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पूरी खबर को 5 पॉइंट में पढ़ें-
- चांदी में शनिवार को एक दिन में 17 हजार की रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई।
- ग्वालियर में चांदी का भाव सबसे ज्यादा 2.52 रुपए लाख नोट किया गया।
- जनवरी से अब तक चांदी 1 लाख 63 हजार 500 महंगी हो चुकी है।
- अमेरिकी टैरिफ और सप्लाई की कमी ने आग में घी डाला।
- सोलर और EV सेक्टर में चांदी की मांग सबसे अधिक है।
चांदी की चमक ने सबको चौंकाया
साल 2025 निवेश की दुनिया के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं रहा है। खासकर चांदी ने जिस तरह की रफ्तार पकड़ी है। बड़े-बड़े बाजार विशेषज्ञों भी हैरान हैं। शनिवार, 27 दिसंबर का दिन सराफा बाजार के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। सिर्फ एक ही दिन में चांदी की कीमत में 17 हजार रुपए का बड़ा उछाल देखने को मिला था।
ग्वालियर के बाजारों में तो चांदी की कीमत 2.52 लाख रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई। वहीं भोपाल में यह 2.49 लाख और इंदौर में 2.50 लाख रुपए रही। अगर हम साल की शुरुआत को देखें, तो जनवरी में चांदी महज 88 हजार 500 रुपए प्रति किलो पर थी। यानी महज 12 महीनों में इसमें 1 लाख 63 हजार 500 रुपए की भारी तेजी आई है।
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88 हजार से शुरू हुआ सफर
चांदी की कीमतों में यह तेजी अचानक नहीं आई, बल्कि धीरे-धीरे इसने रफ्तार पकड़ी। साल के शुरुआती छह महीनों में चांदी 1 लाख रुपए के नीचे ही खेल रही थी। जुलाई से सितंबर के बीच इसमें हलचल बढ़ी और दाम 1.23 लाख तक पहुंचे। असली धमाका नवंबर और दिसंबर के महीनों में हुआ। इन दो महीनों में चांदी ने 1.54 लाख से सीधे 2.50 लाख का आंकड़ा पार कर लिया।
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चांदी की कीमत बढ़ने के 3 बड़े कारण?
विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी अब केवल गहनों तक सीमित नहीं रही। इसकी बढ़ती कीमतों के पीछे कुछ ठोस वैश्विक और औद्योगिक कारण छिपे हुए हैं।
1. सोलर और ईवी सेक्टर में बढ़ती मांग
आजकल हर घर की छत पर सोलर पैनल और सड़कों पर इलेक्ट्रिक गाड़ियां दिख रही हैं। इन दोनों ही चीजों को बनाने में चांदी का भारी इस्तेमाल होता है। जैसे-जैसे दुनिया ग्रीन एनर्जी की तरफ बढ़ रही है। चांदी की औद्योगिक मांग आसमान छू रही है।
2. अमेरिका के नए टैरिफ का डर
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी और उनके टैरिफ प्लान ने बाजार में डर पैदा किया है। अमेरिकी कंपनियों को डर है कि आने वाले समय में सप्लाई चैन बाधित हो सकती है। इसलिए वे चांदी का भारी स्टॉक जमा कर रही हैं। इससे बाजार में कमी पैदा हो गई है।
3. मैन्युफैक्चरर्स के बीच मची होड़
दुनिया भर के बड़े मैन्युफैक्चरर्स को डर है कि कहीं भविष्य में प्रोडक्शन न रुक जाए। इसी डर से वे पहले ही भारी मात्रा में चांदी खरीद रहे हैं। जब मांग बहुत ज्यादा हो और सप्लाई कम, तो कीमतों का बढ़ना तय होता है।
सोना भी नहीं है पीछे
- चांदी के साथ-साथ सोने की कीमतों में भी जबरदस्त गर्मी देखी जा रही है। सोने के बढ़ने के कारण थोड़े अलग और गंभीर हैं।
- अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती होने से डॉलर कमजोर पड़ गया है। जब डॉलर कमजोर होता है, तो लोग सोने को खरीदना ज्यादा फायदेमंद समझते हैं।
- रूस-यूक्रेन युद्ध और खाड़ी देशों में बढ़ते तनाव ने दुनिया को डरा दिया है। ऐसे अनिश्चित माहौल में लोग शेयर बाजार के बजाय सोने को सबसे सुरक्षित निवेश मानते हैं।
- चीन और भारत जैसे देशों के रिजर्व बैंक अपने पास सोने का भंडार बढ़ा रहे हैं। बैंकों द्वारा की जा रही यह बड़ी खरीदारी सोने के भाव को नीचे नहीं गिरने दे रही है।
क्या अब चांदी खरीदना समझदारी है?
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि चांदी अब एक इंडस्ट्रियल मेटल बन चुकी है। 2025 का साल चांदी के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हुआ है। हालांकि, कीमतें बहुत ऊपर जा चुकी हैं। मांग को देखते हुए गिरावट की संभावना कम दिखती है। निवेशकों के लिए यह साल शानदार मुनाफे वाला रहा है।
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