Mumbai. शरद पवार का ‘दामन’ छोड़कर महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री बने अजित पवार और मंत्री बने उनके आठ विधायकों के खिलाफ राकांपा (NCP) ने सख्त कदम उठाया है। 2 जुलाई को दिनभर चले घटनाक्रम के बाद देर रात NCP ने अजीत और आठ अन्य लोगों के खिलाफ अयोग्यता याचिका चुनाव आयोग और महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर भेजी है। ऐसे में अब मामला और गर्मा सकता है। इधर, अजीत के पार्टी के चुनाव चिह्न और नाम पर अपना दावा जताया तो राकांपा के नेताओं ने भी साफ कर दिया कि पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न उनका है और रहेगा। देर रात राकांपा की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने भी पार्टी छोड़ने वाले नेताओं पर भड़ास निकाली है। हालांकि उन्होंने अपने भाई के प्रति नरम रुख दिखाया।
राकांपा शरद पवार के पास है और रहेगी
महाराष्ट्र NCP अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा है कि उनकी पार्टी ने अजीत पवार और आठ अन्य लोगों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की है। रविवार (2 जुलाई) देर रात पाटिल ने कहा कि अयोग्यता याचिका विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को भेज दी गई है। इसी के साथ चुनाव आयोग को एक ई-मेल भी भेजा गया है, जिसमें बताया गया है कि NCP की बागडोर इस समय पार्टी प्रमुख शरद पवार के पास है और आगे भी रहेगी।
गद्दार नहीं कह सकते, क्योंकि विश्वासघात अभी साबित नहीं हुआ
पाटिल ने कहा कि NCP के इन विधायकों को गद्दार नहीं कहा जा सकता, क्योंकि उनका विश्वासघात अभी तक साबित नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि कई लोग हमारे संपर्क में हैं। 1999 में शरद पवार द्वारा स्थापित पार्टी को उस समय विभाजन का सामना करना पड़ा, जब उनके भतीजे अजीत पवार उपमुख्यमंत्री के रूप में शिवसेना-बीजेपी सरकार में शामिल हो गए।
अजीत पवार का रहा है बागी बनने का इतिहास
- 2009 में शरद पवार की नेतृत्व शैली की खुलेआम आलोचना की थी
सुप्रिया सुले ने खोला मोर्चा : NCP के घटनाक्रम का विपक्षी एकता पर असर नहीं
अजीत पवार और कुछ अन्य नेताओं के एकनाथ शिंदे सरकार में मंत्री बनने के बाद राकांपा की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने कहा है कि पार्टी के घटनाक्रम का विपक्षी एकता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। 2 जुलाई की देर रात पत्रकारों से बात करते हुए सुले ने कहा कि मेरे पिता और राकांपा प्रमुख शरद पवार का कद और बढ़ेगा। इस घटना के बाद हमारी विश्वसनीयता और बढ़ेगी।
सुप्रिया बोलीं- अपने भाई से लड़ नहीं सकती, एक बहन की तरह प्यार करती रहेंगी
सुले ने यह भी कहा कि अजीत पवार के विचार अलग हो सकते हैं, लेकिन वह अपने बड़े भाई से कभी नहीं लड़ सकतीं और वह हमेशा उन्हें एक बहन की तरह प्यार करेंगी। सुले ने कहा, 2019 में जब अजीत पवार ने पहली बार देवेंद्र फडणवीस से हाथ मिलाया था, तब से लेकर 2023 तक जिम्मेदारियों के साथ मैं परिपक्व हो गई हूं। निजी और व्यावसायिक संबंधों को मैं आपस में नहीं मिलाऊंगी।
अजीत पवार के पास 36 विधायकों का समर्थन नहीं
NCP प्रवक्ता क्लाइड क्रेस्टो ने कहा कि अजीत पवार के पास 36 विधायकों का समर्थन नहीं है, जैसा कि दावा किया जा रहा है। पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले और प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल सभी 53 विधायकों से संपर्क साध रहे हैं और सोमवार तक स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। राजभवन को सौंपे गए पत्र का हवाला देते हुए सूत्रों ने बताया है कि अजीत पवार के पास 40 से ज्यादा विधायकों और छह विधान परिषद सदस्यों का समर्थन प्राप्त है।
महाराष्ट्र में पहली बार दो उपमुख्यमंत्री
अजीत पवार के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद महाराष्ट्र में पहली बार दो उपमुख्यमंत्री हो गए हैं। बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस एकनाथ शिंदे सरकार में पहले से ही उपमुख्यमंत्री हैं। शिंदे ने पिछले साल बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई थी। उसी समय फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री सीएम पद की शपथ ली थी। अजीत पवार पांचवीं बार उपमुख्यमंत्री बने हैं। वह 2010 से 2014 तक दो बार उपमुख्यमंत्री रहे। तीसरी बार 23 से 26 नवंबर 2019 के बीच उपमुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद 30 दिसंबर 2019 से 29 जून, 2022 तक महाविकास आघाड़ी सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे।