RBI के 90 साल : पाकिस्तान को भी अपनी ‘सेवाएं’ दे चुका है यह बैंक

देश विभाजन के बाद पाकिस्तान के आर्थिक हालात सामान्य बनाए रखने के लिए RBI ने बड़े भाई की भूमिका निभाई। उसने जून 1948 तक यानी स्टेंट बैंक ऑफ पाकिस्तान का परिचालन शुरू होने तक पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ( Central Bank of Pakistan ) के रूप में कार्य किया।

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Dr Rameshwar Dayal
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NEW DELHI: भारतीय रिजर्व बैंक (  Reserve Bank of India  ) आज अपने 90वें वर्ष के कार्यकाल में प्रवेश कर रहा है। यह देश का केंद्रीय बैंक ( Central Bank ) है। आप हैरान होंगे कि मौद्रिक नीति (monetary policy ) बनाने और बैंकों को विनियमित ( regulate banks ) करने की दोहरी भूमिका निभाने वाला RBI आजादी के बाद बने पाकिस्तान ( Pakistan ) को भी अपनी ‘सेवाएं’ दे चुका हैं। देश को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने, उसे दिवालिया होने से बचाने से लेकर नकदी के प्रचलन को नियमित रखने में भी रिजर्व बैंक की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज हम आपको देश के इस प्रमुख बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का इतिहास और वर्तमान बताने जा रहे हैं। 

कब और क्यों की गई थी रिजर्व बैंक की स्थापना

भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना हिल्टन यंग कमीशन की सिफारिशों के आधार पर की गई थी। यूं तो बैंक के कामकाज को वैधानिक आधार प्रदान करने वाले भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (II of 1934) पहले ही आ चुका था, लेकिन इसने 1 अप्रैल 1935 को इसने आधिकारिक तौर पर काम शुरू किया। इस बैंक का मकसद नोटों के मुद्दे को रेगुलेट करना और मौद्रिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए की गई थी। इसके अलावा इसका प्रमुख कार्य देश की ऋण एवं मुद्रा प्रणाली ( credit and currency system ) को अपने लाभ के लिए संचालित करना था। वर्ष 1949 में आरबीआई का राष्ट्रीयकरण किया गया। आरबीआई वर्ष 1999 के विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत सभी विदेशी मुद्रा का प्रबंधन भी करता है।

रिजर्व बैंक के पहले गर्वनर अंग्रेज थे

सर ओसबोर्न अर्केल स्मिथ ( Sir Osborne Arkell Smith ) रिजर्व बैंक के पहले गवर्नर थे और उनका कार्यकाल 1 अप्रैल 1935 से 30 जून 1937 के बीच रहा। उन्होंने एक पेशेवर बैंकर के तौर पर बैंक ऑफ न्यू साउथ वेल्स में करीब 20 वर्षों तक काम किया था। लेकिन ओसबोर्न ने अपने कार्यकाल के दौरान किसी भी भारतीय रुपए के नोट पर हस्ताक्षर नहीं किए। उनके बाद सर जेम्स ब्रेड टेलर एक जुलाई 1937 से 17 फरवरी 1943 तक इस पद पर बने रहे। भारतीय सिविल सेवा के सदस्य सर बेनेगल रामा राव ने अगस्त 1949 से जनवरी 1957 के बीच सबसे लंबे समय तक आरबीआई के गवर्नर के तौर पर अपनी सेवाएं दी। डॉ. मनमोहन सिंह 16 सितंबर 1982 से 14 जनवरी 1985 तक आरबीआई के गवर्नर रहे और वह देश के वित्त मंत्री व प्रधानमंत्री (2004 से 2014) भी बने। ऊर्जित पटेल वर्ष 2018 में इस्तीफा देने वाले पहले आरबीआई गवर्नर थे। शक्तिकांत दास आरबीआई के 25वें गवर्नर हैं। वह इस साल दिसंबर में अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करने के बाद सर बेनेगल रामा राव के बाद सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले गवर्नर बन जाएंगे।

आरबीआई से पहले कैसे काम करता था सिस्टम?

