सरकार ने बताया कितना होगा स्कूल बैग का वजन, 10 दिन बिना बैग के स्कूल जाएंगे बच्चे

केंद्र सरकार ने स्कूल के बच्चों के बैग का वजन तय कर दिया है। अब बच्चों को अपनी उम्र और क्लास के हिसाब से बैग लाना होगा। स्कूलों को साल में 10 दिन बैगलेस डे भी मनाना पड़ेगा।

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Aman Vaishnav
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छोटे बच्चों के कंधों पर भारी बैग अब नहीं दिखेंगे। सरकार ने नई शिक्षा नीति 2020 में बड़े बदलाव किए हैं। अब हर क्लास के लिए बैग का वजन तय कर दिया है। इसका मकसद बच्चों को शारीरिक दिक्कतों से बचाना है। स्कूलों को अब इन नियमों का सख्ती से पालन करना होगा।

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कितना होगा बैग का वजन?

शिक्षा मंत्रालय ने वजन की एक लिस्ट तैयार की है। यह लिस्ट बच्चों की क्लास के हिसाब से बनी है।

प्राइमरी और मिडिल स्कूल के नियम

  • प्री-प्राइमरी: इन छोटे बच्चों के लिए कोई बैग जरूरी नहीं है।

  • क्लास 1 और 2: बैग का वजन 1.6 से 2.2 किलो होगा।

  • क्लास 3 से 5: इनके लिए वजन 1.7 से 2.5 किलो तय है।

  • क्लास 6 और 7: बैग का वजन 2 से 3 किलो के बीच रहेगा।

हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के नियम

  • क्लास 8: इस क्लास के लिए वजन 2.5 से 4 किलो होगा।

  • क्लास 9 और 10: बैग 2.5 से 4.5 किलो तक हो सकता है।

  • क्लास 11 और 12: इनके लिए अधिकतम वजन 5 किलो तय है।

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बच्चों के लिए नया बैग नियम

👉 प्री-प्राइमरी बच्चों के लिए अब बैग ले जाना जरूरी नहीं है।

👉 क्लास 1-2 के लिए बैग का वजन सिर्फ 2.2 किलो तक रहेगा।

👉 छात्र साल में 10 दिन बिना बैग के स्कूल जाएंगे ।

👉बैग का वजन बच्चे के कुल वजन का 10% ही होगा।

👉नियम न मानने वाले स्कूलों पर सरकार कड़ी नजररखेगी।

10 दिन बैगलेस डे 

National Education Policy-2020 (NEP-2020) में एक और मजेदार बात शामिल है।10 दिन बिना बैग के स्कूल जाएंगे बच्चे। इन्हें बैगलेस डेज कहा गया है। इन दिनों में बच्चे सिर्फ किताबी पढ़ाई नहीं करेंगे। वे आर्ट, स्पोर्ट्स और नई स्किल सीखेंगे।

स्कूल को अपने कैलेंडर में यह दिन शामिल करने होंगे। यह नियम क्लास 6 से 8 के लिए अनिवार्य है। इसमें बच्चे ग्राफिक डिजाइन या फैशन डिजाइनिंग भी सीख सकते हैं। इससे बच्चों का मानसिक विकास बेहतर तरीके से होगा।

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बच्चे हो रहे बीमार

विशेषज्ञों का कहना है कि भारी बैग बहुत खतरनाक हैं। इससे बच्चों की पीठ और कंधों में दर्द होता है। कई बच्चे तो छोटी उम्र में ही बीमार पड़ रहे हैं। भारी वजन के कारण उनकी रीढ़ की हड्डी झुक सकती है।

सांसद रामवीर सिंह विधूड़ी ने भी यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूल और पब्लिशर इसमें मिले होते हैं। वे ज्यादा किताबें लगवाकर बच्चों पर बोझ डालते हैं।

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बच्चों के बस्ते, सबकी जिम्मेदारी

सिर्फ नियम बनाना ही काफी नहीं है। स्कूलों को इसे ईमानदारी से लागू करना होगा। दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन ने भी इस पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि विभाग को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

पैरेंट्स को भी जागरूक होना पड़ेगा। उन्हें देखना चाहिए कि बच्चा फालतू सामान न ले जाए। पानी की बोतल और टिफिन का वजन भी कम रखें। स्कूल को भी टाइम-टेबल के हिसाब से किताबें मंगवानी चाहिए।

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नई शिक्षा नीति उद्देश्य

नई शिक्षा नीति 2020 का पैरा 4.33 बहुत जरूरी है। इसमें NCERT और स्कूलों को मिलकर काम करना होगा। बैग का वजन शरीर के वजन का 10% होना चाहिए। इससे ज्यादा वजन बच्चे की सेहत बिगाड़ सकता है।

सरकार का लक्ष्य शिक्षा को बोझ मुक्त बनाना है। अब रटने के बजाय सीखने पर जोर दिया जाएगा। बैगलेस डेज इसी दिशा में एक बड़ा कदम है। उम्मीद है कि अब बच्चों का बचपन भारी नहीं होगा।

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