NEW DELHI. सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के कॉलेज में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के सर्कुलर पर आंशिक रोक लगा दी है। साथ ही अदालत ने चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी।
सुप्रीम कोर्ट में बॉम्बे हाईकोर्ट के कॉलेज कैंपस के अंदर हिजाब, बुर्का और नकाब पहनने पर प्रतिबंध को बरकरार रखने वाले फैसले को चुनौती दी गई थी। 26 जून को हाईकोर्ट ने चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी के दो कॉलेजों के प्रतिबंध वाले फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।
'तिलक' और 'बिंदी' पर बैन क्यों नहीं?
शुक्रवार को मामले में सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की डबल बेंच ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि छात्राओं को आजादी होनी चाहिए कि उन्हें क्या पहनना, कॉलेज उन पर दबाव नहीं बना सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज से कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अचानक आपको यह पता चलता है कि देश में कई धर्म हैं। अगर आपका इरादा छात्रों की धार्मिक आस्था को उजागर नहीं था तो कॉलेज में 'तिलक' और 'बिंदी' पर बैन क्यों नहीं लगाया।
स्टूडेंट के लिए लगा दीं ये शर्तें
शैक्षणिक संस्था का पक्ष रखने पेश वरिष्ठ वकील माधवी दीवान से अदालत ने पूछा कि क्या छात्रों के नाम, उनकी धार्मिक पहचान का खुलासा नहीं करेंगे?' हालांकि अदालत ने कहा कि क्लास के अंदर लड़कियों के बुर्का पहनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, और परिसर में किसी भी धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
कोर्ट ने दिया आदेश
बेंच ने कहा कि इस अंतरिम आदेश का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा होता तो मुंबई कॉलेज को दुरुपयोग के मामले में अदालत का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दी गई है। साथ ही कोर्ट ने चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी को नोटिस जारी किया और 18 नवंबर तक जवाब मांगा।
जानें हाईकोर्ट ने कहा था
दरअसल, मुंबई के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज ने परिसर में हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टोल और टोपी पहनकर आने प्रतिबंध लगाया था। कॉलेज के इस फैसले के खिलाफ कई लड़कियों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि यह नियम उनके धर्म के पालन, मौलिक अधिकार, पसंद के अधिकार का उल्लंघन है। जिस पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि सभी स्टूडेंट्स पर ड्रेस कोड लागू होता है, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो, अनुशासन बनाए रखने के ड्रेस कोड को लागू किया गया है। यह संविधान के तहत शैक्षणिक संस्थान की स्थापना और प्रशासन के मौलिक अधिकार के अनुरूप है। इसी के साथ कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था।
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