ऑपरेशन सिंदूर की जांबाज महिला अफसर सरकार के खिलाफ पहुंचीं सुप्रीम कोर्ट, ये है पूरा मामला

ऑपरेशन सिंदूर और बालकोट एयर स्ट्राइक जैसे महत्वपूर्ण सेना के ऑपरेशन में शामिल महिला विंग कमांडर को सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ रही है।

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Rohit Sahu
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भारत दो प्रमुख ऑपरेशन बालाकोट और सिंदूर में शामिल रहीं इंडियन एयरफोर्स की विंग कमांडर ने सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। दरअसल एयरफोर्ट विंग कमांडर निकिता पांडे, जिन्होंने ऑपरेशन बालाकोट और ऑपरेशन सिंदूर में विशेषज्ञ भूमिका निभाई थी। वे अब अपने स्थायी कमीशन के लिए कोर्ट के चक्कर लगा रहीं हैं। निकिता सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सेवा के 14 वर्ष पूरे होने के बाद उन्हें पद से मुक्त किया जाना था, जिसके विरुद्ध उन्होंने अदालत में याचिका दायर की।

फाइटर कंट्रोलर होने के बावजूद सेवा समाप्ति पर आपत्ति

सीनियर वकील मेनका गुरुस्वामी की ओर से पेश होकर निकिता पांडे ने दलील दी कि वे एक फाइटर कंट्रोलर स्पेशलिस्ट हैं।  भारतीय वायुसेना की इंट्रीगेटेड वायु कमान एवं नियंत्रण प्रणाली में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है। ऐसे में उन्हें स्थायी कमीशन न देना नाइंसाफी है।


सुप्रीम कोर्ट ने वायुसेना से मांगा जवाब

गुरुवार को हुई सुनवाई में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एनके मेनन सिंह की पीठ ने केंद्र सरकार से स्पष्ट पूछा कि अब तक विंग कमांडर निकिता को स्थायी कमीशन क्यों नहीं दिया गया। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक निकिता की सेवा जारी रखी जाए। अदालत ने केंद्र सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से औपचारिक जवाब तलब किया।

सरकारी वकील ने दी सफाई

सरकार की ओर से पेश वकील ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि यह निर्णय वायुसेना के बोर्ड द्वारा मूल्यांकन के आधार पर लिया गया है और निकिता के मामले की दोबारा समीक्षा के लिए एक नया बोर्ड गठित किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि निकिता ने सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जो तय प्रक्रिया का हिस्सा नहीं है।

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सुप्रीम कोर्ट ने की महत्वपूर्ण टिप्पणी

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने वायुसेना की सराहना करते हुए कहा कि हमारे सैनिकों की विशेषज्ञता पर हमें गर्व है। उन्होंने टिप्पणी की कि एसएससी (शॉर्ट सर्विस कमीशन) में वही अधिकारी भर्ती किए जाएं जिनमें स्थायी कमीशन की संभावना हो। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि योग्यता के साथ पारदर्शिता और ठोस कारणों के आधार पर ही अस्वीकार किया जाना चाहिए।

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कौन हैं विंग कमांडर निकिता पांडेय

निकिता पांडेय भारतीय वायुसेना में एक प्रमुख अधिकारी हैं, जिन्होंने 2011 में शॉर्ट सर्विस कमीशन के माध्यम से अपने करियर की शुरुआत की। पिछले 13 वर्षों से अधिक समय से वे वायुसेना में अपनी सेवाएं दे रही हैं। एक फाइटर कंट्रोलर के रूप में, निकिता ने ऑपरेशन बालाकोट (2019) और हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर में अपनी रणनीतिक कुशलता का प्रदर्शन किया। इन दोनों ऑपरेशनों में देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई थी, और निकिता ने इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) में विशेषज्ञ की भूमिका निभाई। वह देश की चुनिंदा फाइटर कंट्रोलरों में से एक हैं जो मेरिट लिस्ट में दूसरे नंबर पर हैं।

🟦 5 पॉइंट्स में खबर को आसान भाषा में समझिए:

निकिता पांडे ने ऑपरेशन सिंदूर और बालाकोट में निभाई थी बड़ी भूमिका।

14 साल की सेवा पूरी होने के बाद उन्हें हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी।

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर स्थायी कमीशन की मांग की।

कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा और फिलहाल सेवा समाप्त न करने का आदेश दिया।

अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी, तब तक निकिता की सेवा बरकरार रहेगी।

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