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गुप्त नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक विशेष पर्व है, जो तंत्र साधना और देवी की महाविद्याओं की उपासना के लिए जाना जाता है। यह पर्व आषाढ़ माह में आता है और श्रद्धालु इस दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने के बजाय तंत्र शास्त्र और महाविद्याओं की साधना पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
गुप्त नवरात्रि का धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व है, क्योंकि इसे सिद्धियां प्राप्त करने का समय माना जाता है। इस समय तंत्र विद्या के माध्यम से शक्ति की प्राप्ति की जाती है, जो जीवन में सकारात्मक बदलाव लाती है। इस बार गुप्त नवरात्रि 26 जून को शुरू हो रही है तो ऐसे में आइए जानें इसके शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
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शुभ मुहूर्त
हिन्दू पंचांग के मुताबिक, गुप्त नवरात्रि इस वर्ष 26 जून को शुरू हो रही है और यह 4 जुलाई तक चलेगी। इस दौरान विशेष पूजा विधियां और कलश स्थापना का आयोजन किया जाएगा। ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, इस बार गुप्त नवरात्रि में विशेष योग बन रहे हैं जो साधना को सफल बनाने के लिए शुभ हैं।
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सर्वार्थ सिद्धि योग: 26 जून को नवरात्रि के पहले दिन, सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो सुबह 8:46 बजे से शुरू होकर 27 जून की सुबह 5:31 बजे तक रहेगा। इस योग में किए गए कार्यों में विशेष सफलता मिलती है।
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अति शुभ समय: कलश स्थापना के लिए सबसे शुभ समय प्रातः 9:09 मिनट से 11:00 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा, एक और शुभ समय सुबह 11:34 मिनट से दोपहर 1:24 मिनट तक रहेगा।
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इस समय के दौरान कलश स्थापना से विशेष लाभ प्राप्त किया जा सकता है, और यह समय पूजा के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है।
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पूजा विधि
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, इस समय
- सूर्य पूजा: आत्मविश्वास बढ़ाने और स्वास्थ्य में सुधार के लिए सूर्य देवता की पूजा की जाती है।
- गणेश पूजा: विघ्नों को दूर करने और सफलता प्राप्त करने के लिए गणेश जी की पूजा की जाती है।
- लक्ष्मी पूजा: धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से दीपावली पर की जाती है।
- शनि पूजा: शनि के दुष्प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए शनिवार के दिन शनि देव की पूजा की जाती है।
- बुध पूजा: बुध ग्रह की पूजा ज्ञान, संचार और व्यापार में सफलता पाने के लिए की जाती है।
- राहु-केतु पूजा: कुंडली में राहु और केतु के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए पूजा की जाती है।
- ग्रह दोष निवारण पूजा: ग्रहों के दोष को दूर करने के लिए विभिन्न पूजा विधियाँ अपनाई जाती हैं।
नवरात्रि का महत्व और लाभ
ये नवरात्रि तंत्र साधना और महाविद्याओं की उपासना का पर्व है, जिसमें विशेष रूप से देवी दुर्गा के दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। इस दौरान देवी दुर्गा के स्वरूपों की साधना से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है और उसे विशेष सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
इस दौरान किया गया तप, साधना और पूजा व्यक्ति के जीवन में मानसिक शांति, सुख और समृद्धि लाती है। इस दौरान विशेष मंत्रों का जाप और हवन विधियों के माध्यम से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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इस पूजा के लाभ
- सिद्धियां प्राप्त होती हैं: गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधना और महाविद्याओं की पूजा से विशेष सिद्धियां प्राप्त होती हैं, जो जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता दिलाती हैं।
- व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान: इस समय किए गए पूजा उपाय और व्रत व्यक्ति की व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान करते हैं और जीवन में सुख और समृद्धि लाते हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति: गुप्त नवरात्रि के दौरान किए गए विशेष पूजन से व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है और उसे आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश: तंत्र साधना और हवन के माध्यम से घर और आसपास की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है, जिससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।
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