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टीसीएस (टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज) के 12,000 कर्मचारियों की छटनी के फैसले ने आईटी उद्योग में हलचल मचा दी है। दुनिया भर में सुरक्षित और अच्छी सैलरी देने वाली कंपनी ने बड़ा कदम उठाया है। इस फैसले पर कर्मचारियों ने विरोध जताया है।
कंपनी ने फ्यूचर रेडी बनने, नई डिमांड के अनुरूप तैयार होने और नई तकनीक को अपनाने के लिए यह निर्णय लिया है। इस फैसले से आईटी कर्मचारियों में असंतोष है। कर्नाटक स्टेट आईटी एंप्लॉयीज यूनियन ने इसके खिलाफ केस दायर किया है।
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क्या कहना है टीसीएस कंपनी का?
टीसीएस का कहना है कि यह फैसला कंपनी को फ्यूचर रेडी बनाने के लिए लिया गया है। इसका उद्देश्य नई तकनीकी डिमांड के अनुसार खुद को तैयार करना है। कर्मचारियों की नाराजगी और कर्नाटक आईटी कर्मचारियों की यूनियन का केस इस कदम पर सवाल उठा रहे हैं।
टीसीएस का छटनी निर्णय
टीसीएस ने घोषणा की है कि वह वित्तीय वर्ष 2026 तक 2 फीसदी कर्मचारियों की छटनी करेगी। इसका मतलब है कि कंपनी को 12,000 कर्मचारियों को हटाना होगा। यह कदम फ्यूचर रेडी बनने और नई तकनीकी जरूरतों के साथ सामंजस्य बनाने के लिए उठाया गया है।
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आईटी यूनियन का विरोध
कर्नाटक स्टेट आईटी एंप्लॉयीज यूनियन ने इस फैसले के खिलाफ लेबर कमिशनर के पास मामला दायर किया है। यूनियन का आरोप है कि टीसीएस ने इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स ऐक्ट, 1947 का उल्लंघन किया है। उनका कहना है कि 100 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनी को छटनी के लिए सरकार से अप्रूवल लेना जरूरी होता है।
यूनियन ने कहा कि टीसीएस ने नियमों का पालन नहीं किया और छटनी के लिए कोई पूर्व अनुमति नहीं ली। यूनियन ने यह भी मांग की है कि जिन अधिकारियों ने यह निर्णय लिया, उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाए।
4 पॉइंट्स में समझें पूरी स्टोरी👉 श्रम विभाग के सूत्रों के अनुसार, जल्दी ही टीसीएस के मैनेजमेंट के साथ बैठक होगी। इस बैठक में लेऑफ निर्णय के कारणों पर चर्चा की जाएगी। कर्नाटक के श्रम मंत्री ने कहा है कि बैठक जल्द होगी, लेकिन तारीख अभी तय नहीं की गई है। 👉 यूनियन का कहना है कि यदि छटनी बिना उचित मंजूरी के लागू होती है, तो यह भविष्य में खतरनाक मिसाल बन सकती है। इससे अन्य कंपनियां भी ऐसे फैसले ले सकती हैं। 👉 टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने वित्तीय वर्ष 2026 तक 2% कर्मचारियों की छटनी का निर्णय लिया है। यह कदम करीब 12,000 कर्मचारियों को प्रभावित करेगा। 👉 इस निर्णय पर कर्मचारियों में नाराजगी है, खासकर कर्नाटक स्टेट आईटी एंप्लॉयीज यूनियन ने इसका विरोध किया है। यूनियन का कहना है कि टीसीएस ने इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स ऐक्ट, 1947 का उल्लंघन किया है। |
श्रम विभाग की प्रतिक्रिया और आगे की प्रक्रिया
श्रम विभाग के सूत्रों के अनुसार, जल्दी ही टीसीएस के मैनेजमेंट के साथ बैठक होगी। इस बैठक में लेऑफ निर्णय के कारणों पर चर्चा की जाएगी। कर्नाटक के श्रम मंत्री ने कहा है कि बैठक जल्द होगी, लेकिन तारीख अभी तय नहीं की गई है।
यूनियन का कहना है कि यदि छटनी बिना उचित मंजूरी के लागू होती है, तो यह भविष्य में खतरनाक मिसाल बन सकती है। इससे अन्य कंपनियां भी ऐसे फैसले ले सकती हैं।
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