NEW DELHI: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) ने वादे करना छोड़ दिया है। अब वह ‘मोदी की गारंटी’ की गारंटी (guarantee) की बात करते हैं। पीएम दावा करते हैं कि उनकी गारंटी जन हितैषी है, जिसका लाभ देश के विकास ( devlopment ) से जुड़ा हुआ है। वैसे इस बात में कोई दो-राय नहीं है कि पीएम जो भी गारंटी लेकर आए, उनके बारे में दूसरे दलों के नेताओं ने अपने कार्यकाल में सोचा भी नहीं था। जब पीएम इन योजनाओं को लागू करते थे तो आम जनता को वे समझ में नहीं आती थी, लेकिन इतना सच है कि ये योजनाएं हमेशा चर्चा में रही। सरकार इन गारंटियों को लेकर अपनी पीठ थपथपाती रही तो विपक्ष इनको लेकर सवाल खड़े करता रहा। हम आपको मोदी सरकार की वर्ष 2019 उन प्रमुख घोषणाओं ( election manifesto ) का गुणा भाग बताने जा रहे हैं जो उन्होंने वर्ष 2019 के चुनावी घोषणापत्र में किए थे।
खासी चर्चा में रही ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ योजना
इस घोषणा का उद्देश्य है बालिकाओं की सुरक्षा करने और उनके जीवन के अधिकार की रक्षा करना, परिवारों में बालिकाओं का मूल्य निर्माण करना और लड़कियों के लिए शिक्षा और उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करना।
मोदी सरकार ने 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' योजना का साल 2015 में लागू किया था। शुरुआती दौर में योजना का बजट 100 करोड़ रुपए रखा गया,। इस बजट को वर्ष 2017-18 में बढ़ाकर 200 करोड़ रुपए कर दिया गया। संबंधित मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक योजना के लिए निर्धारित कुल बजट का लगभग 84 प्रतिशत बजट ख़र्च किया गया और इसमें से अधिकतर राशि करीब 164 करोड़ रुपए, जागरुकता और मीडिया अभियानों पर ख़र्च की गई।
इसी मद में खर्च की बात करें तो वर्ष 2018 से 2022 के बीच मंत्रालय ने कुल ख़र्च का 40 प्रतिशत जागरूकता और मीडिया अभियानों पर ही ख़र्च किया। सरकार ने अपने वादे के मुताबिक लड़कियों की शिक्षा पर भी जोर दिया। इसके लिए महिला छात्रों के सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio) का आकलन कर जांच की गई, जिसमें एक सकारात्मक ट्रेंड दिखा। वर्ष 2016-17 में लड़कियों का जीईआर (23.8) लड़कों (24.3) की तुलना में कम था जबकि 2020-21 तक यह लड़कों के अनुपात 27.3 को पार करते हुए बढ़कर 27.9 हो गया था। विशेष बात यह भी रही कि वर्ष 2018-19 में मिडिल क्लास में लड़कियों के स्कूलों छोड़ने का प्रतिशत 17.1 से घटकर 2020-21 में 12.3 हो गया।
पीएम किसान सम्मान निधि ने हैरान किया
प्रधानमंत्री के इस वादे या गारंटी के तहत दो एकड़ तक ज़मीन के मालिक किसानों को आर्थिक मदद देने का प्रावधान किया गया था। बाद में इसे सभी किसानों के लिए जोड़ दिया गया।
मोदी सरकार इस योजन को वर्ष 2018-19 में लाई। इसका मकसद देश के सभी किसानों के खातों में सालाना 6000 रुपए ट्रांसफर किए गए। सरकार इस धनराशि को तीन किश्तों में देती है। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार इस योजना के तहत अब तक 52 करोड़ लाभार्थियों को लाभ मिल चुका है। वर्ष 2023-24 में 8.5 करोड़ किसानों को यह सम्मान मिला। साल 2018-19 में सरकार ने इस योजना के लिए 20 हजार करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया था जबकि साल 2019-20 के बजट में इस योजना के लिए 75 हज़ार करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे।
