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पहलगाम में आतंकी हमला होने के बाद भारत के ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में आतंकियों और उनके प्रायोजक पाकिस्तान को कड़ा जवाब देने के बीच चीन की परोक्ष भूमिका सामने आई है। भारतीय रक्षा मंत्रालय से जुड़े सेंटर फॉर जॉइंट वारफेयर स्टडीज की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि चीन ने पाकिस्तान को न केवल सैन्य मदद दी, बल्कि उसकी उपग्रह निगरानी प्रणाली और रडार तैनाती में भी सहायता प्रदान की। इस कदम से चीन ने भारत के खिलाफ परोक्ष युद्ध छेड़ रखा था।
चीन की सैन्य और खुफिया सहायता का सच
रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने पाकिस्तान की एयर डिफेंस और रडार सिस्टम को फिर से व्यवस्थित किया ताकि भारत की सैन्य तैनाती पर नजर रखी जा सके। इसके अलावा चीन ने पाकिस्तान को उपग्रह निगरानी के जरिए भारत पर बेहतर फोकस प्रदान किया। CJWS के महानिदेशक मेजर जनरल (रिटायर्ड) अशोक कुमार ने कहा कि चीन ने ऐसा रडार नेटवर्क विकसित करवाया जिससे पाकिस्तान को भारत की हवाई गतिविधियों की पूर्व जानकारी मिल जाती थी।
पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसने केवल चीन से मिले हथियारों का इस्तेमाल किया, लेकिन रिपोर्ट में यह साबित हुआ कि चीन ने पाकिस्तान को रणनीतिक, खुफिया, तकनीकी और सैन्य सहायता भी प्रदान की।
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भारत की जवाबी कार्रवाई और सैन्य उपलब्धियां
पाकिस्तान ने दिल्ली समेत कई महत्वपूर्ण शहरों पर शाहीन मिसाइल से हमला किया, जिसे भारतीय सेना के अत्याधुनिक एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने हवा में ही ध्वस्त कर दिया। भारतीय सेना ने इस हमले के वीडियो सोशल मीडिया पर भी साझा किए।
मेजर जनरल कार्तिक शेषाद्रि ने बताया कि पाकिस्तानी सेना ने अमृतसर का स्वर्ण मंदिर पर ड्रोन हमले की भी कोशिश की, जिसे भारतीय सेना ने सफलतापूर्वक नाकाम कर दिया। 8 मई को अमृतसर, जम्मू, श्रीनगर, पठानकोट, जालंधर, लुधियाना, चंडीगढ़ और भुज पर ड्रोन और लंबी दूरी की मिसाइल हमले हुए, जिन्हें भारतीय मिसाइल और डिफेंस सिस्टम ने पूरी तरह विफल कर दिया।
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चीन की दोहरी चाल और भविष्य की आशंकाएं
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन की कूटनीतिक मदद से पाकिस्तान को सैन्य, खुफिया और लॉजिस्टिक सपोर्ट मिला। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत और चीन के बीच भविष्य में संघर्ष हुआ, तो पाकिस्तान चीन के समर्थन में आ सकता है।
चीन की द्वैध नीति के तहत उसने अमेरिका के साथ ट्रेड युद्ध में सहयोग का दावा करते हुए भारत के खिलाफ पाला बदल रखा है। उसने भारत के खिलाफ रेयर अर्थ मैटेरियल की आपूर्ति में कमी कर आर्थिक दबाव भी बढ़ाना शुरू कर दिया है।
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