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जबलपुर के अपर कलेक्टर और विवाह अधिकारी के न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए कहा है कि सिहोरा निवासी हसनैन अंसारी और इंदौर की अंकिता राठौर फिलहाल शादी नहीं कर सकते। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब दोनों ने जबलपुर के विवाह अधिकारी कोर्ट में विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी के लिए आवेदन किया था, जिसे अब कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपना निर्णय विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत शर्तों का पालन न करने के कारण लिया। हसनैन और अंकिता के इस आवेदन के बाद मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आ गया था। हिंदूवादी संगठनों ने इस पर लव जिहाद के आरोप लगाए थे और इसके विरोध में सिहोरा बंद तक किया गया था।
आवेदन के पहले 30 दिन सिहोरा में नहीं था हसनैन
जबलपुर में मैरिज कोर्ट ने यह फैसला इस आधार पर लिया कि हसनैन अंसारी ने विवाह आवेदन के समय विशेष विवाह अधिनियम की एक प्रमुख शर्त का उल्लंघन किया था। विशेष विवाह अधिनियम के तहत आवेदक को शादी के आवेदन के पहले एक माह तक अपने स्थायी पते पर रहना जरूरी है। जांच में यह खुलासा हुआ कि हसनैन पिछले दस साल से इंदौर में रह रहा था, जबकि उसने आवेदन में सिहोरा का पता दिया था।
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हाईकोर्ट से आ चुका था पक्ष में फैसला
इस मुद्दे पर पहले ही मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में सुनवाई हुई थी, जिसमें हाई कोर्ट ने अंकिता राठौर को महिला निकेतन में रखने का आदेश दिया था। इसके बाद जबलपुर विवाह अधिकारी ने मामले की गहन जांच का आदेश दिया था। इसके साथ ही कोर्ट ने लगातार दोनों युवक- युवती को पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के लिए भी जबलपुर एसपी को निर्देशित किया था।
मैरिज रजिस्ट्रार की कोर्ट ने आदेश में क्या कहा...
जबलपुर के कलेक्टर कार्यालय स्थित मैरिज रजिस्ट्रार की कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी उल्लेख किया कि एक ऐसा ही मामला हाल ही में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में जस्टिस जीएस अहलूवालिया की कोर्ट में भी आया था, जहां मुस्लिम युवक और हिंदू लड़की की शादी को विशेष विवाह अधिनियम के तहत अनुमति नहीं दी गई थी। आपको बता दें कि इस मामले में हुई पिछली सुनवाई में अंकिता और हसनैन के पक्ष में हाईकोर्ट के द्वारा फैसला दिया गया था। अब 30 दिनों तक अपने गृह नगर में ना रहने के नियम के उल्लंघन के बाद भी यदि अंकिता और हसनैन दोबारा शादी का आवेदन करते हैं तो हाई कोर्ट के आदेश अनुसार मैरिज रजिस्ट्रार को इस शादी को वैध करना ही होगा।
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दोबारा अपील कर सकते हैं अंकिता और हसनैन
मैरिज रजिस्ट्रार की कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि हसनैन और अंकिता को शादी की अनुमति नहीं दी जा सकती। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि दोनों को शादी के लिए विशेष विवाह अधिनियम की शर्तों का पालन करना आवश्यक था, जो इस मामले में पूरा नहीं हो सका। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस आदेश को चुनौती देने का अधिकार दोनों पक्षों को प्राप्त है।
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स्पेशल मैरिज एक्ट पर खड़ा हुआ सवाल
इस निर्णय के बाद अब यह सवाल उठता है कि क्या भविष्य में इस तरह के मामलों में नियमों का पालन सख्ती से किया जाएगा, और क्या यह विवाह के अधिकारों से संबंधित और भी कानूनी विवादों का कारण बनेगा। स्पेशल मैरिज एक्ट जो केवल इसलिए ही बनाया गया है जो दो धर्म के युवक और युक्तियां की शादी करवा सके उसके बाद भी इस एक्ट के धरातल पर प्रभाव पर सवाल खड़ा हो गया है। इस मामले ने भारतीय समाज में धर्म और विवाह के मुद्दों पर एक नई बहस को शुरू कर दिया है, यह मुद्दा आने वाले समय में और भी गंभीर हो सकता है।
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