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सुप्रीम कोर्ट ने उन लोगों को भी बड़ी राहत दी है जिन्होंने किसी हाउसिंग प्रोजेक्ट में फ्लैट सीधे बिल्डर से न खरीदकर उसके ऑरिजनल अलॉटी से खरीदा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिल्डर ऐसे खरीदार को भी एक तय वक्त में पजेशन देने को बाध्य है।
होम बायर्स के हक की बात
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उन घर खरीदारों को बड़ी राहत दी है जो बिल्डर की लेट— लतीफी से परेशान हैं। देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई बिल्डर तय वक्त के अंदर पजेशन देने से इनकार नहीं कर सकता है। अगर बिल्डर तय वक्त पर फ्लैट का पजेशन नहीं दे पा रहा है तो ग्राहक को पैसे वापस मांगने का अधिकार है। यह फैसला उन फ्लैट खरीदारों के पक्ष में है जो हाउसिंग प्रॉजेक्ट के ऑरिजनल अलॉटी नहीं हैं।
ऐसे समझें सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस एस रवींद्र भट्ट की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अगर किसी ने ऐसे मालिक से मकान खरीदा है, जिसे बिल्डर ने फ्लैट अलॉट किया था तो भी फ्लैट खरीदने वाले का बिल्डर पर उतना ही अधिकार बनता है जितना मूल मकान मालिक का। टेक्निकल टर्म में ऐसे मकान मालिक को ऑरिजनल अलॉटी कहा जाता है। बेंच ने अपने आदेश में साफ किया है कि 'ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि किसी हाउसिंग प्रॉजेक्ट के ऑरिजनल अलॉटी से फ्लैट खरीदने वाले को बिल्डर पर कोई अधिकार नहीं बनता है, क्योंकि बिल्डर ने उससे कोई वादा नहीं किया था।'
कोर्ट ने नहीं मानी बिल्डर की दलील
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे लोगों की संख्या हजारों में हो सकती है जिन्होंने किसी हाउसिंग प्रॉजेक्ट के ऑरिजनल अलॉटी से फ्लैट खरीदा हो। कोर्ट ने साफ कहा कि एक ग्राहक के नाते उन्हें भी उपभोक्ता अधिकार कानून के तहत मिले सारे अधिकार प्राप्त हैं। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की इस बेंच ने लॉरिएट बिलवेल प्राइवेट लिमिटेड (Laureate Builwell Pvt Ltd) की याचिका पर यह आदेश दिया था, जिसमें कंपनी ने दलील दी थी कि खरीदार को पैसे वापस नहीं किए जा सकते हैं क्योंकि वह ऑरिजनल अलॉटी नहीं है।