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विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2025 के मौके पर आईसीएमआर ने तंबाकू सेवन और ओरल कैंसर को लेकर एक चिंताजनक रिपोर्ट जारी की है। इसमें खुलासा हुआ है कि भोपाल में ओरल कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
देश में हर साल लगभग 10 लाख लोग कैंसर से प्रभावित होते हैं, जिनमें मध्यप्रदेश के 66 हजार से अधिक मरीज शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भोपाल देश में ओरल कैंसर के मामलों में दूसरे स्थान पर है।
भोपाल में तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट और पान मसाले का सेवन व्यापक स्तर पर होता है जो ओरल कैंसर के मुख्य कारण हैं। भोपाल के करीब 70% लोग तंबाकू उत्पादों का नियमित सेवन करते हैं, जिससे यह शहर ओरल कैंसर की उच्च प्रवृत्ति वाले क्षेत्रों में शामिल है।
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विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2025
विश्व तंबाकू निषेध दिवस (World No Tobacco Day) हर साल 31 मई को मनाया जाता है। इसे पहली बार विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 1987 में शुरू किया था ताकि तंबाकू के सेवन के खतरों के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके। इस दिन का उद्देश्य लोगों को तंबाकू छोड़ने और इससे होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों से बचाने के लिए प्रेरित करना है।
विश्व तंबाकू निषेध दिवस के माध्यम से धूम्रपान और तंबाकू उत्पादों के खिलाफ वैश्विक स्तर पर अभियान चलाए जाते हैं, जिससे हर उम्र के लोग स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। 2025 का यह दिवस भी तंबाकू के खतरों के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करेगा।
तंबाकू के खतरनाक रसायन
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर (NIHFW) की जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि, पान मसाले में 28 प्रकार के खतरनाक रसायन पाए गए हैं। इनमें भारी धातुएं जैसे सीसा और तांबा शामिल हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हैं।
शीशा तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है, जबकि तांबा जीन स्तर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। तंबाकू सेवन से फेफड़े, गला, मुंह, अग्न्याशय, गुर्दा और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर होने का खतरा रहता है। इसके अलावा, तंबाकू हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और लकवे जैसी बीमारियों का भी प्रमुख कारण है।
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पुरुषों के साथ महिलाएं भी ओरल कैंसर की चपेट में
बता दें कि, रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया है कि भोपाल में न केवल पुरुष, बल्कि बड़ी संख्या में महिलाएं भी ओरल कैंसर से ग्रसित हो रही हैं। पुरुषों में कैंसर के मामले लगभग 56 प्रतिशत हैं, जबकि महिलाओं में यह आंकड़ा करीब 19 प्रतिशत है।
विशेषज्ञों ने लोगों को तंबाकू और पान मसाले के सेवन से बचने और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराने की सलाह दी है। डॉ. अंकित जैन, एम्स भोपाल के कैंसर विशेषज्ञ, बताते हैं कि तंबाकू सेवन से मुंह की बीमारी सब म्यूकस फाइब्रोसिस होती है, जो समय के साथ ओरल कैंसर में बदल सकती है। इसलिए जागरूकता और रोकथाम अत्यंत आवश्यक है।
रोजाना 10 लाख रुपए के पान मसाले की खपत
भोपाल में तंबाकू उत्पादों की खपत बहुत अधिक है। अनुमान है कि यहां हर रोज लगभग 10 लाख रुपए के पान मसाले की बिक्री होती है। बीड़ी, सिगरेट समेत अन्य तंबाकू उत्पादों का सेवन भी बड़े पैमाने पर होता है, जिससे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि बढ़ती खपत के चलते ओरल कैंसर के मरीजों की संख्या 3.8 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ रही है, जो एक गंभीर स्वास्थ्य संकट की ओर संकेत करता है।
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तंबाकू सेवन से होने वाली बीमारियां
आंखों की रोशनी कम होने का खतरा
- स्मोकिंग से कैटरैक्ट (धुंधला नजर आना) का खतरा काफी बढ़ जाता है। तम्बाकू में मौजूद रसायन आंखों के प्राकृतिक लेंस को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अलावा, बुजुर्गों में मैक्यूलर डिजनरेशन (आंखों की रेटिना की समस्या) का खतरा भी तम्बाकू और सिगरेट के धुएं से बढ़ सकता है।
डायबेटिक रेटिनोपैथी का जोखिम
- डायबिटीज के मरीजों में डायबेटिक रेटिनोपैथी (रेटिना की सूजन) का खतरा रहता है। यदि डायबिटीज के साथ-साथ धूम्रपान की आदत भी हो तो यह खतरा और भी अधिक बढ़ जाता है।
ब्लड वेसल्स को नुकसान
- धूम्रपान से आंखों की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है। इससे आंखों तक पर्याप्त रक्त और ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती, जिसके कारण दृष्टि संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं।
- सब म्यूकस फाइब्रोसिस: तंबाकू खाने वाले 50% लोगों को यह समस्या होती है, जो ओरल कैंसर में तब्दील हो सकती है।
- फेफड़े और गले का कैंसर: तंबाकू का धुआं फेफड़ों और गले की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।
- हार्ट अटैक और हाई ब्लड प्रेशर: तंबाकू हृदय की धमनियों को संकुचित करता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है।
- लकवा: तंबाकू के कारण रक्त परिसंचरण प्रभावित होकर लकवे की संभावना बढ़ जाती है।
जागरुकता और रोकथाम जरूरी
प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा तंबाकू के खतरों को लेकर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन फिर भी लोग तंबाकू सेवन में कमी नहीं ला पा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि परिवार, विद्यालय और समुदाय स्तर पर व्यापक जागरूकता ही इस बीमारी को कम कर सकती है।
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