साल 2016 से जाकिर नाइक ( Zakir Naik ) फरार है और इस वक्त मलेशिया में रह रहा है। वह खुद को इस्लामिक स्कॉलर ( Islamic scholar ) बताता है। वैसे तो आधिकारिक तौर उसका ऐसा कोई सोर्स नहीं है, जिससे उसकी कमाई होती हो। हालांकि, प्रवर्तन निदेशायल ने 193.06 करोड़ रुपए के मनी लॉन्ड्रिंग केस में उसका नाम दर्ज किया है।
कब चर्चा में आया जाकिर नाइक ?
जुलाई, 2016 में बांग्लादेश की राजधानी ढाका में बम ब्लास्ट हुआ था। इस हमले के आरोपियों में से एक ने बताया कि वो जाकिर नाइक की वीडियो से प्रभावित था। इसके कुछ महीनों के बाद जाकिर नाइक देश से भाग गया। इसके अलावा, अप्रैल, 2019 में श्रीलंका में ईस्टर संडे पर हुए बम धमाकों के भी तार जाकिर नाइक से जुड़े हैं। हमले की जिम्मेदारी लेने वाले नेशनल तौहीथ जमाथ के मुखिया जेहरान हाशिम ने जाकिर नाइक की तारीफ की थी। उसने श्रीलंकाई मुसलमानों से पूछा कि वो उसके लिए क्या कर सकते हैं।
193 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग केस में नाम
2019 में ईडी ने उसके खिलाफ चार्जशीट जारी की थी। इसमें उस पर आरोप लगाया गया कि जाकिर नाइक ने भारत के एक बैंक में 49 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए। इसके अलावा, ईडी उसकी 50.46 करोड़ रुपए की संपत्ति भी जब्त कर चुकी है। ईडी ने टेरर फंडिंग से जुड़े मामले में जाकिर नाइक के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। ईडी का दावा था कि 12 टेरर फंडिंग मामलों में 212 करोड़ की पहचान की गई। इस फंड से 52 प्रॉपर्टी खरीदी गई थीं। जब्त की गई जाकिर नाइक की 50.46 करोड़ की संपत्ति में म्यूचुअल फंड्स, चेन्नई में इस्लामिक इंटरनेशनल स्कूल, 10 फ्लैट, तीन गोडाउन, दो बिल्डिंग और पुणे और मुंबई की जमीनें शामिल हैं।
UAE से जाकिर ने भेजे 49.20 करोड़ रुपए
जाकिर नाइक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन ( IRF ) को भी करोड़ों रुपए का फंड मिला। ईडी ने बताया कि आईआरएफ को साल 2003-04 और 2016 से 2017 के बीच विभिन्न संदिग्ध और अज्ञात सोर्स से 64 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए। इस फंड का इस्तेमाल ज्यादातर शांति सम्मेलन में किया गया। इसके अलावा, 2012 से 2016 के बीच भारत में जाकिर नाइक के बैंक अकाउंट में 49.20 करोड़ रुपए ट्रांसफर हुए। यह अमाउंट संयुक्त अराब अमीरात में उसके बैंक अकाउंट से भेजे गए थे। एजेंसी ने बताया कि इस इस पैसे से नाइक ने मुंबई और पुणे में प्रॉपर्टी खरीदी। उसने रिश्तेदारों के नाम पर यह राशि इकट्ठा की थी।
भाषणों से युवाओं को भड़काता है नाइक
जाकिर नाइक वैसे तो खुद को पीस लीडर, इस्लामिक धर्मगुरु और उपदेशक बताता है। हालांकि उसके भाषणों से शांति नहीं बल्कि हिंसा बढ़ती है। साल 2016 में ईडी और नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी, NIA ने उसे वांटेड घोषित कर दिया था, जिसके बाद वह मलेशिया भाग गया। जाकिर नाइक ने साल 1990 में इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन शुरू किया था, जिसे लेकर आरोप हैं कि वह इसके जरिए फंडिंग इकट्ठा करके कट्टरपंथ को बढ़ावा देता है। साल 2016 में उसके फाउंडेशन पर यूएपीए के तहत बैन लगा दिया गया। उसने पीस टीवी नाम से एक चैनल भी शुरू किया, जिसका प्रसारण दुबई से होता था। इस पर वह ऐसे भाषण देता था, जिससे युवा भड़ककर कट्टरपंथ के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित होते थे। यह चैनल भारत और बांग्लादेश समेत कई देशों में प्रतिबंधित है।