सुप्रीम कोर्ट ने विवाहित जोड़े की संपत्ति से जुड़े एक मामले में अहम टिप्पणी की है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि पति का पत्नी के 'स्त्रीधन' (महिला की संपत्ति) पर कोई हक नहीं होता है। हालांकि संकट के समय में इसका उपयोग कर सकता है। लेकिन संपत्ति लौटाना उसका दायित्व है। अदालत ने एक महिला के खोए हुए सोने के बदले 25 लाख रुपये लौटाने का आदेश देते हुए अपने फैसले में यह अहम बात कही गई। 10 साल से ज्यादा पुराने इस मुकदमे में अपने हक की लड़ाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची महिला के केस की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ में की गई।
पति और उसकी मां आभूषणों के बदलने के लगाए आरोप
महिला का कहना है कि उसकी शादी के पहले दिन ही उसके पति ने सभी गहने अपने कब्जे में ले लिए थे। गहनों को सुरक्षित रूप से रखने के नाम पर उसने गहने अपनी मां को दे दिए। महिला के आरोप के मुताबिक पति और उसकी सास ने अपनी पुराने कर्जों को खत्म करने के लिए उसके गहनों का उपयोग किया है। मामला अदालत में पहुंचने के बाद फैमिली कोर्ट ने 2011 में पारित फैसले में महिला के आरोपों को सही पाया। कोर्ट ने पति और उसकी मां से धन का दुरुपयोग की नुकसान की भरपाई करने का आदेश दिए। इसके बाद मामला केरल उच्च न्यायालय पहंचा। यहां अदालत ने पारिवारिक अदालत से मिली राहत को आंशिक रूप से खारिज कर कहा कि महिला पति और उसकी मां द्वारा सोने के आभूषणों की हेराफेरी को साबित नहीं पाए।
पत्नी के 'स्त्रीधन' पर पति का नहीं है अधिकार
मामला जब सुप्रीम कोर्ट में गया तो शीर्ष अदालत ने कहा, 'स्त्रीधन' पत्नी और पति की संयुक्त संपत्ति नहीं है। पति के पास मालिक के रूप में ऐसी संपत्ति पर कोई स्वतंत्र प्रभुत्व नहीं होता। अदालत ने साफ कर दिया है कि किसी महिला को शादी से पहले, शादी के समय या विदाई के समय या उसके बाद उपहार में दिए गए गहने और संपत्तियां पर महिला का पुरा अधिकार है। महिला अपनी संपत्ति को अपने अनुसार खर्च कर सकती है, उसे अपनी खुशी के अनुसार इनका प्रयोग करने का पूरा अधिकार है। पति का इस पर किसी भी प्रकार का कोई नियंत्रण नहीं हो सकता।
13 सालों बाद मिला महिला को इंसाफ
मामले में महिला का कहना है कि उसकी शादी के समय उसके परिवार ने उसको 89 सोने के सिक्के गिफ्ट दिए थे। वहीं पिता ने पति को दो लाख रुपए का चेक दिया था। सबले पहले यह मामला पहले केरल की फैमिली कोर्ट में गया, जहां महिला का दावा सही पाया गया। स्त्रीधन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला एतिहासिक आया है। इसके बाद केरल हाई कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया। केरल उच्च न्यायालय के आदेश से असंतुष्ट महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां अदालत ने उसका मामला सही पाया।
ये खबर भी पढ़ें....हजारों सागौन के जंगल से भरी अरबों की वनभूमि डकारना चाहता है
ये भी पढ़ें......IRCTC वेटिंग लिस्ट और आरएसी टिकट के कैंसल को लेकर बड़ा अपडेट
ये खबर भी पढ़ें.......निगम के फर्जी बिल घोटाले में सिद्दकी करेगा सरेंडर
ये भी पढ़ें......वोटिंग से पहले भाजपा में आए कांग्रेस के शहर अध्यक्ष
क्या है स्त्रीधन
स्त्रीधन (महिला की संपत्ति) में उन चीजों को कहा जाता है जो महिलाओं को विवाह के समय या उससे पहले या विवाह के बाद जो चीजें मिलती है। इसमें महिला को मिलने वाली सभी चल, अचल संपत्ति गिफ्ट आदि शामिल हैं। इसके अलावा विवाह, बच्चे के जन्म के दौरान मिलले वाले और विधवा होने के दौरान महिलाओं को अपने स्त्रीधन पर पूरा अधिकार है।