NEW DELHI. देश में एक बार फिर जीका वायरस के केस सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। महाराष्ट्र में जीका वायरस के कई मामले मिलने के बाद केंद्र सरकार अलर्ट हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जीका वायरस को लेकर सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी के तहत सभी राज्यों को निगरानी बढ़ाने और गर्भवती महिलाओं में जीका वायरस के संक्रमण के खतरे को देखते हुए स्क्रीनिंग बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
पुणे में 11 दिन में जीका वायरस के 6 मामले
जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र के पुणे में बीते 11 दिनों में जीका वायरस के छह मामले सामने आ चुके हैं। एक जुलाई को 2 गर्भवती महिलाओं में जीका वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। 21 जून को पुणे में जीका वायरस का सबसे पहला केस एक डॉक्टर में मिला था। टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावित इलाके से कई सैंपल लिए हैं। जिसके बाद केंद्र सरकार इसे लेकर सतर्कता बरत रही है।
सरकार ने जीका वायरस से संक्रमित महिलाओं के भ्रूण की लगातार निगरानी करने का भी निर्देश दिया है। सरकार ने अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं को मच्छरों से मुक्त रखने के लिए नोडल अफसर नियुक्त करने के साथ ही रिहायशी इलाकों, स्कूलों, निर्माणाधीन स्थलों और विभिन्न संस्थानों को भी मच्छरों से मुक्त रखने को कहा गया है।
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जीका वायरस के लक्षण
जीका वायरस संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। जीका वायरस संक्रमण भी डेंगू और चिकनगुनिया की तरह एडीज मच्छर जनित बीमारी है। बीमारी से संक्रमित ज्यादातर लोगों को पता नहीं चलता है कि वे जीका वायरस से संक्रमित हैं। इसका खतरा बारिश में बढ़ जाता है। डेंगू और चिकनगुनिया की तरह जीका एक वायरल इंफेक्शन होता है। इससे संक्रमित होने पर लोगों को बुखार, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द , मसल्स पेन, आंखें लाल होना और त्वचा पर रैशेस जैसे लक्षण नजर आते हैं। जीका वायरस मच्छर काटने के 2 से 7 दिन के अंदर संक्रमण पैदा कर देता है और कई मामलों में इसके भी लक्षण नजर नहीं आते हैं। इसलिए डॉक्टर के पास जांच जरूरी होता है।
इलाज के लिए दवा या वैक्सीन नहीं
जीका वायरस के इलाज के लिए कोई सटीक दवा या वैक्सीन नहीं है। अधिकतर मामलों में सिम्प्टमेटिक ट्रीटमेंट के जरिए लोग 8-10 दिनों में रिकवर हो जाते हैं, हालांकि सही समय पर इलाज न कराने से तबियत गंभीर हो सकती है। और इससे लोगों की जान भी जा सकती है। ऐसे में इसे लेकर किसी भी तरह की लापरवाही न बरतें।
जीका वायरस संक्रमण चिंता का विषय
इस बीमारी से संक्रमित गर्भवती महिलाओं को होने वाले बच्चों का मस्तिष्क पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता और उनके सिर का आकार सामान्य से कम होता है। इस वजह से जीका वायरस संक्रमण चिंता का विषय बना हुआ है। भारत में साल 2016 में जीका वायरस के संक्रमण का पहला मामला दर्ज किया गया था।
लक्षण दिखने पर तुरंत लें डॉक्टर की सलह
जीका वायरस से बचने का सबसे अच्छा तरीका मच्छरों से बचाव करना है। मच्छर न सिर्फ आपको जीका वायरस से संक्रमित कर सकते हैं, बल्कि डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया का खतरा भी बढ़ा सकते हैं। अगर किसी को जीका वायरस संक्रमण हो, तो उससे दूरी बनाएं। अगर बुखार, सिरदर्द जैसी परेशानी हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर अपना ब्लड टेस्ट कराएं।
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