देवशयनी एकादशी से गुरु पूर्णिमा तक, आषाढ़ माह 2025 में आएंगे ये प्रमुख व्रत-त्योहार

आषाढ़ माह 2025 में प्रमुख व्रत-त्योहार, जैसे देवशयनी एकादशी और गुरु पूर्णिमा, आएंगे। जानिए इस महीने के विशेष व्रत, पूजा और परंपराओं के बारे में।

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Kaushiki
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आषाढ़ माह 2025.
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आषाढ़ माह हिंदू पंचांग का चौथा महीना है, जो वर्षा ऋतु की शुरुआत के साथ आता है। इस महीने में विशेष धार्मिक और व्रत-त्योहारों का आयोजन किया जाता है। आषाढ़ माह का महत्व खासतौर पर इस वजह से है क्योंकि यह संधिकाल (ज्येष्ठ और आषाढ़ का मिलन) होता है, जो हर कार्य के लिए शुभ माना जाता है।

इस महीने में भगवान श्री जगन्नाथ की रथ यात्रा भी होती है, जो विश्वभर में प्रसिद्ध है। इस समय वातावरण में थोड़ी नमी आ जाती है और यह समय विशेष पूजा, व्रत और धार्मिक कार्यों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।

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प्रमुख व्रत और त्योहार

हिंदू पंचांग के मुताबिक आषाढ़ माह में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार होते हैं, जो विशेष रूप से भक्तों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

आषाढ़ मास प्रारंभ (12 जून 2025):

  • आषाढ़ माह का पहला दिन खड़ाऊं, छाता, नमक और आंवला का दान करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन से व्रतों और धार्मिक अनुष्ठानों की शुरुआत होती है।

कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी (14 जून 2025):

  • यह दिन गणेश पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गणेश जी की पूजा करने से सभी कष्ट समाप्त होते हैं।

योगिनी एकादशी (21 जून 2025):

  • यह साल का सबसे बड़ा दिन माना जाता है, जब विशेष रूप से विष्णु पूजा और उपवासी व्रत किए जाते हैं। यह व्रत विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति के लिए फलदायी माना जाता है।

जगन्नाथ रथ यात्रा (27 जून 2025):

  • पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा एक प्रमुख त्योहार है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। यह आयोजन विशेष रूप से ओडिशा में मनाया जाता है और पूरे भारत में इसकी महिमा है।

देवशयनी एकादशी (6 जुलाई 2025):

  • यह दिन खास महत्व रखता है क्योंकि इससे चातुर्मास की शुरुआत होती है। इस दिन भगवान विष्णु सोते हैं, और श्रद्धालु उनके जागने तक उपवासी रहते हैं।

गुरु पूर्णिमा (10 जुलाई 2025):

  • गुरु पूर्णिमा का दिन गुरु शिष्य परंपरा का सम्मान करने का दिन होता है। इस दिन गुरु पूजा और व्यास पूजा का आयोजन किया जाता है।

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पूजा और उपासना

मान्यता के मुताबिक, आषाढ़ महीना में गुरु की उपासना सबसे अधिक फलदायी मानी जाती है। इसके साथ ही देवी पूजा, श्री हरि विष्णु की पूजा और जल देव की उपासना भी की जाती है। इस माह में मंगल और सूर्य की पूजा भी विशेष महत्व रखती है, क्योंकि ये पूजा व्यक्ति की समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती हैं।

क्या न करें

इस महीने में कुछ विशेष चीजों से बचने की सलाह दी जाती है:

  • लहसुन और प्याज का सेवन इस महीने में वर्जित है।
  • बासी भोजन से परहेज करें क्योंकि बारिश के दौरान संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है।
  • इस महीने में चातुर्मास की शुरुआत होती है, जिसमें शुभ कार्यों, जैसे विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों, से बचना चाहिए।

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