार और यौन संस्कृति की झलक देखने को मिलती है, जो उस समय के समाज के सेक्सुअलिटी के दृष्टिकोण को दर्शाती है। यह कंडोम बिल्कुल नई स्थिति में है, और म्यूजियम के क्यूरेटर ने इसे अल्ट्रा वॉयलेट रोशनी में जांचा, जिसके बाद यह पुष्टि हुई कि इसका इस्तेमाल नहीं किया गया है।
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राइक्सम्यूजियम में कंडोम की प्रदर्शनी
राइक्सम्यूजियम ने इस कंडोम को एक बड़ी प्रदर्शनी का हिस्सा बनाया है, जो 19वीं सदी में सेक्सुअलिटी और यौन स्वास्थ्य पर केंद्रित है। प्रदर्शनी में प्रिंट, चित्र और फोटोग्राफ़ भी शामिल किए गए हैं। क्यूरेटर जॉयस जेलेन ने बताया कि जब उन्होंने और उनकी सहकर्मी ने इस कंडोम को नीलामी में देखा तो यह उन्हें बहुत हास्यास्पद लगा था, लेकिन इसके साथ ही इस कंडोम के ऐतिहासिक महत्व को महसूस किया गया।
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क्या है इस कंडोम की विशेषता?
कंडोम पर छपी तस्वीरें और संदेश उस समय की यौन विचारधाराओं और देह व्यापार के बीच के संबंधों को दिखाती हैं। कंडोम पर लिखा है "वोयला मॉन चॉयस" (Voila Mon Choix), जो फ्रांसीसी में 'यह मेरी मर्जी है' का संदेश देता है। यह यौन स्वायत्तता और नियंत्रण की भावना को प्रस्तुत करता है, जो उस समय के समाज में एक नई सोच को दर्शाता है।
इसके अलावा, कंडोम पर छपी तस्वीरें पेरिस के ट्रोजन राजकुमार की मिथकीय कहानी की पैरोडी जैसी प्रतीत होती हैं, जो अफ्रोडाइट, हेरा और एथेना में से सबसे सुंदर देवी का चुनाव करने के लिए संघर्ष करते हैं। यह प्रिंट यौन और शक्ति के प्रतीक के रूप में दिखाई देता है।
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कैसे मिला यह कंडोम?
यह कंडोम म्यूजियम ने पिछले साल नीलामी में खरीदा था। जेलेन ने बताया कि जब पहली बार इसे नीलामी में देखा गया, तो इसे बहुत कम लोग पहचान पाए थे और बोली लगाने वाले भी केवल वे लोग थे जिन्हें इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता का अंदाजा था। नीलामी के बाद, म्यूज़ियम ने इसे अल्ट्रा वॉयलेट लाइट के नीचे जांचा और पाया कि इसका इस्तेमाल नहीं हुआ है, जो इसकी अच्छी स्थिति को साबित करता है।
राइक्सम्यूजियम में प्रदर्शनी की लोकप्रियता
कंडोम को प्रदर्शित करने के बाद से म्यूजियम में आने वालों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है। इस कंडोम को लेकर विभिन्न आयु समूहों के लोग आकर्षित हो रहे हैं। युवा और बुजुर्ग दोनों ही वर्ग इस प्रदर्शनी में दिलचस्पी दिखा रहे हैं और इसे लेकर सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। म्यूजियम ने यह भी घोषणा की है कि यह कंडोम नवंबर तक प्रदर्शित रहेगा।
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कंडोम के सामाजिक और ऐतिहासिक महत्व
यह कंडोम 19वीं सदी के यौन स्वास्थ्य से जुड़े एक महत्वपूर्ण आयाम को उजागर करता है, जब गर्भधारण और यौन रोगों से बचने के लिए कंडोम का उपयोग किया जाता था। यह कंडोम उस समय के समाज में सेक्स, स्वास्थ्य और नियंत्रण के विचारों की तस्वीर प्रस्तुत करता है। यह एक ऐसा स्मृति चिन्ह है जो आज भी यौन शिक्षा, संस्कृति और स्वास्थ्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
कंडोम का इतिहास...
कंडोम का आविष्कार एक घटना नहीं थी, बल्कि यह एक लंबी प्रक्रिया का परिणाम था। समय के साथ कंडोम के रूप और निर्माण में सुधार होते गए। आइए जानते हैं कैसे समय के साथ कंडोम का बदलता गया रूप...
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