BHOPAL. पार्थिव शिवलिंग ( Parthiv Shivling ) मिट्टी से बना शिवलिंग होता है। इसे भगवान शिव के लिए भक्ति और समर्पण व्यक्त करने के लिए बनाया जाता है। पार्थिव शिवलिंग बनाने के लिए मिट्टी को गाय के गोबर, दूध, दही, घी, शहद, फल, फूल और अन्य पवित्र सामग्री के साथ मिलाया जाता है।
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आइए अब जानते है पार्थिव शिवलिंग बनाने की विधि, उसके महत्व और पूजा के बारे में....
पार्थिव शिवलिंग बनाने की विधि
- सबसे पहले, मिट्टी को अच्छी तरह से गूंथ लिया जाता है।
- फिर, मिट्टी से शिवलिंग का आकार दिया जाता है।
- शिवलिंग के शीर्ष पर त्रिशूल बनाया जाता है।
- शिवलिंग को स्थापित किया जाता है और उसकी पूजा की जाती है।
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पार्थिव शिवलिंग बनाने का महत्व ( Parthiv Shivling importance ) :
- पार्थिव शिवलिंग ( What is Parthiv Shivling ) बनाने से भगवान शिव की विशेष कृपा मिलती है।
- यह मनोकामनाओं को पूर्ण करने में भी सहायक होता है।
- पार्थिव शिवलिंग बनाने से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।
पार्थिव शिवलिंग की पूजा विधि
पार्थिव शिवलिंग पूजा ( What is Parthiv Shivling ) एक विशेष पूजा है, जो भगवान शिव को समर्पित होती है। यह पूजा महाशिवरात्रि, सोमवार, प्रदोष काल और अन्य शुभ दिनों पर की जाती है।
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- सबसे पहले, स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें।
- फिर, पूजा के स्थान पर बैठकर भगवान शिव का ध्यान करें।
- शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद, फल, फूल और अन्य पवित्र सामग्री अर्पित करें।
- शिवलिंग की आरती करें और भगवान शिव की स्तुति करें।
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पार्थिव शिवलिंग क्या होता है?
- मिट्टी के शिवलिंग को पार्थिव शिवलिंग कहा जाता है।
- यह शिवलिंग मिट्टी, गऊ का गोबर, गुड़, मक्खन और भस्म मिलाकर बनाया जाता है।
- इस शिवलिंग के निर्माण में इस बात का ध्यान रखें कि यह 12 अंगुल से ऊंचा नहीं हो।
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लंका विजय से पहले भगवान राम ने भी किया था शिव का पार्थिव पूजन
पौराणिक कथाओं में कई उल्लेख मिलते हैं जिनमें पार्थिव शिवलिंग पूजा का वर्णन है।
- रामायण: माना जाता है कि भगवान राम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए पार्थिव शिवलिंग बनाया था।
- महाभारत: महाभारत में भी कई जगहों पर पार्थिव शिवलिंग पूजा का उल्लेख मिलता है।
- पुराण: शिव पुराण, लिंग पुराण और स्कंद पुराण जैसे पुराणों में भी पार्थिव शिवलिंग पूजा का महत्व बताया गया है।
इन पौराणिक कथाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि पार्थिव शिवलिंग पूजा प्राचीन काल से ही प्रचलित है।
यह भी माना जाता है कि ऋषि-मुनि और अन्य संत भी भगवान शिव की पूजा के लिए पार्थिव शिवलिंग बनाते थे।