केंद्रीय कैबिनेट में बड़ा फैसला : 2027 में होगी डिजिटल जनगणना, जाति की डिटेल देना जरूरी नहीं

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने 2027 के लिए डिजिटल जनगणना का फैसला लिया है। जनगणना के लिए 11718 करोड़ रुपए का बजट मंजूर हुआ है। कैबिनेट में कोल सेतु और किसानों के लिए MSP वृद्धि के फैसले भी किए गए हैं।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (THESOOTR)

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NEW DELHI. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट मीटिंग में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। 12 दिसंबर, शुक्रवार को लिए गए इन फैसलों में पहली डिजिटल जनगणना, कोल सेतु परियोजना और किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वृद्धि शामिल है। 

यह फैसला 11718 करोड़ रुपए के बजट के साथ आया है। 2027 की जनगणना में मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए डेटा संग्रहण किया जाएगा। इस पहल से भारत की जनगणना प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि डिजिटल जनगणना को पूरा करने के लिए 30 लाख कर्मचारी लगाए जाएंगे। यह प्रक्रिया CaaS सॉफ्टवेयर के माध्यम से होगी, और इसका डिजाइन डेटा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।

डिजिटल जनगणना: भारत का एक नया युग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने भारत की पहली डिजिटल जनगणना के लिए 11718 करोड़ रुपए के बजट को मंजूरी दी। इस जनगणना का डिजाइन विशेष रूप से डेटा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।

2027 में देश में पहली बार जनगणना डिजिटल तरीके से होगी। केंद्र सरकार ने इस प्रक्रिया के लिए शुक्रवार को कैबिनेट मीटिंग में 11,718.24 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है।

इसके तहत प्रत्येक व्यक्ति की जनगणना पर लगभग 97 रुपए खर्च होंगे, यदि हम 2011 की जनगणना में भारत की लगभग 121 करोड़ की आबादी को आधार मानें। यदि अनुमानित जनसंख्या 150 करोड़ मानी जाए, तो प्रति व्यक्ति 78 रुपए खर्च होंगे।

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जनगणना दो चरणों में आयोजित की जाएगी...

  1. पहला चरण: 1 अप्रैल से सितंबर 2026 तक हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग सेंसस होगा।
  2. दूसरा चरण: फरवरी 2027 में जनसंख्या गणना की जाएगी।

पहली बार जनगणना के लिए मोबाइल एप्लीकेशन का उपयोग किया जाएगा, जो हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध होगा। यह एप्लिकेशन डेटा संग्रहण की प्रक्रिया को तेज और सुरक्षित बनाएगा।

जाति का विवरण देना अनिवार्य नहीं

इस बार जनगणना में जाति बताना अनिवार्य नहीं होगा। यदि कोई व्यक्ति जाति का विवरण नहीं देना चाहता तो वह इसे छोड़ सकता है। केवल एग्रीगेटेड डेटा (सार्वजनिक डेटा) ही प्रकाशित किया जाएगा, और माइक्रो डेटा को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। यह कदम डेटा सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए उठाया गया है।

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कोल सेतु योजना को मंजूरी

भारत में कोल उत्पादन को लेकर सरकार ने 'कोल सेतु' योजना को मंजूरी दी है। इस योजना से भारत को कोल आयात पर निर्भरता कम होगी और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।

कोल आपूर्ति में आत्मनिर्भरता

कोल सेतु परियोजना से भारत की कोल आपूर्ति में आत्मनिर्भरता आएगी। 2024-25 में 1 बिलियन टन कोल प्रोडक्शन हुआ है, जिससे देश में कोल का स्टॉक बढ़ा है। इसके साथ ही, रेलवे और कोल उद्योग के बीच सहयोग बढ़ने से पावर प्लांट्स के लिए कोल की आपूर्ति को बढ़ावा मिलेगा।

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किसानों के लिए MSP में वृद्धि

केंद्रीय कैबिनेट ने किसानों के लिए 2026 के लिए पिसाई वाले खोपरा के लिए 12,027 रुपये प्रति क्विंटल और गोल खोपरा के लिए 12,500 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को मंजूरी दी।

क्या है MSP की भूमिका?

MSP किसानों को उनकी उपज के लिए एक सुनिश्चित न्यूनतम मूल्य प्रदान करता है। इस वृद्धि से किसानों को अपनी फसल का सही मूल्य मिलेगा और उनका आर्थिक समर्थन बढ़ेगा।

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एनएएफईडी और एनसीसीएफ की भूमिका

इस MSP को लागू करने के लिए एनएएफईडी और एनसीसीएफ को नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है। यह सुनिश्चित करेगा कि किसान सही मूल्य पर अपनी फसल बेच सकें।

FAQ

2027 की डिजिटल जनगणना कैसे होगी?
2027 की डिजिटल जनगणना पहली बार होगी जिसमें मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए डेटा संग्रहण किया जाएगा। यह जनगणना दो चरणों में होगी, पहला चरण 2026 में और दूसरा चरण 2027 में होगा।
कोल सेतु योजना क्या है और इसका महत्व क्या है?
कोल सेतु योजना भारत को कोल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए बनाई गई है। इस योजना से भारत की कोल आयात पर निर्भरता कम होगी, और घरेलू उत्पादन बढ़ेगा, जिससे ऊर्जा क्षेत्र को मजबूती मिलेगी।
किसानों के लिए MSP में क्या बदलाव किया गया है?
केंद्रीय कैबिनेट ने 2026 के लिए खोपरा की पिसाई और गोल खोपरा के लिए MSP में वृद्धि की है। पिसाई वाले खोपरे के लिए 12,027 रुपए प्रति क्विंटल और गोल खोपरे के लिए 12,500 रुपये प्रति क्विंटल MSP तय किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्रीय कैबिनेट मीटिंग न्यूनतम समर्थन मूल्य डिजिटल जनगणना कोल सेतु
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