वक्फ की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में उठा खजुराहो के मंदिर पर सवाल, सिब्बल ने दी ये दलील

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सरकार के नियंत्रण और वक्फ संपत्तियों के अधिकार पर कोर्ट में जोरदार बहस हुई।

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Rohit Sahu
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सुप्रीम कोर्ट में आज से वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पुनः शुरू हो गई है। यह मामला खासतौर पर सरकार द्वारा वक्फ संपत्तियों के नियंत्रण को लेकर उठाए गए सवालों के कारण चर्चा में है। इस मामले की सुनवाई भारत के पूर्व चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच कर रही है, जिन्होंने अपने रिटायरमेंट से पहले मौजूदा चीफ जस्टिस बीआर गवई को इस केस को सौंपा था।

कपिल सिब्बल ने सरकार के इरादों पर उठाए सवाल

याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ अपनी दलील प्रस्तुत की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस अधिनियम के माध्यम से वक्फ की संपत्तियों को कब्जे में लेना चाहती है। कपिल सिब्बल ने कहा, "वक्फ का अर्थ है अल्लाह के लिए समर्पण।

जब कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति वक्फ में देता है, तो वह एक प्रकार से अल्लाह के लिए दान करता है, और इसे वापस नहीं लिया जा सकता।" उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ की संपत्तियां ट्रांसफर नहीं की जा सकतीं, क्योंकि एक बार जो संपत्ति वक्फ बन जाती है, वह हमेशा वक्फ ही रहती है।

वक्फ ऐक्ट को ठहराया गलत 

कपिल सिब्बल ने वक्फ ऐक्ट को गलत ठहराते हुए कहा कि यह कानून इस उद्देश्य से लाया गया था कि वक्फ संपत्तियों का संरक्षण होगा, लेकिन असल में यह कब्जे का रास्ता खोलता है। उन्होंने यह भी बताया कि इस कानून में ऐसी व्यवस्था की गई है कि बिना किसी न्यायिक प्रक्रिया के वक्फ की संपत्ति को कब्जे में लिया जा सकता है। इसके अलावा, यह निर्णय एक सरकारी अधिकारी द्वारा लिया जाएगा कि कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं, जिससे संपत्ति के अधिकारों पर विवाद उत्पन्न हो सकता है।

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वक्फ क्या है?

वक्फ शब्द का अर्थ है 'अल्लाह के लिए समर्पण', और यह एक धार्मिक परंपरा है, जो इस्लाम में बहुत महत्वपूर्ण है। जब कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ करता है, तो वह इसे स्थायी रूप से अल्लाह के नाम पर समर्पित कर देता है, और यह संपत्ति किसी भी व्यक्ति को नहीं दी जा सकती। वक्फ की संपत्ति पर मालिकाना हक नहीं होता और इसे अन्यथा ट्रांसफर भी नहीं किया जा सकता।

क्यों बीच में आया खजुराहो के मंदिर का नाम

सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने ऐतिहासिक स्मारकों का उदाहरण भी दिया, जैसे खजुराहो मंदिर। उन्होंने कहा कि सरकार पहले भी कुछ ऐतिहासिक स्थलों को अपने नियंत्रण में ले चुकी है, लेकिन इनका वक्फ का दर्जा कभी समाप्त नहीं हुआ। यदि अब कोई वक्फ संपत्ति स्मारक के रूप में चिह्नित की जाती है, तो उसे वक्फ नहीं माना जाएगा और फिर लोग पूजा-अर्चना करने से वंचित हो सकते हैं।

इस पर चीफ जस्टिस बीआर गवई ने स्पष्ट किया कि सरकारी नियंत्रण से उपासना का अधिकार प्रभावित नहीं होगा। उन्होंने खजुराहो मंदिर का उदाहरण देते हुए कहा कि यह स्मारक होने के बावजूद वहां लोग पूजा कर सकते हैं।

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