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जगन्नाथ मंदिर पुरी (उड़ीसा) में स्थित एक ऐतिहासिक और चमत्कारी स्थल है, जो अपने अद्भुत रहस्यों के लिए प्रसिद्ध है। यहां की मूर्तियां, मंदिर का ध्वज और भगवान के हर साल बीमार होने के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं।
तो ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी कुछ पौराणिक कथाएं और शास्त्रों में वर्णित रहस्यों ने इसे एक दिव्य स्थल बना दिया है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, यहां भगवान श्रीकृष्ण का दिल भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों में धड़कता है।
यह ब्रह्म पदार्थ माना जाता है, जिसे मूर्तियों में रखा जाता है। 27 जून को जगन्नाथ पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकने वाली है तो इस अवसर पर आज हम भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों से जुड़ी पौराणिक कथा जानेंगे। ये रथ यात्रा 27 जून से शुरू होकर 5 जुलाई तक रहेगी।
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कैसे हुई मंदिर की स्थापना
जगन्नाथ मंदिर की शुरुआत की कहानी काफि दिलचस्प है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, राजा इंद्रद्युम्न को एक रात भगवान श्रीकृष्ण ने सपने में दर्शन दिए थे और उन्हें नीम की लकड़ी से मूर्तियां बनाने का आदेश दिया था।
इसी आदेश के बाद राजा ने इस मंदिर की स्थापना की और भगवान श्रीकृष्ण के साथ-साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियां स्थापित की।
भगवान श्रीकृष्ण का दिल
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण ने जब अपने शरीर का त्याग किया था तो उनके दिल को सुरक्षित रखा गया था। यह मान्यता है कि उनका दिल आज भी भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों में धड़कता है।
पौराणिक कथाओं में यह उल्लेख मिलता है कि भगवान श्रीकृष्ण के शरीर के अन्य हिस्से पंचतत्वों में मिल गए, लेकिन उनका दिल अब भी जीवित है और भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में धड़कता है।
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12 साल में बदल जाती है मूर्तियां
मान्यताओं के मुताबिक, ऐसा कहा जाता है कि जगन्नाथ मंदिर में हर 12 साल में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां बदली जाती हैं। इस दौरान पुरानी मूर्ति से ब्रह्म पदार्थ निकाला जाता है और उसे नई मूर्ति में डाला जाता है।
यह ब्रह्म पदार्थ को भगवान श्रीकृष्ण का हृदय माना जाता है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि इस ब्रह्म पदार्थ को छूने पर एक अजीब अनुभव होता है। इसे कभी भी देखा नहीं गया, लेकिन यह महसूस होता है कि यह उछलता हुआ खरगोश जैसा है।
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भगवान जगन्नाथ की बड़ी आंखें
भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों की बड़ी आंखें एक दिलचस्प रहस्य हैं। एक कहानी के मुताबिक, जब भगवान जगन्नाथ की मूर्ति राजा इंद्रद्युम्न के राज्य में आई तो लोग उनकी विशाल आंखों को देखकर हैरान हो गए। यह देखकर भगवान ने अपनी आंखों को और बड़ा कर दिया, ताकि लोग उनकी भक्ति में और अधिक रुचि लें।
यह घटना उनके भक्तों की श्रद्धा और समर्पण को दिखाती है। इसलिए, भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों की आंखें बड़ी हैं, जो उनके भक्तों की भक्ति और विश्वास का प्रतीक बन गई हैं।
इस तरह, पुरी के जगन्नाथ मंदिर के कारीगरों ने भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों की बड़ी आंखें बनाई, जो भक्तों में विस्मय और श्रद्धा उत्पन्न करती हैं। भक्तों का मानना है कि यह बड़ी आंखें नेत्र रोगों से मुक्ति और आशीर्वाद का प्रतीक हैं।
सिंह द्वार का रहस्य
जगन्नाथ मंदिर के सिंह द्वार से जुड़ा एक और रहस्य है। मंदिर के बाहर समुद्र की लहरों की तेज आवाज आती है, लेकिन जैसे ही आप मंदिर के अंदर प्रवेश करते हैं, यह आवाज अचानक गायब हो जाती है। यह रहस्य अभी तक अज्ञात है और इसे मंदिर के अद्भुत चमत्कारों में से एक माना जाता है।
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