आपको बताते हैं कि रिजर्व बैंक के गठन से पहले भारत का मौद्रिक सिस्टम कैसे काम करता था। तब देश में सरकार के मुद्रा नियंत्रक (Controller of Currency) का काम इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया (Imperial Bank of India) के पास था। इस बैंक का काम सरकारी खातों और सार्वजनिक ऋण का प्रबंधन (Management of Government accounts and public debt) था। इंपीरियल बैंक का कामकाज आज ही के दिन वर्ष 1935 में रिजर्व बैंक के पास आ गया था। उसके बाद इम्पीरियल बैंक वर्ष 1955 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) बन गया था। रिजर्व बैंक का मुख्यालय मुंबई ( तब बॉम्बे ) में बनाया गया था। रिजर्व बैंक के बैंकिंग विभाग के कार्यालय कलकत्ता, बॉम्बे, मद्रास, दिल्ली और रंगून में स्थापित किए गए।

शुरुआती दौर में कृषि व्यवस्था पर ध्यान दिया RBI ने

आरबीआई ने अपने कार्यकाल के शुरुआती दौर में कृषि पर ध्यान केंद्रित किया, क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित थी। उसके बाद बैंक ने विकास को रफ्तार देने के लिए वित्त के उपयोग की अवधारणा को बढ़ाया। उसने देश में वित्तीय बुनियादी ढांचा विकसित करने के क्रम में जमा बीमा व ऋण गारंटी निगम के अलावा भारतीय औद्योगिक विकास बैंक और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक जैसे कई संस्थानों की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 1991 में आर्थिक उदारीकरण शुरू होने के साथ ही आरबीआई का ध्यान मुख्य तौर पर मौद्रिक नीति, बैंकों के पर्यवेक्षण एवं विनियमन (supervision and regulation ), भुगतान प्रणाली की देखरेख व वित्तीय बाजारों के विकास जैसे केंद्रीय बैंकिंग कार्यों पर केंद्रित हो गया।

पाकिस्तान को ‘सुधारने’ में भूमिका अदा की

आप हैरान होंगे कि देश विभाजन के बाद पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को सामान्य बनाए रखने के लिए रिजर्व बैंक ने बड़े भाई की भूमिका निभाई। तब उसने जून 1948 तक यानी स्टेंट बैंक ऑफ पाकिस्तान का परिचालन शुरू होने तक पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ( Central Bank of Pakistan ) के रूप में कार्य किया और वहां की आर्थिक व्यवस्था को रेगुलेट किया। खास बात है कि एक और देश में इसने अपनी भूमिका निभाई। वर्ष 1937 में बर्मा (म्यांमार) भारत संघ से अलग हो गया था, मगर आरबीआई ने बर्मा पर जापानी कब्जे तक और बाद में अप्रैल 1947 तक इस देश के केंद्रीय बैंक के रूप में काम किया।  

90 साल में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं RBI ने

वर्ष 1966 में आरबीआई ने सहकारी बैंकों का विनियमन शुरू किया। वर्ष 1969 में 14 प्रमुख बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। विदेशी मुद्रा के संरक्षण के लिए 1973 में विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम ( FERA ) लागू किया गया। वर्ष 1988 में अधिकतम उधारी दर खत्म कर दी गई। बैंकों को ग्राहकों से उनके क्रेडिट रिकॉर्ड के अनुसार शुल्क लेने की आजादी दी गई। साल 1993 में निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए और दस नए बैंक खोले गए। वर्ष 2001 में इंटरनेट बैंकिंग दिशा-निर्देश जारी किए गए। वर्ष 2016 में आरबीअई के केंद्रीय बोर्ड ने काले धन को खत्म करने के लिए नोटबंदी का फैसला लागू कर एक ही झटके में प्रचलन में 87 फीसदी मुद्रा को अमान्य कर दिया। वर्ष 2022 में परीक्षण के तौर पर केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) की शुरुआत की गई। 

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