15 अगस्त को मिलेगी पुलिस थानों के चक्कर लगाने से आजादी, MLC-मेडिको लीगल और पोस्टमार्टम रिपोर्ट होंगी ऑनलाइन

मध्य प्रदेश में 15 अगस्त से MLC (मेडिको लीगल केस), पोस्टमार्टम रिपोर्ट और मेडिको लीगल रिपोर्ट को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से अपलोड किया जाएगा। इससे पुलिस थाने के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और प्रक्रिया तेज होगी।

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Manish Kumar
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Photograph: (the sootr)

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BHOPAL. मध्य प्रदेश के गृह विभाग ने कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं। अब मेडिको लीगल रिपोर्ट, पोस्टमार्टम और मेडिको लीगल केस रिपोर्ट ऑनलाइन पोर्टल पर जमा करनी होगी। इसके लिए अधिकारियों को पहले ही प्रशिक्षण दिया जा चुका है। विभाग ने कहा है कि यह प्रणाली 15 अगस्त तक लागू होनी चाहिए। इसका उद्देश्य पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली को सरल बनाना है।

नई व्यवस्था से रिपोर्टिंग प्रक्रिया में आएगी तेजी

इस नई व्यवस्था से अपराधों की विवेचना (Investigation) और अदालत में चालान पेश करने की प्रक्रिया में भी तेजी आएगी। पुलिस और स्वास्थ्य विभाग दोनों ही अब एक ही प्लेटफॉर्म पर रिपोर्ट्स जमा कर सकेंगे, जिससे कार्य की गति बढ़ेगी। इसके साथ ही, डॉक्टरों को अब कोर्ट में गवाही देने के लिए मौजूद रहने की आवश्यकता नहीं होगी। वे वीडियो कांफ्रेंसिंग (Video Conferencing) के माध्यम से अपनी गवाही दे सकते हैं। इससे आम लोगों को भी काफी राहत मिलेगी। इस सिस्टम के लागू होने से आम लोगों को पुलिस थानों के चक्कर लगाने से आजादी मिल जाएगी।

पहले ही 10 जिलों के अस्पतालों में वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा शुरू की जा चुकी है और जल्द ही सभी जिलों में इसे लागू किया जाएगा। यह सिस्टम पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के कामकाज में पारदर्शिता (Transparency) को भी बढ़ावा देगा।

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खबर को 4 पॉइंट्स में समझें... 

15 अगस्त तक ऑनलाइन रिपोर्टिंग: एमएलसी और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड की जाएंगी।

वीडियो कांफ्रेंसिंग से गवाही: डॉक्टर अब कोर्ट में गवाही देने के लिए उपस्थित नहीं होंगे, वे वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से गवाही देंगे।

संवेदनशील स्थानों की पहचान: पुलिस अधीक्षक को जिले के संवेदनशील स्थानों की पहचान करनी होगी और सायरन स्थापित करने के लिए सूची बनानी होगी।

आपदा प्रबंधन: सभी जिलों में आपदा प्रबंधन के लिए कंट्रोल रूम और ऑपरेशन सेंटर स्थापित करने होंगे।

संवेदनशील स्थानों की पहचान और आपदा प्रबंधन

इसके अलावा, एसीएस जेएन कंसोटिया ने पुलिस अधीक्षकों से जिले के संवेदनशील स्थानों की पहचान करने के लिए कहा है। इन स्थानों की सूची तैयार की जानी चाहिए, जहां सायरन (Sirens) की आवश्यकता हो, ताकि आपातकालीन स्थितियों में समय रहते कार्रवाई की जा सके। इसके अलावा, कंसोटिया ने यह भी कहा कि प्रत्येक जिले में आपदा प्रबंधन (Disaster Management) के लिए कंट्रोल रूम और ऑपरेशन सेंटर स्थापित किया जाए।

कंसोटिया ने यह भी निर्देश दिया कि सभी जिलों में आपदा प्रबंधन के संबंध में कंट्रोल रूम और ऑपरेशन सेंटर की व्यवस्था की जाए, ताकि किसी भी प्राकृतिक या अन्य आपदा के दौरान तुरंत प्रतिक्रिया दी जा सके। कंसोटिया ने यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि अस्पतालों में दुर्घटना और आपदा के समय पीड़ितों के उपचार की व्यवस्था पूरी तरह से तैयार हो।

इस पहल के फायदे

इस नई प्रणाली के लागू होने से नागरिकों को कई प्रकार की सुविधाएं मिलेंगी। सबसे पहले, उन्हें पुलिस थाने के बार-बार चक्कर नहीं लगाने होंगे। इसके अलावा, समय की बचत होगी, क्योंकि रिपोर्टिंग अब तुरंत और ऑनलाइन होगी। यह प्रक्रिया कार्यक्षमता को बढ़ाएगी और आपातकालीन स्थितियों में प्रतिक्रिया को तेज करेगी।

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