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बात महज कुछ पेड़ों की नहीं है, बात उस ठंडी छांव की है, जिसमें रिश्ते भी नरम पड़ जाते हैं। वो मोहल्ले जहां सुबह की चाय पार्क की हरियाली के बीच पी जाती है, वहां शाम को झगड़ों की गूंज नहीं, बच्चों की खिलखिलाहट सुनाई देती है। यह कोई भावुक कल्पना नहीं, बल्कि तथ्यों पर टिकी सच्चाई है। जी हां, जहां हरियाली है, वहां पारिवारिक झगड़े, आपराधिक प्रवृत्तियां और सामाजिक तनाव आश्चर्यजनक रूप से कम हो जाते हैं।
नई दिल्ली का लोधी गार्डन हो या मुंबई का संजय गांधी नेशनल पार्क इन इलाकों के पास रहने वालों की जिंदगी शहर की बाकी भीड़भाड़ और शोरगुल वाले इलाकों से अलग है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की 2024 की रिपोर्ट ग्रीन स्पेस एंड अर्बन सेफ्टी के अनुसार, पेड़ों और पार्कों से घिरे इलाकों में अपराध कम होते हैं। वहां रहने वाले लोगों का व्यवहार भी सौम्य और सरल होता है। यह अब किसी विचारधारा या धारणा की बात नहीं, बल्कि वैज्ञानिक शोधों और आंकड़ों से प्रमाणित तथ्य है।
हरियाली से भरपूर इलाकों में अपराध दर 3 से 5 फीसदी तक कम दर्ज हुई है। यह अकेली रिपोर्ट नहीं है, जो यह कह रही है कि हरियाली से अपराध घटते हैं, बल्कि यह वह तस्वीर है, जो देशभर के आंकड़ों में झलकती है।
जब लालबाग ने संभाली बेंगलुरु की नब्ज
बेंगलुरु में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISC) द्वारा 2019 में किया गया विश्लेषण बताता है कि कब्बन पार्क और लालबाग जैसे क्षेत्रों के आसपास हिंसक अपराध 5 से 8 प्रतिशत तक कम हो गए। वहां रहने वालों में पारिवारिक तनाव कम हुआ। मानसिक शांति बढ़ी और सबसे खास पति-पत्नी के बीच झगड़ों में कमी देखी गई है।
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वैज्ञानिक मानते हैं कि हरियाली से दिमाग ठंडा रहता है
शिकागो यूनिवर्सिटी का अध्ययन कहता है कि जिन इलाकों में पेड़, पार्क और हरियाली ज्यादा होती है, वहां हत्या और डकैती जैसे अपराध 7 से 10 प्रतिशत तक घट जाते हैं। येल यूनिवर्सिटी की रिसर्च कहती है कि संपत्ति से जुड़ी घटनाएं भी 4 से 6 प्रतिशत तक कम होती हैं। यानी हरियाली सांसों के लिए हवा देने के साथ रिश्तों को भी ऑक्सीजन देती है।
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जहां पेड़, वहां शांति, जहां कंक्रीट...वहां हिंसा
एक नजर आंकड़ों पर डालें तो यह तस्वीर और स्पष्ट हो जाती है। नागालैंड, मिजोरम, सिक्किम, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे हरे-भरे राज्यों में प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध की दर देश के औसत से काफी कम है। मिजोरम में हरियाली 85.4 प्रतिशत है और प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध दर 174.6। वहीं नागालैंड में 75.3 प्रतिशत हरियाली के साथ अपराध दर महज 103.2 है।
इसके उलट, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात और दिल्ली जैसे कम हरियाली वाले राज्यों में अपराध दर देश के औसत से कहीं ऊपर है। दिल्ली में हरियाली सिर्फ 13.1 प्रतिशत है और प्रति लाख व्यक्ति पर अपराध की दर 1832 है, जो राष्ट्रीय औसत से चार गुना अधिक है।
शहरों के लिए हरियाली कितनी जरूरी
विशेषज्ञ मानते हैं कि शहरों के नियोजन में ग्रीन जोन को प्रायोरिटी देना सामाजिक शांति और कानून व्यवस्था की मजबूती के लिए भी जरूरी है। हरियाली मानसिक तनाव को कम करती है। गुस्से को शांत करती है और लोगों को संवाद और समझदारी की ओर प्रेरित करती है।
तो जनाब! अगर समाज में शांति चाहिए, परिवारों में प्रेम चाहिए और शहरों में सुरक्षा चाहिए तो हरियाली को प्राथमिकता देना ही होगा। पार्क बनाइए, पौधरोपण कीजिए और हर मोहल्ले में ग्रीन बेल्ट बनाइए, क्योंकि जब वातावरण हरित होगा, तो जीवन हर क्षण शांत होगा।
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