केंद्र सरकार की कैबिनेट बैठक: केदारनाथ और हेमकुंड साहिब के लिए रोपवे की मंजूरी

प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट ने उत्तराखंड के लिए दो महत्वपूर्ण रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इनमें सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 12.9 किलोमीटर लंबा रोपवे और गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 12.4 किलोमीटर लंबा रोपवे शामिल है। 

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Sandeep Kumar
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केंद्र सरकार ने बुधवार को उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए दो महत्वपूर्ण रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम के तहत दो प्रमुख रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी दी। इनमें सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 12.9 किलोमीटर और गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 12.4 किलोमीटर लंबी रोपवे परियोजनाएं शामिल हैं। इन परियोजनाओं का उद्देश्य तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा को आसान और आरामदायक बनाना है।

सोनप्रयाग से केदारनाथ तक रोपवे परियोजना

इस परियोजना के तहत सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 12.9 किलोमीटर लंबी रोपवे लाइन बनाई जाएगी। इसे 4 हजार 081.28 करोड़ रुपए की लागत से डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और स्थानांतरण (डीबीएफओटी) मोड पर विकसित किया जाएगा। यह परियोजना केदारनाथ आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए एक वरदान साबित होगी, क्योंकि यह पर्यावरण-अनुकूल, तेज़ और आरामदायक कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। इस परियोजना से यात्रा का समय 8 से 9 घंटे से घटकर सिर्फ 36 मिनट रह जाएगा, जिससे यात्रा में भारी राहत मिलेगी।

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सबसे एडवांस्ड गोंडोला तकनीक

यह रोपवे परियोजना ट्राई-केबल डिटेचेबल गोंडोला (3एस) तकनीक पर आधारित होगी, जो सबसे एडवांस्ड और सुरक्षित तकनीकों में से एक मानी जाती है। इसके जरिए एक दिशा में प्रति घंटे 1,800 यात्री यात्रा कर सकेंगे, और प्रतिदिन लगभग 18 हजार यात्री इसका लाभ ले सकेंगे। इस तकनीक की मदद से यात्रियों को एक सुरक्षित और आरामदायक यात्रा का अनुभव मिलेगा, साथ ही उन्हें सुंदर दृश्यों का भी आनंद मिलेगा।

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केदारनाथ मंदिर तक की यात्रा की कठिनाई

वर्तमान में केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को गौरीकुंड से 16 किलोमीटर की चुनौतीपूर्ण चढ़ाई करनी पड़ती है, जिसे पैदल या टट्टू, पालकी और हेलिकॉप्टर द्वारा तय किया जाता है। इस चढ़ाई में यात्रियों को काफी समय और श्रम की आवश्यकता होती है। हालांकि, प्रस्तावित रोपवे के द्वारा यह यात्रा अत्यधिक आसान और तेज़ हो जाएगी, जिससे तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा का अनुभव और अधिक सुखद होगा।

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हर मौसम में कनेक्टिविटी

यह रोपवे परियोजना केवल यात्रा के समय को कम करने का काम नहीं करेगी, बल्कि यह हर मौसम में सोनप्रयाग और केदारनाथ के बीच कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगी। मौसम के उतार-चढ़ाव के बावजूद, तीर्थयात्रियों को यात्रा में कोई रुकावट नहीं होगी और वे आसानी से केदारनाथ पहुंच सकेंगे।

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हेमकुंड साहिब तक का रोपवे

इसके साथ ही गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 12.4 किलोमीटर लंबी रोपवे परियोजना को भी मंजूरी दी गई है। यह परियोजना उत्तराखंड के धार्मिक और पर्यटन क्षेत्र के लिए एक नई पहल साबित होगी। हेमकुंड साहिब तक की यात्रा भी अब और आसान हो जाएगी, जिससे श्रद्धालुओं के लिए यह तीर्थ यात्रा अधिक सुविधाजनक बन सकेगी।

उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

इन दोनों परियोजनाओं से उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन को एक नई दिशा मिलेगी। सरकार की यह पहल तीर्थयात्रियों के लिए न केवल यात्रा को आरामदायक बनाएगी, बल्कि इसके माध्यम से राज्य के पर्यटन क्षेत्र को भी मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी यह परियोजना लाभकारी साबित होगी, क्योंकि यह यात्रा के पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक पर्यावरण-अनुकूल होगी।

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