किसान दिवस पर जानें भारतीय कृषि को ग्लोबल बनाने के लिए सरकार की ये 10 बड़ी योजनाएं कैसे करती है मदद

राष्ट्रीय किसान दिवस भारत के पांचवें प्रधानमंत्री और किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह की जयंती के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने अपना पूरा जीवन खेतों की मिट्टी और किसानों के हक के लिए समर्पित कर दिया।

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Kaushiki
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हर साल 23 दिसंबर को पूरा देश राष्ट्रीय किसान दिवस (National Farmers Day) मनाता है। ये दिन भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की याद में मनाया जाता है। उन्होंने अपना पूरा जीवन किसानों के हक और कृषि सुधारों के लिए समर्पित कर दिया था। 

सरकार ने साल 2001 में इस दिन को आधिकारिक मान्यता दी थी। इस साल 2025 की थीम बहुत ही खास और आधुनिक रखी गई है। इस बार का विषय 'विकसित भारत 2047 – भारतीय कृषि को ग्लोबल बनाने में FPOs की भूमिका' है।

ये विषय भारतीय खेती को ग्लोबल लेवल पर ले जाना है। इसमें एफपीओ (FPOs) यानी किसान उत्पादक संगठनों की भूमिका पर जोर दिया गया है।

भारत को 2047 तक विकसित बनाने में हमारे अन्नदाताओं का योगदान सबसे बड़ा होगा। चलिए जानते हैं उन योजनाओं के बारे में जो हर किसान के लिए वरदान साबित हो रही हैं।

पीएम किसान सम्मान निधि योजना (PM-KISAN)

ये योजना छोटे किसानों के लिए एक बहुत बड़ा सहारा साबित हुई है। इसके तहत एलिजिबल किसान परिवारों को हर साल 6 हजार रुपए की मदद मिलती है। यह पैसा दो हजार रुपए की तीन बराबर किस्तों में सीधा बैंक अकाउंट में आता है।

सरकार का मकसद किसानों को खाद और बीज खरीदने में मदद करना है। अब तक करोड़ों किसान इस योजना का लाभ उठाकर अपनी खेती सुधार चुके हैं।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)

खेती में मौसम का भरोसा नहीं होता, इसलिए ये बीमा योजना बहुत जरूरी है। प्राकृतिक आपदा या कीटों से फसल बर्बाद होने पर सरकार मुआवजा देती है।

किसानों को इसके लिए बहुत ही कम प्रीमियम (किस्त) भरनी पड़ती है। खरीफ फसलों के लिए केवल 2% और रबी फसलों के लिए 1.5% प्रीमियम देना होता है। बागवानी फसलों के लिए यह प्रीमियम राशि 5% तय की गई है।

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किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना

पैसों की तंगी दूर करने के लिए सरकार बहुत कम ब्याज पर लोन देती है। किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए 3 लाख रुपए तक का लोन मिल सकता है। अगर आप समय पर पैसा चुकाते हैं तो ब्याज दर मात्र 4% रह जाती है। ये मनी लेंडर्स के चंगुल से किसानों को बचाने का एक बहुत अच्छा तरीका है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)

पानी की हर बूंद का सही इस्तेमाल करने के लिए यह योजना चलाई गई है। इसका नारा है "हर बूंद से ज्यादा फसल" (More Crop Per Drop)। इसमें ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई सिस्टम लगाने पर भारी सब्सिडी दी जाती है। इससे पानी की बचत होती है और फसल की पैदावार भी काफी बढ़ जाती है।

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ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM)

अब किसान अपनी फसल सिर्फ लोकल मंडी में बेचने को मजबूर नहीं हैं। ई-नाम एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो देशभर की मंडियों को आपस में जोड़ता है।

किसान ऑनलाइन अपनी फसल का दाम चेक कर सकते हैं और कहीं भी बेच सकते हैं। इससे बिचौलियों का रोल खत्म होता है और किसानों को सही कीमत मिलती है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card)

मिट्टी की सेहत जानने के लिए यह कार्ड हर किसान के पास होना चाहिए। इसमें मिट्टी की जांच के बाद 12 जरूरी पोषक तत्वों की रिपोर्ट दी जाती है। साथ ही यह भी बताया जाता है कि कितनी खाद डालना सही रहेगा। इससे फिजूल के खर्च बचते हैं और जमीन की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है।

परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY)

आजकल दुनिया में ऑर्गेनिक यानी जैविक खेती की मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है। सरकार इसके लिए प्रति हेक्टेयर 31 हजार 5 सौ रुपए की आर्थिक मदद करती है।

इसमें से 15 हजार रुपए सीधे किसानों को प्रोत्साहन राशि के रूप में मिलते हैं। इसका उद्देश्य बिना केमिकल वाली शुद्ध फसलें पैदा करना और पर्यावरण बचाना है।

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कृषि अवसंरचना निधि (AIF)

फसल कटने के बाद उसे सुरक्षित रखना सबसे बड़ी चुनौती होती है। इस योजना के तहत कोल्ड स्टोरेज और गोदाम बनाने के लिए सस्ता कर्ज मिलता है।

2 करोड़ रुपए तक के लोन पर सरकार 3% ब्याज की छूट देती है। इससे किसान अपनी फसल को खराब होने से बचाकर सही समय पर बेच सकते हैं।

प्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM-KUSUM)

बिजली के बिल से छुटकारा पाने के लिए सौर ऊर्जा सबसे बेस्ट ऑप्शन है। सरकार (केंद्र की योजनाएं) सोलर पंप लगाने के लिए 30% से 50% तक की सब्सिडी देती है।

किसान अपने खेतों में सोलर पैनल लगाकर न केवल खेती कर सकते हैं। बल्कि वे फालतू बिजली बिजली कंपनियों को बेचकर पैसा भी कमा सकते हैं।

प्रधानमंत्री किसान मान-धन योजना (PM-KMY)

बुढ़ापे में सम्मान से जीने के लिए यह एक सरकारी पेंशन (Ministry of Agriculture Welfare) योजना है। 18 से 40 साल तक का कोई भी किसान इसमें छोटा योगदान दे सकता है।

60 साल की उम्र पूरी होने के बाद किसान को हर महीने 3 हजार रुपए पेंशन मिलेगी। यह छोटे और सीमांत किसानों के सामाजिक सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी कदम है।

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