सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश, गड्ढे से भरे और ट्रैफिक जाम हाईवे पर नहीं कर सकते टोल वसूली

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि गड्ढों से भरे और ट्रैफिक जाम लगे हाईवे पर टोल वसूली नहीं हो सकती, जो कि नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम है।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और उसके एजेंटों द्वारा उन सड़कों पर टोल वसूला नहीं जा सकता जो सही स्थिति में नहीं हैं। इस फैसले के तहत, गड्ढों से भरी सड़क और ट्रैफिक जाम से प्रभावित सड़कों पर टोल वसूली पर रोक लगाई गई है। यह निर्णय नागरिकों के अधिकारों और उनका न्याय सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है, जो पहले ही इन सड़कों का उपयोग करने के लिए टैक्स चुका चुके हैं। 

सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा केरल HC का आदेश 

मुख्य न्यायाधीश भूषण आर गवई (CJI Gavai)  की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने केरल उच्च न्यायालय के 6 अगस्त के आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें कहा गया था कि यदि सड़कें खराब स्थिति में हैं या उस पर ट्रैफिक जाम की समस्या है, तो उन पर टोल वसूली नहीं हो सकती।

सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को नागरिकों के कल्याण को प्राथमिकता देते हुए सही ठहराया। कोर्ट ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति पहले ही टोल टैक्स चुका चुका है तो उसे खराब सड़क पर यात्रा करने के लिए फिर से टोल नहीं देना चाहिए। 

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इस मामले में आया सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय 

सुप्रीम कोर्ट ने केरल उच्च न्यायालय के एक आदेश पर सुनवाई करते हुए यह महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। केरल उच्च न्यायालय ने छह अगस्त को केरल के त्रिशूर जिले के पलियेक्कारा टोल प्लाजा पर टोल वसूली की रोक लगान संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय दिया था।

इस निर्णय में हाईकोर्ट ने खस्ताहाल सड़क होने या जाम के दौरान टोल वसूली को निलंबित करने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के निर्णय को बरकरार रखते हुए एनएचएआई और टोल प्लाजा एजेंसी की अपीलों को खारिज कर दिया।

खराब सड़कों से टोल वसूली पर उठाए गए सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि किसी सड़क के 65 किलोमीटर के हिस्से में 5 किलोमीटर का हिस्सा भी प्रभावित होता है, तो इसका व्यापक असर पूरे मार्ग पर पड़ता है और यातायात घंटों तक रुक सकता है। अदालत ने उदाहरण देते हुए कहा कि एडापल्ली-मन्नुथी खंड पर एक बार 12 घंटे तक ट्रैफिक जाम रहा, जिससे यह सवाल उठता है कि यदि यात्रा करने में इतनी अधिक समय लग रहा है, तो लोग क्यों टोल दें?  

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सुप्रीम कोर्ट का फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि गड्ढे से भरी और ट्रैफिक जाम वाली सड़कों पर टोल वसूली नहीं की जा सकती।

केरल उच्च न्यायालय का समर्थन: सुप्रीम कोर्ट ने केरल उच्च न्यायालय के 6 अगस्त के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि खराब सड़क की स्थिति पर टोल वसूली अवैध है।

सड़क की खराब स्थिति पर सवाल: अदालत ने कहा कि यदि सड़क का एक हिस्सा भी प्रभावित है, तो पूरे मार्ग पर इसका प्रभाव पड़ता है और उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

एनएचएआई का तर्क: एनएचएआई ने वित्तीय नुकसान को लेकर चिंता जताई थी, कहां कि टोल न लेने से ₹49 लाख का दैनिक राजस्व प्रभावित हो सकता है, लेकिन कोर्ट ने नागरिकों के हितों को प्राथमिकता दी।

नागरिकों के अधिकार की रक्षा: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब नागरिक पहले ही टोल टैक्स चुका चुके हैं, तो खराब सड़कों पर उन्हें फिर से टोल देने का कोई कारण नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट बोलाः घटिया सड़कों का क्यों दें लोग टोल 

कोर्ट ने एनएचएआई द्वारा दिए गए तर्क को नकारते हुए कहा कि यदि सड़क का एक हिस्सा भी प्रभावित है, तो पूरे हिस्से पर उसका असर पड़ता है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट का मानना था कि सड़क की गुणवत्ता और यातायात की स्थिति के अनुसार टोल वसूली की जानी चाहिए। 

49 लाख रुपए प्रतिदिन का नुकसान

नेशनल हाईवे अथारिटी ऑफ इंडिया व पलियेक्कारा टोल प्रबंधन एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह दलील भी दी कि टोल वसूली निलंबित करने से एनएचएआई और एजेंसी को प्रतिदिन 49 लाख रुपए का नुकसान होगा। दोनों ही अपीलकर्ताओं ने कहा कि इस राशि का उपयोग राजमार्ग की सड़क गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए किया जाता है, कोर्ट ने इन दावों को खारिज कर दिया। 

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