NEW DELHI. उत्तर प्रदेश की आईएएस अधिकारी किंजल सिंह का नाम कुछ दिनों पहले खूब चर्चा में रहा। इस चर्चित आईएएस अधिकारी किंजल सिंह ने लखनऊ के गोमतीनगर थाने में एक यूट्यूबर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोपी यूट्यूबर पर अपने स्वर्गवासी माता-पिता पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस मामले में पुलिस ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। माता-पिता को खोने वाली दोनों बहनें किंजल सिंह और प्रांजल सिंह का संघर्ष भरा जीवन और दुखभरी दास्तां प्रोत्साहित करने वाली है। आज हम दोनों बहनों के हिम्मत-हौंसलों की कहानी आपके लिए लाए हैं...
दो साल की उम्र में पिता को खोया, फिर मां भी चल बसी
यूपी की चर्चित आईएएस अधिकारी किंजल सिंह दो बहनें हैं। प्रांजल आईआरएस है। इन दोनों बहनों की बचपन और जीवन की कहानी किसी फिल्म के जैसी है। किंजल सिंह जब छोटी थी, तब उनके पिता की हत्या हो गई, जिसके बाद मां भी दुनिया छोड़कर चली गई। दोनों बहनों का यह सफर आसान नहीं था।
गोंडा के डीएसपी थे पिता केपी सिंह
दरअसल इन बहनों के पिता केपी सिंह गोंडा के डीएसपी थे, किंजल के पिता ईमानदार पुलिस अफसर थे और भ्रष्टाचार के खिलाफ थे। 12 मार्च 1982 में एक घटना में पुलिस टीम के साथियों ने ही गोली मार उनकी हत्या कर दी थी। जब ये घटना हुई किंजल दो साल की थी और प्रांजल तो इस दुनिया में भी नहीं आई थी। इस वारदात के पीछे का कारण यह है कि जब मुख्य साजिशकर्ता सरोज को लगा कि एक पुलिस अधिकारी के रूप में उसके कुकर्मों को केपी सिंह उजागर कर सकते हैं।
गोली मारकर की गई थी पिता की हत्या
दोषी पुलिस अधिकारी जिसके खिलाफ रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के कई मामले लंबित थे। उसने केपी सिंह को आपराधिक गतिविधियों की निगरानी के बहाने माधवपुर जाने के लिए मजबूर किया। वहां पहुंचने पर केपी सिंह की गोली मारकर हत्या कर गई। इस फर्जी मुठभेड़ में करीब 12 ग्रामीणों की भी मौत दी गई थी।
न्याय पाने भटकते रही मां विभा सिंह
किंजल की मां ने न्याय पाने की भटकती रही, डिलीवरी के बाद विभा सिंह को नौकरी भी मिली लेकिन वो अपने पति को न्याय दिलाने के लिए पुलिस थानों और कोर्ट के चक्कर काटती रही। इस बीच कठिन संघर्ष के बीच मां की कैंसर की बीमारी के चलते दम तोड़ दिया। मां की मौत के बाद दोनों बहनों ने अपने दम पर पढ़ाई पूरी की। यूपीएससी परीक्षा पास की और सरकारी अफसर बनकर पिता की मौत का बदला लेकर उन्हें न्याय दिलाया।
थानों और कोर्ट के काटे चक्कर, चलते रहा केस
जब केपी सिंह की हत्या की गई थी जब पत्नी विभा सिंह गर्भवती थीं। तब उनकी बड़ी बेटी किंजल सिंह सिर्फ 2 साल की थीं। डिलीवरी के बाद विभा सिंह अपने पति को न्याय दिलाने के लिए पुलिस थानों और कोर्ट के चक्कर काटती रही। केस चलता रहा। इस बीच ये अच्छा हुआ किंजल की मां विभा सिंह को पति की जगह पर वाराणसी के ट्रेजरी ऑफिस में नौकरी मिल गई। अब मामला सीबीआई के पास पहुंच चुका था। विभा सिंह दोनों बेटियों को गोद में लेकर दिल्ली के सीबीआई कोर्ट जाती थीं। उनकी सैलरी का बड़ा हिस्सा ऐसे ही सफर और वकील की फीस में खर्च होने लगा। तभी उन्होंने ठान लिया था कि वे अपनी बेटियों को सरकारी अफसर बनाएंगी।
जीवन के संघर्ष के बीच मां ने छोड़ा साथ
12वीं के बाद किंजल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कॉलेज में एडमिशन लिया। इस उन्हें मां को कैंसर होने की जानकारी लगी। जब मां विभा सिंह की तबीयत ज्यादा सीरियर हुआ तो किंजल ने मां वादा किया कि वह अफसर भी बनेंगी और पिता के हत्यारों को सजा दिलाएंगी। जिसके बाद 2004 में उनकी मां की कैंसर के कारण मौत हो गई। जिस साल किंजल की मां का निधन हुआ, उसी साल किंजल ने दिल्ली विश्वविद्यालय में टॉप किया था।
दोनों बहनों ने पास की UPSC
मां के जाने के बाद किंजल ने छोटी बहन प्रांजल को भी दिल्ली बुला लिया था। दोनों बहनों ने पढ़ाई के साथ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने लगन के साथ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की। मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ किंजल 2008 में अपने दूसरे प्रयास में 25वीं रैंक के साथ आईएएस अफसर बन गईं। उसी साल छोटी बहन प्रांजल का चयन 252 वीं रैंक के साथ आईआरएस के लिए हुआ। सरकारी नौकरी मिलने के बाद दोनों बहनें ने शुरू की अपने पिता केपी सिंह को न्याय दिलाने की लड़ाई।
31 साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला
केस लड़ रही दोनों बहनों के दृढ़ निश्चय ने न्याय प्रणाली को हिलाकर रख दिया। आखिरकार दोनों बहनों की मेहनत रंग लाई। 31 साल बाद 5 जून 2013 को लखनऊ सीबीआई की विशेष कोर्ट ने फैसला सुनाया। मामले में डीएसपी केपी सिंह की हत्या में मामले में 18 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई।
पिता केपी सिंह को जब न्याय मिला जब किंजल सिंह बहराइच की कलेक्टर थीं। किंजल अभी तक लखीमपुर खीरी और सीतापुर की डीएम रह चुकी हैं। अब उन्हें उत्तर प्रदेश के मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट का डीजी नियुक्त किया गया है। उनके पति अनिल कुमार सागर भी आईएएस हैं और प्रमुख सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, उत्तर प्रदेश सरकार में पदस्थ हैं।
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