पत्नी से परेशान पति यहां करें शिकायत, क्या कहता है कानून

महिलाओं के प्रति हिंसा की घटनाएं अक्सर चर्चा का विषय बनती हैं, लेकिन पुरुषों के अधिकारों पर कभी भी गंभीर बातचीत नहीं होती। हाल के दिनों में देश में कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिन्होंने पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक विकास पर गहरा असर डाला है।

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Raj Singh
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MAHILA
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महिलाओं के प्रति हिंसा की खबरें आए दिन चर्चा की विषय बनी रहती हैं लेकिन कभी भी पुरुषों के अधिकारों की बात नहीं की जाती। हाल के दिनों में देश में कुछ ऐसी घटनाएं घटी, जो पुरुषों के मेंटल हेल्थ और शारीरिक विकास पर गहरा प्रभाव डाला है। दरअसल, हम पुरुषों की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि बीते दिनों उत्तर प्रदेश के आगरा में पत्नी से प्रताड़ित होकर एक शख्स ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। कुछ ऐसा ही बेंगलुरु के रहने वाले एआई इंजीनियर अतुल सुभाष ने किया था और हाल ही में मध्य प्रदेश के देवास में पूर्व विधायक के बेटे ने पत्नी से परेशान होकर मौत को गले लगाने की कोशिश की। हालांकि, हॉस्पिटल में अभी उका इलाज जारी है।

ये वो घटनाएं हैं जो मीडिया में सामने आने या थाने में एफआईआर दर्ज होने के बाद सामने आई हैं। ऐसे ना जाने कितने केस सामने नहीं आते, जिनमें पति प्रताड़ित किए जाते हैं। तो आइए हम आपको बताते हैं कि अगर आप भी अपनी पत्नी से प्रताड़ित हैं या आपको किसी बात को लेकर धमकाया जाता है या पत्नी मानसिक तौर पर परेशान करती है तो आप कहां शिकायत कर सकते हैं...

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पत्नी से प्रताड़ित हैं तो क्या करें ?

  • इस स्थिति में पति पुलिस से मदद ले सकता है। अगर पति के साथ पत्नी मार-पिटाई कर रही है। उस पर गलत काम करने के लिए कोई जोर-दबाव बना रही है तब वह 100 नंबर पर या फिर महिला हेल्पलाइन नंबर 1091 पर ही कॉल करके पुलिस से मदद ले सकता है।
  • खुद से बनाई गई प्रॉपर्टी यानी स्व-अर्जित प्रॉपर्टी पर सिर्फ और सिर्फ पति का ही अधिकार होता है। पत्नी या बच्चों का उस पर कोई अधिकार नहीं होता। वह जिसे चाहे उसे दे सकता है या किसी को भी न देकर ट्रस्ट को हैंडओवर कर सकता है।

पति मानसिक रूप से प्रताड़ित करने वाली पत्नी के खिलाफ पुलिस और कोर्ट दोनों की मदद ले सकता है।

अगर पत्नी पति को किसी से मिलने से रोकती है या किसी से बात करने या नीचे दिए गए तमाम चीजें पत्नी के द्वारा पति पर जोर दिया जाता है तो पति पुलिस में जा सकता है। जैसे कि-

  • उसके परिवार से न मिलने देना
  • दोस्तों-रिश्तेदारों से न मिलने देना
  • बार-बार नामर्द बोलना
  • घर से बाहर निकाल देना
  • हर काम में हद से ज्यादा टोका-टाकी
  • शारीरिक हिंसा, दर्द देना या नुकसान पहुंचाना
  • सबके सामने या फिर अकेले में भी अपशब्द बोलना या गाली देना
  • बार-बार आत्महत्या की धमकी देना
  • भावनात्मक हिंसा करना

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  • पत्नियों की तरह ही पति को भी यह अधिकार है कि वे तलाक के लिए याचिका दायर कर सकता है। इस अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए पति को अपनी पत्नी की सहमति की कोई जरूरत नहीं होती। वो अपने ऊपर अत्याचार, जान का डर या मेंटल स्टेबिलिटी का जिक्र देते हुए याचिका दायर कर सकता है।
  • पत्नी की तरह ही पति को भी हिंदू मैरिज एक्ट में मेंटेनेंस यानी भरणपोषण और रखरखाव का अधिकार दिया गया है। मामले में होने वाली सुनवाई के बाद उसे मिलने वाली मेंटेनेंस की रकम को कोर्ट डिसाइड करती है।
  • पति का भी बच्चे की कस्टडी पर बराबरी का अधिकार माना जाता है।
  • एकतरफा तलाक या आपसी सहमति के बिना तलाक के केस में पति को ये अधिकार मिलता है। बच्चे के भविष्य को देखते हुए कोर्ट आर्थिक रूप से सक्षम अभिभावक को ही बच्चे की कस्टडी अधिकतर मामलों में सौंपती है।
  • अगर बच्चा बहुत छोटा है तब कोर्ट उसकी देखभाल का जिम्मा मां को सौंपता है। अगर मां किसी कारण से सक्षम नहीं है तो कोर्ट अपने फैसले में बदलाव कर सकता है।

उठी थी राष्ट्रीय पुरुष आयोग बनाने की मांग

बता दें कि साल 2023 में देश में राष्ट्रीय पुरुष आयोग बनाने की मांग काफी जोर शोर से उठी थी। राष्ट्रीय महिला आयोग की तरह राष्ट्रीय पुरुष आयोग के गठन की मांग की गई थी। मांग करने वाले वकील का नाम महेश कुमार तिवारी था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों का हवाला दिया था। जिसमें दावा किया गया था कि 2021 में देश भर में 1 लाख 64 हजार 33 लोगों ने आत्महत्या की। इनमें से आत्महत्या करने वाले विवाहित पुरुषों की संख्या 81 हजार 63 थी, जबकि 28 हजार 680 शादीशुदा महिलाएं थीं।

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क्या कहते हैं आंकड़े ?

साल 2021 में लगभग 33.2% पुरुषों ने पारिवारिक समस्याओं की वजह से और 4.8% पुरुषों ने शादी से जुड़ी परेशानियों की वजह से अपनी जान गंवा दी। इस पूरे मामले पर वकील महेश कुमार तिवारी का कहना था कि डेवलेप कन्ट्रीज जैसे UK, US, कनाडा में घरेलू हिंसा का कानून जेंडर न्यूट्रल है, जबकि इंडिया में ये स्पेसिफिक है। यानी सिर्फ महिलाओं के लिए है। नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन के पास भी कोई स्पेसिफिक लॉ नहीं है जो इस इश्यू को डील कर सके। मैं महिलाओं के खिलाफ नहीं हूं, बस चाहता हूं पुरुषों को भी समान अधिकार मिले। 

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