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अंबुबाची मेला भारत के सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण धार्मिक मेलों में से एक है, जो हर साल गुवाहाटी के कामाख्या देवी मंदिर में आयोजित होता है। यह मेला देवी कामाख्या के मासिक धर्म के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है और इस समय मंदिर के गर्भगृह के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
माना जाता है कि इस दौरान देवी विश्राम करती हैं और उनकी रजस्वला अवस्था का प्रतीक होता है। इस मेले में विशेष पूजा और तांत्रिक साधना की जाती है, जिससे भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक लाभ मिलता है।
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कब तक चलेगा अंबुबाची मेला
अंबुबाची मेला 22 जून 2025 को शुरू हो चुका है जो 26 जून 2025 तक चलेगा। यह मेला पांच दिन का होता है, जिसमें पहले तीन दिन तक कोई पूजा या दर्शन नहीं होते। चौथे दिन, देवी के शुद्धि स्नान के बाद मंदिर के द्वार भक्तों के लिए खोले जाते हैं और पूजा का आयोजन फिर से शुरू होता है।
पौराणिक मान्यता
कामाख्या देवी मंदिर का संबंध पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। देवी पुराण के मुताबिक, जब माता सती ने अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपमान सहन नहीं किया, तो उन्होंने अग्नि कुंड में अपने शरीर का त्याग कर दिया। इस घटना के बाद भगवान शिव ने माता सती के शव को लेकर पूरे ब्रह्मांड में घूमा।
इसके बाद, भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े किए और उन्हें पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर गाड़ा। इन्हीं स्थानों पर शक्तिपीठ स्थापित हुए, जिनमें से एक कामाख्या मंदिर है, जो असम के गुवाहाटी में स्थित है।
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गुप्त रूप से देवी की पूजा
ये मेला विशेष रूप से तांत्रिक साधना का मेला होता है, जिसमें लोग देवी के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं। यह समय विशेष रूप से तंत्र और योगियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान तांत्रिक विद्या के अभ्यास के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें देवी के मंत्रों का उच्चारण और विशेष हवन किए जाते हैं।
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अंबुबाची मेला से जुड़ी मान्यताएं
- माता रजस्वला होती हैं: इस मेला का समय उस काल का प्रतीक होता है जब देवी कामाख्या रजस्वला होती हैं। इस समय देवी के गर्भगृह के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और कोई भी पूजा या दर्शन नहीं होते।
- शुद्धि स्नान: चौथे दिन, जब देवी की शुद्धि होती है, तब मंदिर के कपाट फिर से खोले जाते हैं और भक्तों को दर्शन का अवसर मिलता है।
- प्रसाद: अंबुबाची मेला में मिलने वाला प्रसाद विशेष महत्व रखता है। मंदिर में देवी के रजस्वला होने के बाद एक सफेद कपड़ा रखा जाता है, जो लाल हो जाता है। इसे प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है, जिससे उन्हें सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
- मेले का आयोजन: हर साल इस मौके पर मेला लगता है जो अंबुबाची मेला के नाम से जाना जाता है। इस दौरान भक्तों को विशेष पूजा, मंत्रोच्चारण और तंत्र साधना का लाभ मिलेगा। यह मेला गुवाहाटी के कामाख्या देवी मंदिर में आयोजित किया जाएगा, जहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं।
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