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कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से अपने बयान पर फटकार तो लगी ही है, लेकिन एक बड़ी राहत भी मिली है। कोर्ट ने सोमवार को उनके खिलाफ चल रही मानहानि की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। यह मामला उस बयान से जुड़ा है जिसमें राहुल गांधी ने अरुणाचल प्रदेश में चीनी सेना द्वारा भारतीय सैनिकों की "पिटाई" किए जाने की बात कही थी। इस मामले में 29 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि मामले में जारी समन को रद्द करने से मना कर दिया था। राहुल गांधी इसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने तीन हफ्तों के लिए लगाई कार्यवाही पर रोक
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने राहुल गांधी की उस याचिका पर सुनवाई की जिसमें उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ जारी समन और मानहानि की शिकायत को रद्द करने से इनकार कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए तीन हफ्तों के लिए कार्यवाही पर रोक लगा दी है और मामले की विस्तृत सुनवाई की बात कही है।
सेना को लेकर बयान पर उठा विवाद
यह पूरा विवाद उस बयान के बाद शुरू हुआ था जिसमें राहुल गांधी ने दावा किया था कि चीन ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की है और भारतीय सैनिकों के साथ हिंसा की गई है। इस पर सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के पूर्व डायरेक्टर उदय शंकर श्रीवास्तव ने उत्तर प्रदेश की एक अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज किया था। उन्होंने कहा कि यह बयान भारतीय सेना का अपमान है।
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राहुल गांधी की दलील – “यह राजनैतिक टिप्पणी है”
राहुल गांधी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह केस दुर्भावना से प्रेरित है और पूरी तरह राजनीतिक है। उन्होंने दलील दी कि लोकतंत्र में विपक्षी नेताओं को सवाल उठाने और सरकार से जवाब मांगने का अधिकार है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट की तीखी टिप्पणियां
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कई सख्त टिप्पणियां कीं और राहुल गांधी की ओर से उठाए गए बयानों पर सवाल खड़े किए:
“बयान संसद में क्यों नहीं दिया?”
जस्टिस दीपांकर दत्ता ने पूछा, “अगर आपको कुछ कहना था तो संसद में क्यों नहीं कहा? सोशल मीडिया पर क्यों?”
“क्या आपके पास कोई सबूत है?”
कोर्ट ने सवाल किया, “आप कैसे कह सकते हैं कि 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय जमीन पर चीन ने कब्जा कर लिया है? क्या आप वहां थे? क्या आपके पास कोई ठोस जानकारी है?”
“अगर आप सच्चे भारतीय होते...”
कोर्ट ने यह भी कहा, “अगर आप सच्चे भारतीय होते तो बिना सबूत ऐसे बयान नहीं देते।” हालांकि इस पर राहुल की ओर से अधिवक्ता सिंघवी ने जवाब दिया कि, "यह भी संभव है कि एक सच्चा भारतीय कहे कि हमारे 20 भारतीय सैनिकों को पीटा गया और मार दिया गया और यह चिंता का विषय है।
“सीमा संघर्ष में दोनों तरफ हताहत होते हैं”
बेंच ने कहा, “जब सीमा पर संघर्ष होता है तो दोनों तरफ नुकसान होना सामान्य बात है।”
“सीआरपीसी की धारा 223 का जिक्र क्यों नहीं?”
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि राहुल गांधी की ओर से हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सीआरपीसी की धारा 223 का हवाला नहीं दिया गया, इस धारा का मानहानि मामलों में संयुक्त मुकदमे की स्थिरता पर असर पड़ सकता है। जो इस केस में अहम साबित हो सकती थी।
हालांकि इस मामले में अब राहुल गांधी को फौरी राहत मिल गई है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनवाई योग्य मानते हुए उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर अगली सुनवाई यानी तीन हफ्तों तक की रोक लगा दी है।
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