उत्तराखंड में UCC लागू, जानें क्या बदलेगा आपके जीवन में

उत्तराखंड ने सोमवार को इतिहास रचते हुए समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने का निर्णय लिया। इसके साथ ही उत्तराखंड ऐसा पहला राज्य बन गया है, जिसने स्वतंत्र भारत में इस कानून को लागू किया है।

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Sandeep Kumar
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उत्तराखंड ने सोमवार को इतिहास रचते हुए समान नागरिक संहिता ( UCC ) लागू करने का निर्णय लिया। इसके साथ ही उत्तराखंड ऐसा पहला राज्य बन गया है, जिसने स्वतंत्र भारत में इस कानून को लागू किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने इस कानून को लागू करने की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि यह कदम उत्तराखंड के साथ-साथ पूरे देश के लिए सकारात्मक बदलाव लेकर आएगा।

समान नागरिक संहिता (UCC) का उद्देश्य

यूसीसी का मुख्य उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करना है। इस कानून के लागू होने के बाद विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और विरासत के नियम सभी धर्मों और समुदायों के लिए समान होंगे। इससे समाज में व्याप्त कुप्रथाएं, जैसे हलाला, समाप्त हो जाएंगी और महिलाओं को उनके अधिकार मिलेंगे। सीएम धामी ने इसे उत्तराखंडवासियों के लिए ऐतिहासिक दिन बताया और कहा कि इस कदम से समानता की दिशा में एक नई शुरुआत होगी।

यूसीसी के प्रमुख प्रावधान

 समान नियम और अधिकार

यूसीसी के तहत सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और विरासत के नियम समान होंगे। इससे महिलाओं को अधिकार मिलेंगे, और समाज में व्याप्त कुप्रथाओं पर रोक लगेगी।

विवाह और लिव-इन संबंधों का पंजीकरण

विवाह और लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य होगा। बिना पंजीकरण के लिव-इन संबंध एक महीने से अधिक चलने पर तीन महीने की कैद या 10 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है। विवाह पंजीकरण न होने पर 25 हजार रुपए जुर्माना लगेगा।

डिजिटल पोर्टल की सुविधा

विवाह और लिव-इन संबंधों के पंजीकरण के लिए एक डिजिटल पोर्टल उपलब्ध होगा। इसके माध्यम से बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र को सात दिनों के भीतर अपलोड करना होगा।

 द्विविवाह और बहुविवाह पर प्रतिबंध

यूसीसी के तहत एक व्यक्ति के पास केवल एक ही पत्नी हो सकती है। एक व्यक्ति का दूसरा जीवनसाथी जीवित नहीं हो सकता।

  उत्तराधिकार और विरासत

अब लड़कों और लड़कियों को उत्तराधिकार में समान अधिकार मिलेंगे। वसीयत के मामलों में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए आधार आधारित दस्तावेजीकरण और गवाहों की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य की गई है।

महिलाओं को मिले समान अधिकार

उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने से महिलाओं को समान अधिकार मिलेंगे। हलाला जैसी प्रथाओं पर प्रतिबंध लगेगा और लड़कियों को समान विरासत अधिकार दिए जाएंगे। महिलाओं को न्याय मिलना अब पहले से कहीं ज्यादा सुनिश्चित होगा, और यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक अहम कदम है। मुख्यमंत्री ने इस निर्णय को महिलाओं के लिए ऐतिहासिक बदलाव बताया और विश्वास जताया कि इससे राज्य में समता और न्याय की भावना को बढ़ावा मिलेगा।

मुख्यमंत्री का संदेश

सीएम धामी ने कहा कि यूसीसी से प्रदेश की सभी महिलाओं को एक समान अधिकार मिल गए हैं। बहुविवाह और हलाला जैसी प्रथाओं पर रोक लगेगी। इस कानून के लागू होने के बाद विवाह और तलाक का प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य होगा। मुख्यमंत्री ने खुद अपने विवाह का पंजीकरण किया और इसे यूसीसी पोर्टल से प्रमाणित किया। उन्होंने कहा कि इस पोर्टल को यूजर फ्रेंडली बनाया गया है ताकि कोई भी नागरिक आसानी से पंजीकरण कर सके और प्रमाणपत्र प्राप्त कर सके।

उत्तराखंड की दिशा और भविष्य

समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने से उत्तराखंड में नागरिकों के बीच समानता और न्याय की भावना बढ़ेगी। इस कदम से राज्य को सामाजिक और कानूनी दृष्टि से मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। यह निर्णय न केवल उत्तराखंडवासियों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा देने वाला साबित हो सकता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह कदम निश्चित रूप से राज्य की विकास यात्रा को गति प्रदान करेगा।

27 जनवरी को मनाया जाएगा यूसीसी दिवस

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि अब प्रदेश में प्रति वर्ष 27 जनवरी को समान नागरिक संहिता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि धारा 370, तीन तलाक, राम मंदिर को लेकर जितने भी संकल्प लिये गये थे, वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरे किए गए हैं। इस अवसर पर यूसीसी नियमावली समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह ने यूसीसी नियमावली के बारे में विस्तार से जानकारी दी जबकि सचिव शैलेश बगोली ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। 

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FAQ

समान नागरिक संहिता (UCC) क्या है?
समान नागरिक संहिता (UCC) एक कानून है जिसके तहत सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और विरासत के नियम समान होते हैं।
यूसीसी लागू करने से महिलाओं को क्या लाभ होगा?
महिलाओं को समान अधिकार मिलेंगे, जैसे हलाला जैसी प्रथाओं पर प्रतिबंध लगेगा और उन्हें समान विरासत अधिकार मिलेंगे।
क्या विवाह और लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य होगा?
हां, विवाह और लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य होगा। बिना पंजीकरण के लिव-इन संबंध एक महीने से अधिक चलने पर जुर्माना या सजा का प्रावधान होगा।
क्या उत्तराधिकार में बदलाव होगा?
हां, अब लड़कियों और लड़कों को उत्तराधिकार में समान अधिकार मिलेंगे और वसीयत में पारदर्शिता बढ़ाई जाएगी।
इस कानून का कार्यान्वयन कब से शुरू हुआ?
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता 2024 से लागू हो गया है।



   

 

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