विशेष बात यह है कि वित्त वर्ष 2021-22 में मंत्रालय ने अपने कुल बजट की 49 प्रतिशत धनराशि इसी योजना पर ख़र्च की। इस योजना के लाभार्थियों के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। इस राज्य में 1.8 करोड़ किसानों का यह लाभ मिला जो लाभ पाने वालों में 21 प्रतिशत है। योजना शुरू होने के बाद से इसके लिए आवंटित की जाने वाली धनराशि तीन गुना हो गई है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) कैसी चल रही है
इस योजना का उद्देश्य सभी किसानों की फसलों का बीमा करना और कृषि में खतरों को कम करना है।
वर्ष 2016 में शुरू की गई यह योजना प्राकृतिक आपदाओं, कीटों या बीमारियों के कारण फसल नुकसान का सामना करने वाले किसानों को बीमा और वित्तीय मदद उपलब्ध कराती है। ताजा जानकारी के अनुसार किसानों द्वारा भुगतान किए गए 30,800 करोड़ रुपए के प्रीमियम के बदले किसानों को इस योजना के तहत 1,50,589 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। जानकारी यह भी मिली है कि इस योजना के तहत पंजीकरण कराने वाले किसानों की संख्या में इजाफा हुआ है। वर्ष 2018-19 में 5.77 करोड़ किसानों ने पंजीकरण किया था जबकि साल 2021-22 में ये तादाद बढ़कर 8.27 करोड़ पहुंच गई।
बड़ी बात यह है कि इस योजना के तहत बीमित भूमि क्षेत्र साल 2021-22 में 525 लाख हेक्टेयर से घटकर 456 लाख हेक्टेयर हो गया। इसका कारण यह रहा कि कुछ राज्यों ने इस योजना से बाहर होकर अपनी अलग से फसल बीमा योजना लागू कर दी है। इस योजना के तहत सबसे अधिक लाभ राजस्थान और महाराष्ट्र को मिला है।
जल जीवन मिशन (नल से जल) कनेक्शन तो बढ़े
इस वादे का उद्देश्य देश के सभी परिवारों को वर्ष 2024 तक टंकी से पानी पहुंचाना है।
देश में लगभग 19 करोड़ परिवार हैं और अब लगभग 14 करोड़ यानी करीब 73 प्रतिशत परिवारों के पास पानी की टंकी के कनेक्शन हैं। यह वर्ष 2019 की तुलता में बड़ी उपलब्धि है। तब सिर्फ़ 16.80 प्रतिशत परिवारों के पास ही पानी का कनेक्शन था। अगर पिछड़े राज्यों की बात करें तो पश्चिम बंगाल सबसे पीछे है। यहां सिर्फ़ 41 प्रतिशत परिवारों के पास ही पानी का कनेक्शन है। इसके बाद राजस्थान और झारखंड हैं। दूसरी ओर गोवा, हरियाणा, तेलंगाना, गुजरात और पंजाब में 100 प्रतिशत परिवारों तक टंकी का पानी पहुंच चुका है। सरकारी जानकारी के अनुसार केंद्र और राज्य दोनों सरकारों ने सामूहिक रूप से जनवरी 2024 तक इस योजना के लिए एक लाख करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च की है।
जल जीवन मिशन के तहत प्रति वर्ष औसतन क़रीब दो करोड़ परिवारों को इस योजना से जोड़ा गया है। सबसे ज्यादा कनेक्शन वर्ष 2019-20 में हुए। इस साल 3.2 करोड़ परिवारों तक टंकी का पानी पहुंचाया गया। इसके बावजूद देश के लगभग पांच करोड़ परिवारों के पास आज भी पानी का कनेक्शन नहीं है। अगर और डिटेल में बात करें तो वर्ष 2022-23 में, कनेक्शन में पिछले वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, लेकिन 2023-24 में यह बढ़ोतरी धीमी होकर 6 प्रतिशत पर आ गई। इन आंकड़ों के अनुसार यह कहा जा सकता है कि इस साल के अंत तक 80 प्रतिशत से अधिक घरों में पानी का कनेक्शन पहुंच जाएगा।
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