Uttarkashi Cloudburst: पहाड़ी इलाकों में ही क्यों फटते हैं बादल ? जानिए इसके पीछे का कारण

बारिश के महीने में अक्सर अचानक से बादल फटते हैं जिससे कई बार काफी जान-माल का नुकसान होता है। आइए जानते हैं पहाड़ी इलाकों में ही क्यों फटते हैं बादल और क्या हैं इसके पीछे की वजह...

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उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली के पास खीर गंगा नदी में बादल फटने से बाढ़ आ गई। इसके कारण 20-25 होटल और होम स्टे बह गए और 50 लोग लापता हो गए। वहीं बादल फटने की इस घटना से 4 लोगों के मौत हो चुकी है। हालांकि ये पहली ऐसी घटना नहीं है। इससे पहले भी उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख में बादल फटने की घटना सामने आ चुकी हैं।

लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि अचानक ऐसे कैसे बादल फट सकता है। बादल फटने के पीछे की क्या वजह हो सकती है? क्यों बादल फटते हैं...? आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब इस खास आर्टिकल में...  

Uttarkashi Cloudburst: पहाड़ी इलाकों में ही क्यों फटते हैं बादल ? जानिए इसके पीछे का साइंटिफिक रीजन

बादल क्यों फटते हैं ?

बादल फटना एक नैचुरल प्रोसेस है। जो आम तौर पर पथरीले और पहाड़ वाले इलाकों में होते हैं। ये उन स्थानों पर भी होता हैं जहां बादल आकाश में घने होते हैं और अचानक जलवायु में परिवर्तन होता है। बादल फटने के पीछे की वजह भारी वर्षा, बर्फबारी, या आंधी के रूप में देखी गई है।

बादल फटने के प्रोसेस को इंग्लिश में क्लाउडबर्स्ट कहा जाता है। ऐसा तब होता है जब बादल में बहुत ज्यादा पानी भर जाता है और उस इलाके के वातारण में अचानक बदलाव होने लगता है। इस प्रोसेस में बादल फटने की घटना आम हो जाती है।

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बादल कब फटते हैं? 

बादल फटने की घटना अक्सर रात में या दोपहर में घटती है। कभी-कभी ये बादल सुबह-सुबह भी फट जाते हैं। बादल ज्यादातर तब फटते हैं जब वातारण में नमी और गर्मी का लेवल एक साथ हाई होने लगता है। बादल फटने की घटना लगातार बारिश या कुछ देर की बारिश में भी हो सकती है।

भारत में पहाड़ी इलाके जैसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और पूर्वोत्तर राज्यों में बादल फटने की घटना बहुत नॉर्मल हो गया है। बादल फटने की घटनाएं अक्सर मानसून में देखने को मिलती है।    

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बादल फटने की वजह 

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बादल फटने (Cloud Burst) का प्रोसेस एक साइंटिफिक प्रोसेस है। इसकी पीछे का कारण कई बातों से जुड़ा हुआ है। जब सतह पर मौजूद गर्म हवा नमी से भरे हुए बादलों को सतह से उपर आसमान में ले कर जाती है, तो इससे बादल ठंडी हवा के कॉन्टैक्ट में आते हैं और ठंडे हो जाते हैं। इस प्रोसेस के चलते बादलों में मौजूद वॉटर वेपर तेजी से पानी को बूंद में बदलते हैं और इससे भारी बारिश होने लगती है। पहाड़ों पर बनी ढलान की वजह से हवा तेजी से उपर जाती है, जिससे बादल बनते हैं और स्पीड से बारिश होने लगती है। ये प्रोसेस मानसून के दौरान आम बात है। जहां कम प्रेशर वाले एरिया में गर्म हवा और नमी तेजी से ऊपर की ओर जाती है, जिससे बादल फटने की घटना देखने के मिलती है। ये प्रोसेस गर्म और ठंडी हवाओं के आपस में टकराने से भी होता है। इसका मुख्य कारण बढ़ता टेंपरेचर और क्लाइमेट चेंज होने से भी होता है।  

1 घंटे में 100 mm बारिश को कहते हैं बादल फटना

मौसम विभाग के अनुसार जब 20 से 30 वर्ग किलोमीटर के इलाके में 1 घंटे या उससे कम समय में 100 mm या उससे ज्यादा बारिश हो जाए तो इसे बादल फटना कहते हैं। 

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बादल फटने के दौरान क्या करें 

1. मौसम की जानकारी और चेतावनी:

मौसम विभाग से लगातार ताजा अपडेट लेते रहें। कहां ज्यादा बारिश होने की संभावना है। कहां बाढ़ या बादल फटने के हालात हैं। रेडियो, टीवी, और मोबाइल ऐप के जरिए IMD से लगातार अलर्ट और जानकारी लेते रहें। 

2. सुरक्षित स्थान पर शरण लें:

जैसे ही आपको बादल फटने की सूचना मिले सबसे पहले सुरक्षित स्थान पर पहुंचकर शरण लें। अगर किसी खुले इलाकें में हैं तो तुरंत ही किसी पर चलें जाएं ।  अगर पहाड़ी इलाकों में है तो जल्द से जल्द किसी निचले इलाके पर पहुंचने की कोशिश करें क्योंकि भूस्खलन का खतरा बढ़ सकता है।

3. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से दूरी बनाएं:

बादल फटने के साथ-साथ बिजली गिरने का भी खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बंद कर दें और उनसे दूरी बना लें। 

 4. जलाशयों और नदियों से दूर रहें:

बाढ़ के दौरान जलाशय और नदियों का स्तर बढ़ जाता है। ऐसे स्थानों से दूर रहें  और सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने की कोशिश करें।

5. आपातकालीन किट तैयार रखें:

आपातकाल के दौरान अपनी एक इमरजेंसी किट तैयार कर लें जिसमें जल, भोजन, प्राथमिक चिकित्सा सामग्री, टॉर्च, बैटरियां, और अन्य आवश्यक चीजें रखें। 

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