हिजाब बैन पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की अलग-अलग राय, अब चीफ जस्टिस तय करेंगे कि केस बड़ी बेंच में भेजा जाए या नहीं

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Atul Tiwari
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हिजाब बैन पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की अलग-अलग राय, अब चीफ जस्टिस तय करेंगे कि केस बड़ी बेंच में भेजा जाए या नहीं

NEW DELHI. कर्नाटक में शिक्षण संस्थानों में हिजाब बैन के खिलाफ याचिकाओं पर 13 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। बेंच में शामिल दोनों जजों की राय अलग अलग रही। जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हिजाब बैन को सही ठहराया है, वहीं जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कर्नाटक हाईकोर्ट के बैन जारी रखने के आदेश को रद्द कर दिया। लिहाजा ऐसे में अब इस मामले को बड़ी बेंच में भेजा गया है। अब तक जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच इस मामले को देख रही है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने हिजाब मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर अपना फैसला 22 सितंबर को सुरक्षित रख लिया था। 



13 अक्टूबर को कोर्ट रूम में सुप्रीम सुनवाई




  • जस्टिस सुधांशु धूलिया : मेरे दिमाग में सबसे बड़ा सवाल बच्चियों की शिक्षा का है। मेरी नजर में यह चयन का मामला है। ना तो इससे ज्यादा और ना इससे कम। मेरा नजरिया अलग है। मैं इन याचिकाओं को इजाजत देता हूं।


  • जस्टिस हेमंत गुप्ता : जस्टिस गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से सहमति जताई और इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर करने वाले से 11 सवाल पूछे। उन्होंने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि हमारे विचारों में भिन्नता है।



  • बड़ी बेंच को भेजा गया मामला, याचिकाकर्ता के वकील का तर्क



    जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि यह मामला चीफ जस्टिस को भेजा जा रहा है, ताकि वे उचित निर्देश दे सकें। याचिकाकर्ता के वकील एजाज मकबूल ने कहा कि अब सीजेआई यह तय करेंगे कि इस मामले पर सुनवाई के लिए बड़ी बेंच गठित की जाए या फिर कोई और बेंच। मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की दलील थी कि छात्राएं, स्टूडेंट्स होने के साथ भारत की नागरिक भी हैं। लिहाजा ड्रेस कोड का नियम लागू करना उनके संवैधानिक अधिकार का हनन होगा।



    सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 23 पिटीशन दायर की गई थीं



    सुप्रीम कोर्ट में हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 23 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इन्हें मार्च में दाखिल किया गया था। याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव धवन, दुष्यंत दवे, संजय हेगड़े और कपिल सिब्बल ने पैरवी की थी।



    हिजाब पहनना इस्लाम की जरूरी प्रैक्टिस का हिस्सा नहीं- कर्नाटक हाईकोर्ट



    15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने उडुपी के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की कुछ मुस्लिम छात्राओं की तरफ से क्लास में हिजाब पहनने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने अपने पुराने आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की जरूरी प्रैक्टिस का हिस्सा नहीं है। इसे संविधान के आर्टिकल 25 के तहत संरक्षण देने की जरूरत नहीं है। कोर्ट के इसी फैसले को चुनौती देते हुए कुछ लड़कियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। 



    कर्नाटक के उडुपी से विवाद की शुरुआत हुई थी 



    कर्नाटक में हिजाब विवाद जनवरी के शुरुआत में उडुपी के ही एक सरकारी कॉलेज से शुरू हुआ था, जहां मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनकर आने से रोका गया था। स्कूल मैनेजमेंट ने इसे यूनिफॉर्म कोड के खिलाफ बताया था। इसके बाद दूसरे शहरों में भी यह विवाद फैल गया। मुस्लिम लड़कियों ने इसका विरोध किया, जिसके खिलाफ हिंदू संगठनों से जुड़े युवकों ने भी भगवा शॉल पहनकर जवाबी विरोध शुरू कर दिया था। एक कॉलेज में यह विरोध हिंसक झड़प में बदल गया था, जहां पुलिस को सिचुएशन कंट्रोल करने के लिए टियर गैस छोड़नी पड़ी थी।



    याचिकाकर्ताओं का तर्क- हिंदू, ईसाई, सिख प्रतीकों की तरह हिजाब की अनुमति दें



    सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर को हिजाब बैन पर फैसला सुरक्षित रख लिया। कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर लगातार 10 दिन से सुनवाई चली। सुनवाई के शुरुआती 6 दिन मुस्लिम पक्ष की दलीलों के बाद कर्नाटक सरकार ने अपना पक्ष रखा। सुनवाई में हिंदू, सिख, ईसाई प्रतीकों को पहनकर आने की तरह ही हिजाब को भी परमिशन दिए जाने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट  ने कर्नाटक सरकार और मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुनने के बाद कहा था कि हमने आप सभी को सुना है। अब हमारा होमवर्क शुरू होता है।


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